अंतरराष्ट्रीय योग दिवस : जीवनशैली के रोग दूर रखता है योग

पतंजलि का योग दर्शन मानवजाति की एक अनूठी धरोहर है, लेकिन विश्व पटल पर उसे मान्यता अब जाकर मिली है. 21 जून को विश्व योग दिवस मनाने के पीछे प्रकृति प्रेम की अवधारणा निहित है. दरअसल 21 जून साल का सबसे लंबा दिन होता है और समझा जाता है कि इस दिन सूरज, रोशनी और […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 21, 2017 6:05 AM
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पतंजलि का योग दर्शन मानवजाति की एक अनूठी धरोहर है, लेकिन विश्व पटल पर उसे मान्यता अब जाकर मिली है. 21 जून को विश्व योग दिवस मनाने के पीछे प्रकृति प्रेम की अवधारणा निहित है. दरअसल 21 जून साल का सबसे लंबा दिन होता है और समझा जाता है कि इस दिन सूरज, रोशनी और प्रकृति का धरती से विशेष संबंध होता है. इस दिन का इसका उद्देश्य है- योग के अद्भुत गुणों का प्रसार करना और चुनौतीपूर्ण रोगों की दर में कमी लाना. आज ज्यादातर रोग-बीमारियां हमारी गलत जीवनशैली का ही परिणाम हैं. हम जीवन में योग को शामिल कर इसे स्वस्थ एवं सुंदर बना सकते हैं.
मधुमेह
भारत अब विश्व की मधुमेह राजधानी है. कई महिलाएं गर्भावस्था में रक्त में ग्लूकोज की अधिक मात्रा में चढ़ जाने से डायबिटिक हो जाती हैं, लेकिन मधुमेह मूलतः मोटापे का परिणाम है, जिसका प्रमुख कारण है- मीठे का अधिक सेवन. पूरे दिन बैठे रहना और व्यायाम की कमी भी मधुमेह को बुलावा है. रोगी शरीर में उपलब्ध ग्लूकोज़ का पूरा उपयोग नहीं कर पाता, जिससे रक्त में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ जाती है. समय पर इलाज़ न हो, तो यह किडनी, आंख सहित अन्य अंगों को नुकसान पहुंचाता है. रात्रि भोजन के बाद कुछ देर वज्रासन में बैठें और थोड़ी देर बाद 30 मिनट तक टहलें. कैलोरी के प्रति सतर्क रहें. भोजन चबा-चबाकर करें, ताकि ग्लूकोज मुख में ही बन जाये और कम इंसुलिन की जरूरत पड़े. भोजन की मात्रा कम हो जायेगी और मधुमेह भी ठीक हो जायेगा.
मधुमेह में अर्द्धमत्स्येन्द्रासन, जानुशिरासन, सुप्त वज्रासन, गोमुखासन, शशांकासन, हलासन, मत्स्यासन, उड्डियान बंध, शंख प्रक्षालन और सर्वांगासन के अलावा कपालभाती लाभकारी हैं, किंतु सबसे उपयोगी है- मंडूकासन. इससे लिवर, मूत्र संबंधी रोग, नाभिदोष और मोटापा दूर होता है तथा इंसुलिन बनानेवाला अग्नाशय सक्रिय होता है.
मंडूकासन की विधि
अंगूठे को शेष चारों उंगलियों से दबाकर मुट्ठी बना लें. वज्रासन में बैठें और मुट्ठियों को नाभि पर इस प्रकार रखें कि अंगूठे नाभि की ओर रहें. सांस छोड़ते हुए ठोड़ी आगे करते हुए आगे की ओर यथासंभव झुकें. जितना संभव हो, गरदन को ऊपर रखें. इस अवस्था में सहज सांस लेते हुए यथाशक्ति रुकें. सांस भरते हुए धीरे-धीरे वापस आएं. तीन से पांच बार इसे करें.
