VIDEO: इस्कॉन की भव्य श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, कृष्णमय हुआ धनबाद

धनबाद में इस्कॉन ने न्यू टाउन हॉल में धनबाद की सबसे बड़ी और मुख्य जन्माष्टमी महामहोत्सव का आयोजन किया. टाउन हॉल और इसके बाहर बने पंडाल तथा बाहर रंग बिरंगे फूलों, मोर पंख, मुरली, माखन की थीम पर सजाया गया था.

By Guru Swarup Mishra | September 8, 2023 4:40 PM

धनबाद में इस्कॉन ने न्यू टाउन हॉल में धनबाद की सबसे बड़ी और मुख्य जन्माष्टमी महामहोत्सव का आयोजन किया. टाउन हॉल और इसके बाहर बने पंडाल तथा बाहर रंग बिरंगे फूलों, मोर पंख, मुरली, माखन की थीम पर सजाया गया था, वहीं भक्तों की बढ़ती और उमड़ती भीड़ का अंदाजा लेते हुए इस बार टाउन हॉल में 3000 भक्तों के बैठने की व्यवस्था की गई थी. तीन एलईडी स्क्रीन का भी इस्तेमाल किया गया था और इस बार 15000 से भी ज्यादा भक्तों के लिए प्रचुर मात्रा में खिचड़ी और हलवा प्रसाद का वितरण हुआ. कीर्तन के बाद इस्कॉन के उपाध्यक्ष श्रद्धेय दामोदर गोविंद प्रभु द्वारा आए हुए श्रद्धालु-जनों को कथा के माध्यम से भगवान कृष्ण के आविर्भाव की दिव्यता का बोध कराया गया. भगवान श्री श्री राधाकृष्ण की युगल मूर्ति का दही, दुग्ध, मधु, शर्करा, पुष्प, फलों के रस एवं गंगा जल से भव्य महाअभिषेक आयोजित किया गया. कुल पांच युगल विग्रहों का अभिषेक किया गया, जिसमें आए हुए मुख्य अतिथि और अन्य भक्तों को जन्माष्टमी के पावन अवसर पर अभिषेक करने का अवसर प्राप्त हुआ. एक साथ तीन अलग-अलग स्थान पर तीन श्री विग्रह का अभिषेक चल रहा था. कार्यक्रम के दौरान कई संस्कृतिक सुन्दर नृत्यों, गानों और नाटकों का प्रदर्शन भी हुआ. इस बार झारखंड के अलग-अलग लोक नृत्य जैसे कर्मा, टूशू, सेहरूल, आदि की भिन्न भिन्न पोशाक और सामग्रियों द्वारा प्रस्तुति दी गई और कृष्ण भक्ति का प्रचार किया गया और संपूर्ण भारत में प्रसिद्ध कलाकारों द्वारा प्रस्तुति दी गई. इस बार इस्कॉन कानपुर के प्रसिद्ध ब्रह्मचारी श्रध्देय श्री कूर्म अवतार प्रभु जी ने विशेष कथा द्वारा धनबाद वासियों का मन कृष्ण स्मरण से भर दिया. कुर्म अवतार प्रभु जी ने आईआईटी बीएचयू से बीटेक किया है और आईआईटी धनबाद में वर्तमान में पीएचडी कर रहे हैं. इस्कॉन के संस्थापक आचार्य श्रील प्रभुपाद की शिक्षाओं एवं शास्त्रों की सहायता से इस्कॉन धनबाद के अध्यक्ष श्रद्धेय नामप्रेम प्रभु ने अपने प्रवचन में यह बताया कि कलयुग में श्रीकृष्ण भगवान को अपने हृदय में आमंत्रित करने का सुलभ माध्यम एकमात्र हरिनाम संकीर्तन है.

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