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परिवहन के विविध साधनों के रूप में दिखेंगे स्वचालित वाहन

सेल्फ ड्राइविंग कारों के सफल परीक्षण और जल्द ही इन्हें सड़कों पर उतारे जाने की उम्मीदों के बीच कई अन्य कंपनियां ऐसे स्वचालित वाहनों को विकसित करने में जुटी हुई हैं, जो खेती से लेकर शहरी कचरों के निपटाने जैसे काम खुद-ब-खुद करते नजर आयेंगे. खेती के लिए स्वचालित ट्रैक्टर, कचरा एकत्र करनेवाले ट्रक समेत […]

सेल्फ ड्राइविंग कारों के सफल परीक्षण और जल्द ही इन्हें सड़कों पर उतारे जाने की उम्मीदों के बीच कई अन्य कंपनियां ऐसे स्वचालित वाहनों को विकसित करने में जुटी हुई हैं, जो खेती से लेकर शहरी कचरों के निपटाने जैसे काम खुद-ब-खुद करते नजर आयेंगे. खेती के लिए स्वचालित ट्रैक्टर, कचरा एकत्र करनेवाले ट्रक समेत जलीय मार्ग पर चल सकने वाले मानवरहित जहाज जल्द ही अपने वास्तविक स्वरूप में दिखाई दे सकते हैं.
इन स्वचालित वाहनों व रोबोट से भविष्य में कैसे बदलाव होगा मुमकिन और इनकी तकनीकों व कार्यक्षमताओं तथा इनसे संबंधित अन्य मसलों को रेखांकित कर रहा है आज का साइंस टेक्नोलॉजी पेज …
ड्राइवरलेस ट्रैक्टर और ड्रोन से होगी खेती
कृषि इंजीनियरों की एक टीम इस कोशिश में जुटी है कि इनसानी कामगारों के बिना खेती मुमकिन हो सके और फसलों का उत्पादन बढ़ाया जा सके. ‘डेली मेल’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, शोधकर्ताओं ने एक ऐसा ऑटोनोमस ट्रैक्टर विकसित किया है, जिसे खेती संबंधी विविध कार्यों के लिए इस्तेमाल में लाया जा सकता है. कंट्रोल रूम में बैठ कर इसके जरिये खेतों की जुताई, बीजारोपण और दवाओं के छिड़काव समेत फसल की कटाई और बेहतर तरीके से खाद्य पदार्थों को निकालने जैस कार्यों को अंजाम दिया जा सकता है. इस यूनिवर्सिटी की प्रयोगशाला में विकसित किये गये उपकरणों के माध्यम से इस खास किस्म के ट्रैक्टर को विकसित किया गया है.
परीक्षण के तौर पर यहां इस आॅटोनोमस ट्रैक्टर से जौ की बुआई की गयी और फसल तैयार होने पर उसे काट कर दाने निकाले गये.
जोनाथन गिल, किट फ्रैंकलिन और मार्टिन एबेल ने मिल कर इन उपकरणों को विकसित किया है, जिनमें से ज्यादातर पहले से ही बाजार में उपलब्ध हैं. शोधकर्ता इस ट्रैक्टर का परीक्षण व्यापक संदर्भों में कर रहे हैं. उन्होंने उम्मीद जतायी है कि कम वजन वाले ट्रैक्टर के इस्तेमाल से भविष्य में मिट्टी को संघनित होने से बचाया जा सकता है और भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ायी जा सकती है.
ड्रोन के जरिये फसलों की निगरानी की जा सकेगी. इससे फसल संबंधी सूचना एकत्रित करने के लिए कृषि अर्थशास्त्रियों को खेतों में भीतर नहीं जाना होगा. श्रोपशायर में हार्पर एडम्स यूनिवर्सिटी के संबंधित विशेषज्ञों काे भरोसा है कि इन तकनीकों के जरिये खेती में क्रांतिकारी लाया जा सकता है. जोनाथम गिल चाहते हैं कि हासिल होने योग्य तकनीकों के जरिये खेती और रोबोटिक्स को विकसित किया जाये. ड्रोन के जरिये फसलों की बढ़वार को ज्यादा अासानी से जाना जा सकता है.
