Yoga Day: नाद योग की साधना में भीतर से क्यों सुनाई देती है झींगुर, मेंढक की आवाज

Yoga Day: नाद का मतलब है अंतर्मन की गहराई में ध्वनि स्पंदन, जिसके लिए साधक पहले प्रकृति की आवाजों के साथ ध्यान को साधता है. फिर अचेतन मन में ध्वनि से जुड़ता है

By Mithilesh Jha | June 21, 2024 8:26 AM
International Yoga Day: ध्वनि की साधना है नादयोग, संगीत में दिलाता है ऊंचाई

Yoga Day: सेहतमंद होने और मन को शांत करने के लिए योग का अभ्यास तो आपने सुना होगा. लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक योग ऐसा है जो ध्वनि की साधना सिखाता है. यह नादयोग है. इसकी साधना काफी जटिल है. इसे साध लेने पर संगीत में काफी ऊंचाई मिल सकती है. यहां तक कि ब्रह्मांड की सूक्ष्म ध्वनियों को भी सुनने में सफलता मिलती है. नादयोग के बारे में सत्यानन्द योग मिशन के निदेशक स्वामी मुक्तरथ ने बताया कि नादयोग ध्यान की सूक्ष्म साधना है, जिसे जंगल में योगी लोग किया करते थे. नाद का मतलब है अंतर्मन की गहराई में ध्वनि स्पंदन, जिसके लिए साधक पहले प्रकृति की आवाजों के साथ ध्यान को साधता है. फिर अचेतन मन में चल रही ध्वनि के साथ जुड़ता है, ताकि अनहद की गूंज और भीतर की सूक्ष्म ध्वनि के साथ मन जुड़ सके. स्वामी मुक्तरथ का कहना है कि ब्रह्मांड में अदृश्य घटनाक्रम की ध्वनियां और उसके कंपन लगातार चलते रहते हैं. नादयोग के अभ्यास में साधक आंतरिक ध्वनि के साथ संपर्क साधकर परमात्मा से जुड़ने का प्रयास करता है. इस प्रकार की साधना में अनहद नाद के जागृत होने पर साधक को मन की गहराई में कई प्रकार के आवाज सुनाई पड़ते हैं. ध्यान में घंटा, घड़ियाल, शंख, वंशी, झींगुर, मेंढक और बादल की गर्जना भी सुनाई देती है. स्वामी मुक्तरथ के मुताबिक, नादयोग संगीत साधना के लिए भी बहुत उपयोगी है. सिद्ध संगीतज्ञ का भी अंतर्नाद जागृत रहता है. यही कारण है कि उनकी ओर हजारों-हजार लोग खींचे चले आते हैं.

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