राज्य सरकार की नियोजन नीति का ड्राफ्ट तैयार हो गया है. सरकार 2016 से पूर्व की नीति को फिर से लागू कर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने की तैयारी कर रही है. राज्य सरकार 27 को कैबिनेट की बैठक में नीति का मसौदा ला सकती है. उच्च पदस्थ सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, 2016 की नीति में आंशिक फेरबदल हो सकता है. सरकार ने नियोजन नीति को लेकर राज्य के युवाओं के साथ संवाद किया था. राज्य के सात लाख युवाओं को मुख्यमंत्री का रिकॉर्डेड संदेश भेज कर उनकी राय मांगी गयी थी.
राज्य के 90 फीसदी युवाओं की एक ही राय थी कि सरकार सबसे पहले नियुक्ति प्रक्रिया अविलंब शुरू करे. युवाओं की राय के आधार पर ही सरकार नियुक्ति प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की दिशा में पहल की है. सूचना के मुताबिक गैर आरक्षित रिक्तियों में कुछ बैरियर लगा कर सरकार नयी नीति बनायेगी.18 अप्रैल 2016 को तत्कालीन रघुवर दास की सरकार द्वारा लागू नीति से पहले की नीति के आधार पर नियुक्तियों में 50 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान था. इसमें आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों के आरक्षण यानि इडब्ल्यूएस को जोड़ दिया जाये , तो इस नीति के अनुरूप 60 प्रतिशत रिक्तियां आरक्षित हो जायेगी. आरक्षित श्रेणी में स्थानीय की नियुक्तियों को लेकर बहुत परेशानी नहीं है. झारखंड से निर्गत हाेनेवाले प्रमाण पत्र वैध होंगे़.
वहीं गैर आरक्षित श्रेणी में सरकार कुछ नये प्रावधान को जोड़कर लागू कर सकती है. इसमें यहां के स्थानीय लोगों को प्राथमिकता देने की बात होगी. राज्य सरकार ने वर्ष 2021 में नियुक्ति नियमावली बनायी थी. इसे हाइकोर्ट ने असंवैधानिक करार देते हुए रद्द कर दिया था. राज्य सरकार ने अपनी नियुक्ति नियमावली में अनारक्षित वर्ग के अभ्यार्थियों के लिए झारखंड से मैट्रिक व इंटर की परीक्षा पास होना अनिवार्य किया था. इसी नीति को कोर्ट ने संविधान की मूल भावना के विपरीत बताया था. हाईकोर्ट के निर्णय के बाद सरकार ने सभी विज्ञापन रद्द कर दिये.