हृदय रोग
भारत में हर साल 30 लाख लोगों की मौत दिल कीबीमारी से होती है. हार्ट अटैक के 50 प्रतिशत मरीजों की अस्पताल पहुंचने से पहले ही मृत्यु हो जाती है. हमारे हृदय को खून की सप्लाई एक अलग रक्त वाहिका केद्वारा होती है, जिसे कोरोनरी आर्टरी कहते हैं.
इसकी दीवारों पर चिकनाई जमती रहती है, जिसे प्लाक कहते हैं. प्लाक से अंदर का व्यास कम हो जाता है, जिससे खून की आपूर्ति कम हो जाती है. कोरोनरी आर्टरी में खून का पहुंचना बंद होने से ही दिल का दौरा पड़ता है. निष्क्रिय जीवनशैली इसकी बड़ी वजह है. कोलेस्ट्रोल का बढ़ना, उच्च रक्तचाप, डायबिटीज, मोटापा, तनाव, असंतुलित आहार आदि इसके अन्य कारण हैं.
रखें ध्यान
हार्ट अटैक में सीपीआर बहुत उपयोगी है. इसलिए, सबको इसकी जानकारी होनी चाहिए. इसके लिए रोगी को लिटा कर उसके कपड़े ढीले कर दें और जितना हो सके उसके आसपास खुला वातावरण रखें. हथेलियों से रोगी की छाती पर तेज और जोर से दबाव डालें. हर दबाव के बाद छाती में मौजूद कम्प्रेशन को रिलीज करने का प्रयास करें. इस प्रकिया को 25-30 बार दोहराएं. इससे रोगी की धड़कनें फिर से लौट आयेंगी.
उपयोगी आसन
हृदय के रोगी को त्रिकोणासन, शवासन (सुबह-शाम 15-30 मिनट तक), गोमुखासन, शशांकासन, पादअंगुष्ठासन, सुखासन, भुजंगासन, शलभासन (एक-एक पांव से), पादोत्तानासन और मकरासन का अभ्यास करना चाहिए. किंतु वे कोई भी आसन या प्राणायाम करते समय सांस न रोकें. उन्हें उज्जायी, योगनिद्रा और अनुलोम-विलोम से काफी लाभ होगा. सांस धीमी और गहरी रहे. त्रिकोणासन फेफड़ों तक अधिक ऑक्सीजन पहुंचाता है और यह ऊर्जा को व्यवस्थित रखता है.
गठिया रोग
यूरिक एसिड का पाचन ठीक से न हो पाने के कारण रक्त में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ जाती है. गठिया इसी से होनेवाला रोग है. शराब, फ्रुक्टोज-युक्त पेय, मांस, मछली के सेवन, पाचन की खराबी, मोटापा, गुर्दे की बीमारी और मूत्रवर्धक समेत कुछ अन्य दवाइयां भी गठिया रोग का कारण बन सकती हैं. यह 75 प्रतिशत वंशानुगत होता है और ज्यादातर पुरुषों को होता है. लगभग 50% रोगियों में गठिया की शुरुआत पंजों से होती है. बाद में यही दर्द बढ़ता हुआ कोहनी, घुटनें, हाथों की उगुंलियों के जोड़ों और ऊतकों तक पहुंचता है.
रखें ध्यान
प्रोटीनयुक्त आहार से परहेज करें. चोकरयुक्त आटे की रोटी तथा छिलकेवाली मूंग की दाल खाएं. उबले अनाज, चावल, बाजरा, जौ, गेहूं, चपाती, उबली हुई हरी सब्जियां, अंकुरित अनाज, साबूदाना, गिरीदार फल, शहद तथा सभी प्रकार के फल (खट्टे फल एवं केला छोड़कर) पर्याप्त मात्रा में लें. रोज टहलें, व्यायाम और मालिश करें. कब्ज न होने दें. हफ्ता में एक दिन उपवास रखें.