इस प्रोजेक्ट को यॉर्कशायर आधारित मूल्यवान फार्मिंग विशेषज्ञ प्रेसीशन डिसिजंस लिमिटेड द्वारा मदद मुहैया करायी जा रही है. एग्री-फूड कंपीटिशन के लिए इनोवेट यूके सेटेलाइट्स के तहत भी इस प्रोजेक्ट को धन मुहैया कराया गया है. इसका मकसद सेटेलाइट टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से खेती आधारित खाद्य पदार्थों की उत्पादकता को सुधारना और उसमें बढ़ोतरी करना है.
कचरा उठानेवाला रोबोट ट्रक
दुनियाभर में अनेक सेक्टर में अब ज्यादा-से-ज्यादा कार्यों को स्वचालित तरीके से अंजाम दिया जाने लगा है. अब तक परिवहन सेक्टर को इससे अछूता समझा जा रहा था. लेकिन, हाल ही में कुछ शोधकर्ताओं और कंपनियों ने मिल कर ऐसी तकनीक को विकसित किया है, जिसके चलते इस सेक्टर में आगामी कुछ वर्षों में बड़ा बदलाव देखने में आ सकता है.
शोधकर्ताओं ने कचरा ढोने वाले ऑटोनोमस यानी स्वचालित ट्रक का विकास किया है. कचरा उठाने वाले इस रोबोट ट्रक का निर्माण वोल्वो ने किया है. इससे कचरे को सुरक्षित, तेज और अधिक कुशलता से घरों व अन्य जगहों से एकत्रित करते हुए निर्धारित स्थानों पर डंप किया जा सकता है.
सेंसर से संचालित होंगे ट्रक
यह ट्रक सेंसर से संचालित होगा, जो इसे आसपास के इलाकों के बारे में जानकारी मुहैया कराते हुए यह बतायेगा कि लोगों ने कहां पर कचरा एकत्रित कर रखा है, जहां से इसे बटोरना है.
‘डेली मेल’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, फिलहाल उत्तरी स्वीडन में इस ट्रक का परीक्षण किया जा रहा है. यह परीक्षण इस वर्ष के आखिर तक जारी रहेगा.
इसके पीछे में एक ‘स्टार्ट’ और ‘स्टॉप’ बटन लगा है, जिससे कामगारों को इस ट्रक को अगले कूड़ेदान तक ले जाने और उसे आगे-पीछे व नियंत्रित करने में मदद करता है. निर्धारित कूड़ेदान के पास तक यह ट्रक खुद चल कर जायेगा. इसे संचालित करनेवाले को कूड़ा बटोरने के लिए बार-बार बाहर निकलने की जरूरत नहीं होगी. वोल्वो ग्रुप के चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर लार्स स्टेनक्विस्ट का कहना है, ‘इस नयी तकनीक का एक फायदा यह है कि इसके पेशेवर तरीके से काम होने में लोगों के चोटिल होने का जोखिम कम हो जायेगा.
कचरा निस्तारण के क्रम में सफाईकर्मियों के घायल होने की खबरें आती हैं. इस ऑटोमेशन के कारण इस वाहन में अब महज एक ही सफाईकर्मी की जरूरत होगी. साथ ही, इस ट्रक के पर्यावरण संबंधी भी कई फायदे सामने आये हैं.’ स्टेनक्विस्ट कहते हैं कि ऑटोमेशन में आये इस तकनीकी विकास से लोगों को सक्षम तरीके से कचरे का निबटारा करने में मदद मिलेगी. चालक रहित यह ट्रक वाकई में दुनियाभर में ऑटोमेशन की मुहिम को एक नयी दिशा दे सकता है.
दीवार भी बनायेगा रोबोट
न्यूयॉर्क की एक कंपनी ने कंस्ट्रक्शन रोबोटिक्स को विकसित करते हुए एक ऐसे रोबोट का विकास किया है, जो परत-दर-परत ईंट जोड़ते हुए दीवार तैयार करता है. इनसानी कामगार के मुकाबले यह रोबोट छह गुना ज्यादा तेजी से ईंटों को जोड़ सकता है. हालांकि, अमेरिका में इस रोबोट का इस्तेमाल पहले ही शुरू हो चुका है, लेकिन अब ब्रिटेन में भी बिल्डिंग बनाने में इसका उपयोग शुरू किया गया है. इस रोबोट को ‘सैम’ नाम दिया गया है, जो ‘सेमी-ऑटोमेटेड मैसन’ यानी मिस्त्री से बनाया गया है. पूरी दक्षता के साथ यह रोबोट दिनभर में 3,000 ईंटें जोड़ सकता है, जबकि एक औसत मिस्त्री के बारे में माना जाता है कि वह दिनभर में 500 ईंटें जोड़ सकता है.
