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भारतीय मूल के युवा इनोवेटर की बड़ी कामयाबी, स्मार्टफोन से अब हेल्थ चेक-अप भी!
तकनीकी विकास के इतिहास में स्मार्टफोन ऐसी डिवाइस है, जिसने कई डिवाइसेस, मसलन-कैल्कुलेटर, कैमरा, म्यूजिक सिस्टम, घड़ी, रेडियो आदि की जरूरत को तकरीबन खत्म कर दिया है़ अब यह डिवाइस आपके स्वास्थ्य को भी परखने में सक्षम होने जा रही है़ भारतीय मूल के इनोवेटर श्वेतक ने स्मार्टफोन को हेल्थ चेक-अप डिवाइस के रूप में […]
तकनीकी विकास के इतिहास में स्मार्टफोन ऐसी डिवाइस है, जिसने कई डिवाइसेस, मसलन-कैल्कुलेटर, कैमरा, म्यूजिक सिस्टम, घड़ी, रेडियो आदि की जरूरत को तकरीबन खत्म कर दिया है़ अब यह डिवाइस आपके स्वास्थ्य को भी परखने में सक्षम होने जा रही है़
भारतीय मूल के इनोवेटर श्वेतक ने स्मार्टफोन को हेल्थ चेक-अप डिवाइस के रूप में तब्दील करने में कामयाबी हासिल की है़ इससे महंगे स्वास्थ्य जांच के खर्चों से निजात तो मिलेगी ही, साथ ही घर बैठे स्वयं के स्वास्थ्य की नियमित निगरानी भी आसान हो जायेगी़ आज के मेडिकल हेल्थ में जानिये इसकामयाबी की कहानी…
शारीरिक स्वास्थ्य और वेलनेस यानी तंदुरुस्ती कायम रखने के लिए भविष्य में संबंधित आंकड़ों को आसानी से हासिल करने और उनके सटीक विश्लेषण करने की क्षमता से जुड़ा होगा. यूनिवर्सिटी ऑफ वॉशिंगटन में कंप्यूटर साइंस और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर श्वेतक पटेल ने इसे समग्रता से समझा और अपनी दक्षता के बूते वे आम लोगों की स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान तलाशने मेंजुटे हैं. पटेल की पहचान आज एक प्रख्यात शोधकर्ता और उद्यमी के तौर पर कायम हो चुकी है. हाल ही में उन्होंने स्मार्टफोन आधारित कुछ ऐसे एप्स विकसित किये हैं, जिनके जरिये एक आम इनसान अपने स्वास्थ्य की जांच कर सकता है. इसकी बड़ी खासियत है कि इसकी लागत अस्पतालों में होनेवाली जांच की लागत से काफी कम है.
सेनोसिस हेल्थ
अपने नये स्टार्टअप ‘सेनोसिस हेल्थ’ के जरिये श्वेतक ने इन एप्स को विकसित किया है, जो डिजिटल हेल्थ इनाेवेशन के लिहाज से एक नया आयाम गढ़ सकते हैं. श्वेतक के हवाले से ‘ग्रीकवायर डॉट कॉम’ की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि वे अपनी इंजीनियरिंग स्किल का इस्तेमाल दुनियाभर में लोगों के जीवन में कुछ बड़ा फर्क पैदा करने के लिए करना चाहते थे.
वे कहते हैं, ‘कंप्यूटिंग टेक्नोलॉजी के माध्यम से आम लोगों की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का समाधान मुहैया कराया जा सकता है.’
श्वेतक कहते हैं, ‘हमारा आइडिया यह था कि मोबाइल फोन में पहले से मौजूद और बेहद कारगर साबित हो चुके सेंसर का इस्तेमाल कैसे किया जाये, ताकि क्लिनीक या अस्पतालों में इसे स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं की जांच के लिए इस्तेमाल में लाया जा सके. और हमने इस पर काम शुरू कर दिया कि स्मार्टफोन में मौजूद माइक्राेफोन, कैमरा, फ्लैश, एक्सीलेरोमीटर आदि का इस्तेमाल किस तरीके से किया जाये, जिसकी खासियतों को अब तक नहीं जाना जा सका है.’