उपयोगी आसन
गठिया रोगियों को सूर्य नमस्कार, वज्रासन, नावासन, कोणासन, पादोत्तानासन, सेतुबंधासन, पवन मुक्तासन, हलासन, भुजंगासन, शलभासन, से लाभ होगा, किंतु अधिक ज़ोर ताड़ासन पर देना चाहिए. बच्चों और महिलाओं के लिए यह विशेष उपयोगी है. कद बढ़ाने, लटके पेट को ठीक करने, वृद्धावस्था में हाथ-पैर के कंपन को दूर करने में इसकी बड़ी भूमिका है.
ताड़ासन की विधि
शवासन में लेटकर एड़ी-पंजों को मिला लें. सांस भरते हुए पंजों को नीचे की ओर तथा दोनों हाथों को सिर की ओर ले जाकर तानें. यानी हाथ-पैर दोनों विपरीत दिशा में तन रहे हों. इस दौरान हाथ ज़मीन से लगे हों. कुछ देर सांस रोकें, फिर छोड़ते हुए शरीर ढीला छोड़ दें. प्रक्रिया दो बार करें. इसे खड़े होकर भी कर सकते हैं, जिसमें पंजे की जगह एड़ी को ऊपर उठाना है.
त्रिकोणासन की विधि
दोनों पंजों पर खड़े होकर पैरों को थोड़ा फैलाएं. दायें पैर को दाहिनी ओर मोड़कर रखें. दोनों हाथों को कंधे की उंचाई तक लाकर पंख की तरह फैलाएं. सांस छोड़ते हुए दायीं ओर झुकें और सामने नज़र रखते हुए दायें हाथ से दायें पैर को छुएं. बायां हाथ आकाश की सीध में रहे और नज़र बायें हाथ पर हो. सांस भरते हुए वापस लौटें और दूसरे हाथ से भी यह प्रयोग दुहराएं. तीन से पांच बार तक इसे करें.
रक्तचाप, हाइपर एसिडिटी और माइग्रेन के रोगी यह आसन न करें.
गरदन दर्द
सरवाइकल स्पॉन्डिलाइटिस के मामले तीन गुना बढ़ गये हैं. कंप्यूटर पर कार्य करनेवाले अधिक पीड़ित हैं. प्रमुख कारण गलत पॉश्चर है, जिससे मांसपेशियों पर दबाव पड़ता है. रीढ़ सीधी करके न बैठने, लेट कर टीवी देखने, नर्म गद्दों और आराम कुरसी के प्रयोग से भी मामले बढ़े हैं. शरीर में कैल्शियम की कमी दूसरा अहम कारण है. रीढ़ में 33 गोटियां हैं. खासकर सी-6 और सी-7 के बीच की डिस्क अपनी जगह से खिसकती है या सूज जाती है, तभी समस्या होती है. गरदन घुमाने में परेशानी होती है और कमजोर मांसपेशियों के कारण बांहों को हिलाना मुश्किल होता है.
पाचन ठीक रखने के लिए मार्जरीआसन, जानुशिरासन, अधोमुख श्वानासन, पश्चिमोत्तानासन, उत्तानपादासन, नौकासन, भुजंगासन, धनुरासन, त्रिकोणासन, वज्रासन, सर्पासन, पवनमुक्तासन, मकरासन, शंख प्रक्षालन और कपालभाती प्राणायाम लाभकारी हैं. किंतु सर्वाधिक लाभ होगा कमर चक्रासन से. यह पुरुषों के पेट और महिलाओं के नितंबों की चरबी घटाने में भी कारगर है.
कमर चक्रासन की विधि
बैठकर दोनों पैरों को इतना फैलाएं कि दायां हाथ बायें पैर के अंगूठे को और बायां हाथ दायें पैर के अंगूठे को छू सके. सांस भरें और सांस छोड़ते हुए धड़ को बायीं ओर घुमाएं. दायें हाथ को बायें पैर के अंगूठे से आगे ले जाएं. सिर घुटने से लगा हो. बायां हाथ कमर के पीछे रहे. सांस भरते हुए वापस लौटें. यही प्रक्रिया दूसरे पैर से दुहराएं.
