झारखंड : गुमला जिले के उरांव छात्रावास की बदहाली, छात्रों की गुहार, बढ़ता जा रहा इंतजार
जिस कमरे में छात्र सोते हैं, बैठकर पढ़ते हैं, उस कमरे की छत से पानी टपकता है. छात्रावास में रसोईया नहीं है. खुद छात्र भोजन बनाते हैं और खाते हैं. छात्रावास में शौचालय अधूरा है. यह हाल गुमला शहर के उरांव छात्रावास दुंदुरिया का है. लोहरदगा रोड स्थित उरांव छात्रावास में उग्रवाद प्रभावित और दूर-दराज गांव के छात्र रहकर पढ़ाई करते हैं. वो पढ़कर अपनी खुद की पहचान बनाना चाहते हैं. छात्रावास की स्थिति छात्रों को मुसीबत झेलनी पड़ रही है. रसोईया नहीं रहने के कारण छात्रों को पढ़ाई छोड़कर खुद खाना पकाना पड़ता है. छात्रावास में 250 छात्रों के रहने के लिए भवन है. फिलहाल 200 छात्रों का नामांकन है. अभी कोरोना संक्रमण के कारण छात्रावास में कुछ गिने-चुने छात्र हैं जो छात्रावास की देखभाल के साथ प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी के लिए रह रहे हैं. उनके मुताबिक छात्रावास की समस्या को लेकर कई बार कल्याण विभाग और जिले के बड़े अधिकारियों को अवगत कराया. आश्वासन तो मिला, लेकिन किसी तरह की कार्रवाई नहीं हुई. अभी तक समस्या दूर नहीं हुई है.
जिस कमरे में छात्र सोते हैं, बैठकर पढ़ते हैं, उस कमरे की छत से पानी टपकता है. छात्रावास में रसोईया नहीं है. खुद छात्र भोजन बनाते हैं और खाते हैं. छात्रावास में शौचालय अधूरा है. यह हाल गुमला शहर के उरांव छात्रावास दुंदुरिया का है. लोहरदगा रोड स्थित उरांव छात्रावास में उग्रवाद प्रभावित और दूर-दराज गांव के छात्र रहकर पढ़ाई करते हैं. वो पढ़कर अपनी खुद की पहचान बनाना चाहते हैं. छात्रावास की स्थिति छात्रों को मुसीबत झेलनी पड़ रही है. रसोईया नहीं रहने के कारण छात्रों को पढ़ाई छोड़कर खुद खाना पकाना पड़ता है. छात्रावास में 250 छात्रों के रहने के लिए भवन है. फिलहाल 200 छात्रों का नामांकन है. अभी कोरोना संक्रमण के कारण छात्रावास में कुछ गिने-चुने छात्र हैं जो छात्रावास की देखभाल के साथ प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी के लिए रह रहे हैं. उनके मुताबिक छात्रावास की समस्या को लेकर कई बार कल्याण विभाग और जिले के बड़े अधिकारियों को अवगत कराया. आश्वासन तो मिला, लेकिन किसी तरह की कार्रवाई नहीं हुई. अभी तक समस्या दूर नहीं हुई है.