उत्तर भारतीयों व बिहारियों समेत हिंदी भाषियों के विरुद्ध आपत्तिजनक बयानबाजी के मामले में मनसे (महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना) प्रमुख राज ठाकरे ने दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट में लिखित खेद व्यक्त करते हुए माफी मांगी है. राज ठाकरे द्वारा लिखित माफी मांग लिये जाने के बाद न्यायालय ने माफीनामा को स्वीकृत कर लिया, इसके बाद मामले को समाप्त करने का आदेश पारित कर दिया. दरअसल पूरे मामले की शुरूआत 2007 में हुई थी जब जमशेदपुर के अधिवक्ता सुधीर कुमार पप्पू ने मनसे प्रमुख के खिलाफ सोनारी थाना में शिकायत दर्ज करवाई थी. शिकायत दर्ज कराते हुए आरोप लगाया था कि नौ मार्च 2007 को मुंबई सायन शणमुखानंद सभागार में मनसे के स्थापना दिवस पर राज ठाकरे ने उत्तर भारतीयों, बिहारियों व हिंदी भाषियों पर आपत्तिजनक टिप्पणी की है.
सोनारी थाना द्वारा कोई कार्रवाई नहीं किये जाने पर छपरा के तरैया गांव निवासी अधिवक्ता सुधीर कुमार पप्पू ने 13 मार्च को सीजेएम, जमशेदपुर की अदालत में आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर राज ठाकरे के विरुद्ध शिकायतवाद दायर कर दिया. मामले को विशेष सुनवाई के लिए प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी डीसी अवस्थी की अदालत में स्थानांतरित किया गया. अदालत ने सबूतों के आधार पर संज्ञान लेते हुए समन जारी किया. राज ठाकरे के उपस्थित नहीं होने पर गैर जमानती वारंट एवं इश्तिहार जारी किया गया. मनसे प्रमुख राज ठाकरे अपने अधिवक्ता के माध्यम से झारखंड हाइकोर्ट में कई बार याचिका दाखिल की, परंतु राहत नहीं मिलने पर 30 सितंबर 2011 को दिल्ली हाइकोर्ट की शरण ली. एक लंबी लड़ाई के बाद इस लबित याचिका पर सुनवाई के समय राज ठाकरे के निर्देशानुसार उनके अधिवक्ता अनुपम लाल दास ने न्यायालय के समक्ष याचिकाकर्ता राज ठाकरे के माध्यम से कहा कि उनके भाषण से किसी भी समुदाय के लोगों को ठेस पहुंचा है, तो याचिकाकर्ता बिना शर्त माफी मांगने और अफसोस एवं दुख प्रकट करते हैं. सुनवाई के बाद 13 मार्च 2023 को दिल्ली हाइकोर्ट के न्यायाधीश जसमीत सिंह के न्यायालय ने राज ठाकरे का माफीनामा स्वीकृत हुआ.