मॉस्को : प्रधानमंत्री मोदी नरेंद्र मोदी ने चार यूरोपीय देशों की यात्रा के तहत रूस पहुंच चुके हैं. यहां सेंट पीटर्सबर्ग में पीएम मोदी ने होटल के बाहर लोगों से मुलाकात की. अपने तय कार्यक्रम के तहत वे 1 जून यानी गुरुवार को पीएम मोदी रूसी राष्ट्रपति ब्लादीमिर पुतिन के साथ 18वें भारत-रूस सालाना सम्मेलन में हिस्सा लेंगे. इसके बाद वे 2 जून को सेंट पीटर्सबर्ग इंटरनेशनल इकोनॉमिक फोरम को संबोधित करेंगे. मोदी इसे रूस के राष्ट्रपति ब्लादीमिर पुतिन के साथ संयुक्त रूप से संबंध करेंगे. फोरम में भारत इस बार मेहमान देश है. जानकार इसे दोनों देशों के 70 साल पुराने रिश्तों के जश्न के तौर पर देख रहे हैं.
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन के साथ वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए यहां पहुंचे जिसमें दोनों पक्ष कई समझौतों पर हस्ताक्षर करेंगे और सबकी निगाहें भारत के सबसे बडे परमाणु उर्जा संयंत्र की अंतिम दो इकाइयों के लिए रूस की मदद से जुडे करार पर हैं.
पीएम मोदी का ट्वीट
मोदी ने रूस पहुंचने के बाद ट्वीट किया, ‘‘ऐतिहासिक शहर सेंट पीटर्सबर्ग पहुंचा. उपयोगी यात्रा की उम्मीद करता हूं जिसका उद्देश्य भारत-रुस संबंधों को मजबूती प्रदान करना है.’ सम्मेलन शुरू होने से कुछ घंटे पहले भारतीय अधिकारियों ने बताया कि तमिलनाडु में कुडनकुलम परमाणु उर्जा संयंत्र की इकाई 5 और 6 के निर्माण के लिए रिण सहायता पर समझौते के विवरण और भाषा को लेकर अंतिम दौर की बातचीत चल रही है. सूत्रों ने कहा, ‘‘समझौते पर काम जारी है.’ संयंत्रों का निर्माण भारतीय परमाणु उर्जा निगम निगम लिमिटेड (एनपीसीआईएल) और रूसी परमाणु संयंत्रों की नियामक संस्था रोसाटॉम की सहायक कंपनी एटम्सस्ट्रॉयएक्सपोर्ट कर रहे हैं. दोनों पक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी, रेलवे, सांस्कृतिक आदान-प्रदान समेत व्यापक क्षेत्रों में और निजी पक्षों के बीच अन्य व्यावसायिक क्षेत्रों में भी 12 समझौतों पर दस्तखत कर सकते हैं. दोनों नेता एक ‘विजन डॉक्यूमेंट’ भी जारी करेंगे.
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तो परमाणु समझौता होगा केंद्रबिंदु
यदि परमाणु समझौते पर दस्तखत किये जाते हैं तो यह सम्मेलन का केंद्रबिंदु होगा. इससे पहले अक्तूबर 2016 में गोवा में पिछले द्विपक्षीय सम्मेलन में भी यह केंद्रबिंदु था. अगर करार हो जाता है तो एक-एक हजार मेगावाट बिजली उत्पादन की क्षमता वाली दोनों इकाइयां देश में परमाणु उर्जा उत्पादन को महत्वपूर्ण तरीके से बढाएंगी. फिलहाल देश में सभी 22 परमाणु उर्जा संयंत्रों की बिजली उत्पादन क्षमता 6780 मेगावाट है. अक्तूबर 2015 में मोदी और पुतिन के एक संयुक्त बयान में दिसंबर 2016 तक परमाणु इकाइयों पर जनरल फ्रेमवर्क समझौते का वादा किया गया था. अंतर-मंत्रालयी समूह की मंजूरी के बाद इसे स्वीकृति के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय भेजा गया, लेकिन सूत्रों का कहना है कि रुस द्वारा दिया जाने वाला क्रेडिट प्रोटोकॉल (ऋण सहायता) अवरोध साबित हो रहा है.
दोनों नेताओं के बीच काफी परस्पर विश्वास और आपसी तालमेल
रूस में भारत के राजदूत पंकज सरण ने कहा, ‘‘दोनों नेताओं के बीच काफी परस्पर विश्वास और आपसी तालमेल है जो पिछले तीन साल में विकसित हुआ है.’ उन्होंने कहा कि कल होने वाले सम्मेलन में दोनों नेता मौजूदा संबंधों का जायजा लेंगे और भविष्य के दृष्टिकोण के लिए रुपरेखा पर विचार-विमर्श करेंगे. सोवियत संघ के समय से रुस के साथ रहे भारत के परंपरागत संबंध मॉस्को की चीन और पाकिस्तान के साथ बढती आर्थिक और राजनीतिक साझेदारी से जटिल हो गये. हालांकि सरण ने कहा कि रूस के साथ भारत के संबंधों पर पाकिस्तान के साथ रुस के संबंधों का कोई प्रभाव नहीं है.
#WATCH Russia: PM Narendra Modi meets people outside hotel in Saint Petersburg pic.twitter.com/WdX00WPmuF
— ANI (@ANI) May 31, 2017