सर्वाइकल के लिए उष्ट्रासन उपयोगी है. इससे रीढ़ के तीनों हिस्से लचीले बनते हैं व रीढ के टेढ़ेपन, स्लिप डिस्क, स्पांडिलाइटिस की समस्याएं दूर होती हैं. यह लंबाई बढ़ाने और चरबी घटाने में भी लाभकारी है.
उष्ट्रासन की विधि
घुटनों के बल खड़े होकर घुटनों को थोड़ा फैला लें. सांस भरते हुए धीरे-धीरे पीछे की ओर इतना झुकें कि हथेलियां तलवों पर टिक जाएं. सांस को सहज रूप से चलने दें. कुछ पल बाद बहुत धीरे-धीरे वापस पूर्व स्थिति में लौटें और वज्रासन में बैठें.
अपच की समस्या
अपच या अजीर्ण खुद में कोई रोग नहीं है, बल्कि यह किसी संभावित गंभीर रोग का लक्षण है. अपच का मुख्य कारण है- ठूंस-ठूंस कर खाना, जिससे आकाश तत्व की कमी हो जाती है. यह स्थिति अधिक दिनों तक बनी रहे, तो शरीर में खून का बनना बंद हो जाता है और व्यक्ति धीरे-धीरे कमजोर होता जाता है. अधिक धूम्रपान-मद्यपान, तनाव, थकान भोजन का समय नियत न होना, कहीं भी-कुछ भी खा लेने, तनावपूर्ण मनोदशा में भोजन करने और बार-बार खाते रहने से पहले खाया हुआ भोजन ठीक से पच नहीं पाता है और यही अजीर्ण का मुख्य कारण है.
योग सिर्फ व्यायाम नहीं
सद्‌गुरु जग्गी वासुदेव
तनाव अपने शरीर को संभालने में आपकी असमर्थता है, यानी आपके शरीर में सहज तरीके से काम करने के लिए पर्याप्त ल्यूब्रिकेशन नहीं है, इसलिए घर्षण होता है. योग विज्ञान में इसके लिए कई अभ्यास हैं, जिनसे शरीर को घर्षण मुक्त कर सकते हैं.
श्रीश्री रवि शंकर
योग केवल एक व्यायाम नहीं है, अपितु यह आप किसी परिस्थि‍ति में किस प्रकार संचार और क्रिया करते हैं, की कुशलता है. योग सदैव अनेकता में एकता को बढ़ावा देता है. ‘योग’ शब्द का अर्थ ही जोड़ना है, जीवन और अस्त‍ित्व के विपरीत अंगों को जोड़ना. योग के लाभ अनन्य हैं.
प्रमुख रोगों में मुद्रा चिकित्सा
ओशो ऐश्वर्या
(मुंबई में प्रोफेसर व ओशोधारा से जुड़ीं योग विशेषज्ञ)
मधुमेह मुद्रा
दोनों हाथों के अंगूठों को मुट्ठियों में बांधें. मुट्ठियों के पृष्ठभाग की हड्डियों को मिला लें और नाभि के ऊपर भाग पर रखें. गहरी सांस छोड़ते हुए आगे झुकें, ताकि मुट्ठियों से आमाशय लिवर, पैंक्रियाज पर दबाव बने. इसे 10-12 बार करें.
हृदय रोग में अपान वायु मुद्रा
तर्जनी को मोड़कर अंगूठे की जड़ में लगाएं. अंगूठे के शीर्ष को मध्यमा और अनामिका के शीर्ष से मिलाएं. कनिष्ठा सीधी रहे. 15-15 मिनट तीन बार करें. हृदय की नसों की सिकुड़न दूर होती है और धड़कन सामान्य होती है.
गठिया रोग में वायु मुद्रा
तर्जनी को मोड़ कर अंगूठे की जड़ में लगाएं और अंगूठे से दबाएं. शेष तीन उंगलियां सीधी रखें. 45 मिनट करें.
वात नाड़ी कलाई के मध्य में स्थित है. वात मुद्रा से नाड़ी में बंध लग जाता है, यह सभी वात रोगों में लाभकारी है.