सिनोसिस की खासियत
महज एक मोबाइल फोन के माध्यम से बीमारी ही पहचान और उसके समुचित इलाज के लिए समाधान मुहैया कराते हुए सिनोसिस स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक नयी क्रांति ला सकता है. इसका मकसद दुनियाभर में विविध भौगोलिक दशाओं के अधीन व्यापक स्तर पर स्वास्थ्य समाधान मुहैया कराना है. सिनोसिस के दायरे में विविध पृष्ठभूमि के लोग हैं और उन सभी के अनुभवों का फायदा उठाते हुए इसे ज्यादा-से-ज्यादा उपयोगी बनाया जा रहा है. इसकी प्रमुख खासियत इस प्रकार है :
त्वरित परिणाम आम तौर पर लैबोरेटरी से बीमारी की जांच की रिपोर्ट आने में काफी समय लगता है और इसे समग्रता से समझने के लिए डॉक्टर से मिलना जरूरी होता है. इस एप्प के इस्तेमाल से रिपोर्ट का इंतजार नहीं करना होगा अौर डॉक्टर से मिलने की जरूरत नहीं होगी.
कम लागत चूंकि इस तरीके से बीमारी की जांच के लिए किसी तरह के उपरकण खरीदने की जरूरत नहीं पड़ती है. इसके लिए केवल मोबाइल से डाउनलोड करना होता है और प्रत्येक बार इसके इस्तेमाल के आधार पर भुगतान करना होता है.
ज्यादा भरोसेमंद इस सेक्टर में संबंधित समाधान मुहैया करानेवालों के मुकाबले इस तकनीक के जरिये बीमारियों की जांच को ज्यादा भरोसेमंद पाया गया है और विशेषज्ञों ने इसे वैध करार दिया है.
श्वेतक पटेल
श्वेतक एन पटेल कई तकनीकी स्टार्टअप के फाउंडर हैं. यूनिवर्सिटी ऑफ ग्लोबल इनोवेशन एक्सचेंज के वे सीटीओ और डायरेक्टर भी हैं. 35 वर्षीय पटेल की रुचि ह्यूमेन-कंप्यूटर इंटेरेक्शन, सेंसर आधारित सिस्टम और यूजर इंटरफेस सॉफ्टवेयर एंड टेक्नोलॉजी में रही है. नये सेंसिंग सिस्टम, एनर्जी एंड वाटर सेंसिंग, मोबाइल हेल्थ को विकसित करने के अलावा वे अन्य विविध तकनीकों को विकसित करने में जुटे हैं. कुछ वर्ष पूर्व उन्होंने घरेलू
ऊर्जा की निगरानी के लिए एक कंपनी का गठन किया था. लॉ-पावर वायरलेस सेंसर विकसित करनेवाली एक अन्य कंपनी के वे सह-संस्थापक भी रह चुके हैं. जॉर्जिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से कंप्यूटर साइंस में पीएचडी कर चुके पटेल को अमेरिका में अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है. वर्ष 2013 में इन्हें वर्ल्ड इकोनॉमिक फॉरम यंग ग्लोबल साइंटिस्ट अवॉर्ड दिया जा चुका है. इसके अलावा, इन्हें अन्य कई प्रकार के फेलोशिप व अवॉर्ड मिल चुका है.
बिलिकैम
बिलीकैम नवजात शिशुओं में पीलिया बीमारी की पहचान करने के लिए एक बेहतर विकल्प है, जिसके लिए स्मार्टफोन के कैमरे का इस्तेमाल किया जाता है. दरअसल, शिशुओं में होनेवाली यह एक घातक बीमारी है, जो उनके मस्तिष्क को क्षतिग्रस्त करने के अलावा कई बार जानलेवा भी साबित होती है.
शिशुओं में इस बीमारी का पता लगाने के लिए अब तक उनकी त्वचा में खास प्रकार का ‘पीलापन’ तलाशा जाता रहा है, लेकिन अब कैमरा और फ्लैश की आपसी माप से त्वचा द्वारा ग्रहण किये गये प्रकाश के वेवलेंथ के परीक्षण के जरिये रक्त में बिलिरूबिन की मात्रा की माप की जाती है. अमेरिका में इस एप्प के माध्यम से नवजात शिशुओं के माता-पिता बिना किसी विशेषज्ञ की मदद से या बार-बार खून की जांच से बचते हुए इस तकनीक से आसानी से यह जांच करने में सक्षम हो रहे हैं.