क्या- क्या है इस रोबोट में
– एक कनवेयर बेल्ट
– एक रोबोटिक आर्म
– एक कंक्रीट पंप.
जल्द ही काम करता दिखेगा रोबोट
बिल्डर को इस रोबोट को ईंट लोड करने के लिए एक कामगार रखना होता है, जो इसके कनवेयर बेल्ट में ईंट लोड करता जाता है. इस रोबोट के मशीन के नोजल को ऐसे डिजाइन किया गया है, ताकि संचालन के समय इसका रोबोटिक हाथ ईंट लेने के बाद उसे गारे यानी सीमेंट-बालू-पानी के मिश्रण से यह स्वयं जरूरी मसाला लगा देता है. दीवार पर यह मशीन किनारे की ओर से स्वयं आगे बढ़ती है.
कंस्ट्रक्शन कंसल्टेंट रिचर्ड वेलेंटाइन सेसली का कहना है कि आनेवाले समय में निर्माण स्थलों पर ये रोबोट आपको काम करते हुए दिखाई दे सकते हैं.
रोबोशिप मानव-रहित समुद्री कंटेनर
शोधकर्ताओं ने एक ऐसे समुद्री जहाज को विकसित किया है, जिसका संचालन समुद्र में मानव-रहित तरीके से किया जायेगा. ‘डेली मेल’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, नॉर्वे की एक कंपनी ‘यारा’ ने हाल ही में अपनी इस योजना का खुलासा करते हुए कहा है कि इस खास समुद्री जहाज में दुनिया में पहली बार सभी चीचें इलेक्ट्रिक से संचालित होंगी. ‘यारा बर्कलैंड’ नामक इस ऑटोनोमस कंटेनर शिप काे अगले वर्ष समुद्र में उतार दिया जायेगा. लेकिन, इसे पूरी तरह से ऑटोनोमस यानी मानव-रहित बनाने में अभी कुछ और समय लगेगा. उम्मीद जतायी गयी है कि वर्ष 2020 तक इसका संचालन पूरी तरह से मानव-रहित होगा. इसे विकसित करनेवाली कंपनी का दावा है कि इस ऑटोनोमस कंटेनर शिप से अनुमानित रूप से डीजल-आधारित समुद्री जहाजों का संचालन कम होगा, नतीजन व्यापक पैमाने पर कार्बन डाइऑक्साइड को कम करने में कामयाबी मिलेगी. चूंकि इसका आकार छोटा है, लिहाजा इसका इस्तेमाल विविध देशों द्वारा आंतरिक परिवहन के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकेगा.
मौजूदा समय में सड़कों पर वाहनों के बढ़ते दबाव को देखते हुए अनेक तकनीकी कंपनियां सेल्फ-ड्राइविंग वाहनों के निर्माण में जुटी हैं. लेकिन, ‘यारा’ को खास तरीके से विकसित किया जा रहा है, ताकि यह सड़क के बजाय जलीय मार्ग का इस्तेमाल करे. दरअसल, इस शोध को अंजाम देने के लिए इस फर्म ने मेरीटाइम टेक्नोलॉजी कंपनी कोंग्सबर्ग से सहयोग लिया है, जिसका मकसद इनाेवेशन के जरिये हमारी धरती को बचाना है.
यारा बर्कलैंड से जुड़े सभी तकनीकों को विकसित करने और उन्हें इंस्टाॅल करने की जिम्मेवारी काेंग्सबर्ग को सौंपी गयी है. इसमें इलेक्ट्रिव ड्राइव, बैटरी और प्रोपल्सन कंट्रोल सिस्टम समेत दूरदराज तक स्वायत्त संचालन के लिए सेंसर को प्रभावी बनाने और समग्र इंटेग्रेशन के लिए जरूरी तकनीकों को शामिल किया गया है. कोंग्सबर्ग के प्रेसिडेंट व सीइओ गेयर होय का कहना है कि समुद्री परिवहन के रूप में इस्तेमाल होने वाले इस रोबोशिप की पर्यावरण को बचाने में महती भूमिका होगी.

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