पाचन रोग में सूर्य मुद्रा
अंगूठे के शीर्ष को मध्यमा, अनामिका के शीर्ष से मिलाएं. तर्जनी और कनिष्ठा सीधी रहे. प्रत्येक भोजन के आधे घंटे बाद 15 मिनट ही करें. अपान मुद्रा नाड़ियों का शोधन करती है. पेट के सभी विकारों में यह लाभकारी है.
गरदन दर्द में सर्वाइकल मुद्रा
रीढ़ सीधी रखते हुए अंगूठे छोड़ कर बाकी उंगलियों से मुट्ठी बनाएं. हथेली को जांघों पर रखें. मुट्ठी की दिशा ऊपर की ओर रहे. अंगूठे बाहर की ओर रहें. सी-1 से सी-7 गोटियां प्रभावित होती हैं और कंधों का दर्द दूर होता है.
पांच लाख करोड़ का योग का बाजार
एक अनुमान के मुताबिक बीते तीन वर्षों में ही योग के बाजार में करीब 100 प्रतिशत तक का उछाल आया है. जून, 2016 के आंकड़ों के आधार पर साफ है कि योग ने एक बड़े बाजार को भी खड़ा कर दिया है. सिर्फ देश में योग से जुड़े उत्पादों का बाजार 120 अरब तक पहुंच चुका है. 2015 और 2016 के बीच ही योग इंडस्ट्री में 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो गयी है. योग ट्रेनरों की संख्या 40 प्रतिशत तक बढ़ी, तो योग करनेवालों की संख्या भी 35 प्रतिशत बढ़ गयी. जून, 2016 तक पूरी दुनिया में योग इंडस्ट्री के 2.5 लाख करोड़ पार करने के आंकड़े बताये गये थे, जो इस साल के अंत तक 5 लाख करोड़ पार कर जाने का अनुमान है.
योग प्रशिक्षण की फीस लाखों में
योग साधना का माध्यम भी है और कमाई का साधन भी. देश में 400 से लेकर 1500 रुपये तक योग सिखाने की एक घंटे की फीस ली जाती है. 1.34 लाख रुपये ऋषिकेश के एक मशहूर योग केंद्र की फीस है. अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में 3 से 5 घंटे के 3-5 हजार डॉलर तक फीस है. एक साल में अमेरिका और चीन के साथ यूरोप में योग अपनानेवाले भी बढ़े हैं. बड़ी संख्या में भारतीय ट्रेनर जा रहे हैं और वहां से ट्रेनिंग लेने लोग भारत भी आ रहे हैं. सरकार योग कोर्स के लिए आनेवालों को अलग श्रेणी में वीजा देने की तैयारी कर रही है.
योग का बड़ा बाजार बना अमेरिका
योग दिवस शुरू होने का अमेरिका में योग बाजार पर कितना बड़ा प्रभाव पड़ा है यह आंकड़ों में दिखती है. 2008 के आंकड़े के मुताबिक करीब डेढ़ करोड़ (1.58 करोड़ ) लोग योग करते थे, लेकिन 2016 में यह बढ़ कर 3.67 करोड़ पर पहुंच गया. जिस रफ्तार से योग करनेवाले बढ़े, उसी रफ्तार से योग सीखानेवाले स्कूल भी अमेरिका में खुले. 2008 में सिर्फ 818 योग स्कूल थे, अब ये 3900 का आंकड़ा पार कर गया. आज अमेरिका में योग का बिजनेस करीब 1 लाख 80 हजार करोड़ रुपये का हो चुका है. सबसे खास यह है कि अमेरिका में 37 प्रतिशत योग करनेवाले 18 साल से कम उम्र के हैं।
एसोचैम की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में योग सीखनेवाले लोगों की संख्या करीब 20 करोड़ है. योग टीचर्स की मांग सालाना 35 प्रतिशत की दर से बढ़ी है. देश में योग ट्रेनिंग का कारोबार करीब 2.5 हजार करोड़ रुपये का हो चुका है.
– रचना प्रियदर्शिनी
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