वक्त गुजरता गया, लेकिन झारखंड के पलामू किले का जीर्णोद्धार का कार्य शुरू नहीं किया गया. कई बार तो ऐसा लगा मानो, अब काम एकदम शुरू हो जायेगा और पलामू किले का अस्तित्व मिटने से बच जायेगा, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ.
कुछ दिनों तक पलामू किले के जीर्णोद्धार की बातें चर्चा में रहीं और फिर उसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया. पलामू किले के जीर्णोद्धार के लिए पर्यटन विभाग द्वारा सहमति मिल गयी है. आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की टीम के द्वारा भी सर्वे करा लिया गया है. इसके बाद भी मामले ठंडे बस्ते में है. पुरातात्विक विभाग के आकलन के अनुसार 90 प्रतिशत से अधिक हिस्सा पूरी तरह से जमींदोज हो चुके हैं.
विधायक रामचंद्र सिंह ने पलामू किले की बदहाली से आहत होकर कई बार इस मामले को विधानसभा सभा में भी उठाया है. पिछले वर्ष भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के क्षेत्र प्रबंधक डॉ एस के भगत के नेतृत्व में जब टीम ने दौरा किया था तो ऐसी उम्मीद जग गयी थी कि अब पलामू किले का जीर्णोद्धार शुरू होने में देर नहीं है, लेकिन देखते ही देखते एक वर्ष बीत गया लेकिन इस बार भी काम शुरू नहीं किया गया. इस एक वर्ष के दौरान भी जगह-जगह पर किला का महत्वपूर्ण हिस्सा टूट-टूट कर गिरता रहा. किले की वर्तमान स्थिति यह है कि चारों ओर से यह जंगल झाड़ियों से घिर गया है. यहां आने पर लगता ही नहीं है कि जंगल में किला है या किला में जंगल.
बेतला नेशनल पार्क के मुख्य गेट से करीब पांच किलोमीटर दूर घने जंगलों व पहाड़ियों के बीच कल -कल बहती औरंगा नदी के किनारे प्राकृतिक सौंदर्य से लबरेज पलामू किला अपनी खूबसूरती व कारीगरी की अद्भुत मिसाल रही है. किला के दो भाग हैं. पुराना किला नदी के किनारे तो नया किला पहाड़ी पर स्थित है. पलामू टाइगर रिजर्व के बेतला नेशनल पार्क के अधीन होने के कारण पलामू किला पूरी तरह से वन विभाग के कब्जे में है.
मरम्मत नहीं होने के कारण यह खंडहर में तब्दील होता गया. इसके कई महत्वपूर्ण हिस्से जमींदोज हो चुके हैं. पुरातात्विक विभाग के आकलन के अनुसार 90 प्रतिशत से अधिक हिस्सा पूरी तरह से जमींदोज हो चुके हैं.विधायक रामचंद्र सिंह ने कहा कि पलामू किले के जीर्णोद्धार का कार्य हर हाल में पूरा कराया जाएगा. यह पलामू प्रमंडल की शान है. इस मामले को लेकर वह गंभीर हैं