दोस्ती एक ऐसा रिश्ता जहां सारे बंधन बेकार हैं. इसका न तो कोई दायरा तय होता है और न ही कोई सीमा तय होती है. कभी-कभार तो दोस्ती में मौन भी शब्दों का काम कर जाता है. और बिना भाषा के ही अपना प्रेम दिखा जाता है. ऐसी दोस्ती की कई मिसाले आपने अबतक सुनी होंगी. लेकिन आज हम आपको दिखा रहे हैं दोस्ती की ऐसी ही जीती-जागती मिसाल, जो आज लोगों के बीच उदाहरण साबित हो रहा है. यह मिसाल पेश कर रही है नन्ही अंकिता और मैना जिसे प्यार से सब मिठू बुलाते हैं. पश्चिम बंगाल के पश्चिम बर्दवान जिले के कांकसा ब्लॉक की रहने वाली अंकिता रोजाना अपनी सहेलियों के साथ स्कूल जाती है. वह शिवपुर प्राथमिक विद्यालय के पहली कक्षा में पढ़ती है.
जैसे ही सुबह होती है और अंकिता इपने स्कूल पहुंचती है मिठू भी अंकिता के साथ बैठ जाती है. कभी सिर पर तो कभी कंधे पर. फिर क्या दोनों का यह साथ पूरे समय ऐसे ही रहता है. टिफिन के समय कभी अंकिता मिठू को चिप्स खिलाती है, तो कभी बिस्किट. और जब क्लास चलती है तो अंकिता के ठीक बगल वाली सीट पर मिठू भी बैठे रहती है. वह क्लास में कुछ समझे न समझे लेकिन उतनी ही शांति से शिक्षक की बातों को सुनती है. क्लास खत्म होते साथ मैना भी वापस उड़ कर अपने पेड़ पर चल जाती है. जिस दिन अंकिता स्कूल नहीं आती है उस दिन खुद मिठू उसके घर पहुंच जाती है.
शिक्षक बताते हैं कि हमने मैना को मिठू का नाम दिया है. मिठू अंकिता के साथ ही क्लासरूम में आ जाती है. यह सभी बच्चों के साथ ऐसे ही बैठती है. हम जो खाते है मिठू भी वही खाती है. बच्चों के साथ-साथ हमें भी मिठू को देखकर बहुत अच्छा लगता है. इसका व्यवहार बिल्कुल इंसानों की तरह ही है. अब दोनों की दोस्ती का आलम यह है कि इसकी चर्चा आस-पास के गांव में फैल चुकी है. अब दोनों की इस अटूट दोस्ती को देखने के लिए हर कोई अंकिता के स्कूल पहुंच जा रहा है.
वीडियो रिपोर्ट – मुकेश तिवारी