द हेग : कुलभूषण जाधव (46)की फांसी की सजा को लेकर भारत व पाकिस्तान 18 साल बाद एक बार फिर सोमवार को हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आइसीजे) में आमने-सामने हुए. भारत की दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट ने पाकिस्तान की दलीलें सुनीं. सुनवाई के दौरान पाकिस्तान को उस वक्त झटका लगा, जब अंतरराष्ट्रीय कोर्ट ने जाधव के कबूलनामे का वीडियो देखने से इनकार कर दिया. पाकिस्तान ने भारत की याचिका को गैर जरूरी बताते हुए इसे खारिज करने की मांग की. यहां तक कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा पर आइसीजे फैसला नहीं ले सकती. वहीं भारत ने जाधव की मौत की सजा पर तुरंत रोक लगाने की मांग करते हुए आशंका जतायी कि आइसीजे में सुनवाई पूरी होने से पहले ही पाकिस्तान उन्हें फांसी दे सकता है.
संयुक्त राष्ट्र की सर्वोच्च न्यायिक संस्था में भारत ने कहा कि स्थिति गंभीर है, जिस कारण उसने इतने कम समय में अदालत का दरवाजा खटखटाया है. इससे पहले भारत का पक्ष रखते हुए वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कोर्ट से आग्रह किया कि कुलभूषण को लेकर पाकिस्तान की सैन्य अदालत के फैसले को अमान्य करार दिया जाये. पाक ने ट्रायल को लेकर कोई दस्तावेज भारत को नहीं दिया है. नागरिक और राजनीतिक अधिकारों पर अंतरराष्ट्रीय कानून का जिक्र करते हुए कहा कि किसी का भी जीवन मनमाने तरीके से नहीं छीना जा सकता. आरेाप लगाया कि पाकिस्तान मानवाधिकारों की धज्जियां उड़ा रहा है.
भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव के केंद्र में बने हुए जाधव को पिछले महीने पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत ने जासूसी और विध्वंसक गतिविधियों के संबंध में भारतीय नागरिक जाधव को सजा-ए- मौत सुनायी थी. भारत ने आठ मई को उसके खिलाफ आइसीजे में अपील दायर की थी. अपील के अगले दिन आइसीजे ने सजा पर स्थगनादेश लगा दिया. दोनों की दलीलों को सुनने के बाद अब निगाहें कोर्ट के फैसले पर है.
मां तरसती रही,नहीं दी मिलने की अनुमति
भारत की ओर से संयुक्त विदेश सचिव (कानून) वीडी शर्मा ने कोर्ट को बताया कि पाकिस्तान ने वियना संधि का उल्लंघन किया है. न्यायिक मदद के बिना जाधव को फांसी की सजा सुनायी गयी है. उन्हें पाक की खुफिया एजेंसी ने फंसाया है. जाधव को कानूनी सहायता और राजनयिक पहुंच हासिल करने का अधिकार तक नहीं मिला. हद तो तब हो गयी, जब पाकिस्तान ने अपने बेटे से मिलने के जाधव की मां के आग्रह का जवाब नहीं दिया.