हिंदी भाषा केवल संचार का माध्यम भर नहीं है. ये पहचान है, राष्ट्रीयता की. पहचान है भावना की. हिंदी पहचान है भारतीयता की. आप देश के किसी भी हिस्से में चले जायें, चाहे वो आसामी हो, बंगाली हो, तेलुगु हो या तमिल भाषी. टूटी-फूटी ही सही हिंदी बोलने की कोशिश करता नजर आ जायेगा. आज हिंदी केवल भारतवर्ष की भाषा नहीं रह गई है. इस भाषा के अद्भुत रस ने इसे विदेशों में भी ख्याति दिला दी है. तभी तो ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी में हर साल कोई ना कोई हिंदी भाषा का शब्द शामिल किया जाता है. हिंदीभाषी होने की वजह से हमारे लिये गर्व का विषय है.
Posted By- Suraj Thakur