दुनिया के अनेक हिस्सों में, मिडवाइव्स और घूम-घूम कर लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया करानेवाली नर्सों के लिए यह एप्स खास तौर से मददगार साबित हो रहा है, क्योंकि बच्चों के जन्म लेने की प्रक्रिया में इन नर्सों की बड़ी हिस्सेदारी होती है, लेकिन नवजात शिशु के पीलिया की जांच के लिए इनके पास कोई सक्षम साधन नहीं होता है. ऐसे में भारत जैसे देशों के ग्रामीण इलाकों के लिए यह एप्प एक बड़ी उम्मीद लेकर आया है और ऐसी दशाओं में इसकी भूूमिका वाकई में बढ़ जायेगी.
सिनोसिस के माध्यम से विकसित एप्स
विविध संगठनों के जरिये श्वेतक द्वारा विकसित किये गये प्रमुख हेल्थ एप्स
स्पाइरोस्मार्ट/स्पाइरोकॉल
दुनियाभर में करोड़ों लोग सांस संबंधी गंभीर बीमारियों की चपेट में हैं और लाखों लोगों को इस बीमारी के कारण अपनी जान गंवानी पड़ती है. संबंधित मरीज के फोन के माइक्रोफोन को स्पाइरोमीटर से रिप्लेस करते हुए स्पाइरोस्मार्ट फेफड़े की गतिविधियों की माप करता है और अस्थमा, सिस्टिक फाइब्रोस व प्यूलमोनरी डिजीज की निगरानी करता है. स्पाइरोकॉल भी इसी से संबंधित एक प्रोजेक्ट है, जो उन जगहों के लिए ज्यादा कारगर साबित होता है, जहां संसाधनों का अभाव है और स्मार्टफोन की पहुंच बेहद सीमित होती है. एक टॉल-फ्री कॉलिंग सर्विस के जरिये किसी भी फोन को स्पाइरोमीटर में तब्दील किया जा सकता है.
हेमाएप्प
हेमाएप्प स्मार्टफोन के कैमरे के इस्तेमाल से रक्त में हिमोग्लोबीन की मात्रा को मापने का एक साधन है. एनीमिया, कुपोषण और प्यूल्मोनरी इलनेस यानी फुफ्फुसीय बीमारी में हिमोग्लोबीन पर इसका असर पड़ता है. यह एप्प न केवल बीमारी की जांच करनेवाला साधन है, बल्कि यह किसी व्यक्ति या समुदाय के पोषण के स्तर का मूल्यांकन करने में मेडिकल प्रोफेशनल्स की मदद भी कर सकता है. मौजूदा समय में इन चीजों की निगरानी के लिए या तो ब्लड सैंपल यानी खून के नमूने की या फिर महंगे उपकरणों की जरूरत पड़ती है. हेमाएप्प के जरिये मरीज के शरीर से बिना रक्त निकाले हुए यानी खून की जरूरत के बिना यह सटीक नतीजे दर्शाने में सक्षम है. इससे सैंपल के माध्यम से इंफेक्शन का जोखिम भी कम होगा.
बीपी सेंस
श्वेतक के नेतृत्व में यूनिवर्सिटी ऑफ वॉशिंगटन की प्रयोगशाला में विकसित किया गया यह एक अन्य एप्प है, जो ट्रांसमिट टाइम एनालिसिस के इस्तेमाल से ब्लड प्रेशर की माप करता है. इसमें धमनियों के माध्यम से यह जाना जाता है कि नाड़ी का दबाव कितना है.
इनसान के फिंगरटिप और कान के पल्स की एकसाथ माप के लिए इस मैथॉड के तहत फोन के डुअल कैमरे का इस्तेमाल किया जाता है. दूसरी विधि के तहत फोन के माइक्रोफोन और कैमरे के इस्तेमाल से इनसान के हार्ट बीट को जाना जाता है और उसके फिंगरटिप के नाड़ी की माप की जाती है. इसके अलावा, निगरानी प्रणाली के दौरान यह मरीज की रोज ब्लड प्रेशर चेक करता रहता है.
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