Startup : डिग्री की जगह टैलेंट पर भरोसा कर हुए सफल

वरुण शूर सफल स्टार्टअप्स को लीड कर रहे ड्रॉपआउट आप रोज नये-नये स्टार्टअप्स के सफल होने की कहानियां पढ़ते होंगे. अगर आप उन पर ध्यान देंगे, तो पायेंगे कि सफल होनेवाले कई ऐसे युवा हैं, जिन्होंने कॉलेज की पढ़ाई बीच में छोड़ कर अपना स्टार्टअप शुरू करने का फैसला लिया. कई लोग तो ऐसे भी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 22, 2017 6:17 AM
an image
वरुण शूर
सफल स्टार्टअप्स को लीड कर रहे ड्रॉपआउट
आप रोज नये-नये स्टार्टअप्स के सफल होने की कहानियां पढ़ते होंगे. अगर आप उन पर ध्यान देंगे, तो पायेंगे कि सफल होनेवाले कई ऐसे युवा हैं, जिन्होंने कॉलेज की पढ़ाई बीच में छोड़ कर अपना स्टार्टअप शुरू करने का फैसला लिया. कई लोग तो ऐसे भी हैं, जिन्होंने कॉलेज का मुंह तक नहीं देखा. आगे चल कर वे अपने फैसले में न सिर्फ सफल हुए, बल्कि दुनिया के लिए एक उदाहरण बन कर उभरे. आश्चर्य की बात है कि आज वे स्नातक और स्नातकोत्तर की पढ़ाई कर चुके युवाओं से मीलों आगे निकल चुके हैं. इस लिस्ट में ओपरा विनफ्रे, बिल गेट्स, स्टीव जॉब्स जैसी कई विश्व प्रसिद्ध हस्तियां शामिल हैं.
हम आपको कुछ ऐसे ही सफल भारतीय युवाओं के बारे बताने जा रहे हैं, जिन्होंने अपने टैलेंट पर भरोसा कर कॉलेज की पढ़ाई बीच में छोड़ दी. उन्होंने साबित किया है कि कुछ भी बड़ा करने के लिए डिग्री नहीं, जज्बे की जरूरत होती है. अब आपके मन में यह सवाल भी उठ रहा होगा कि क्या कॉलेज छोड़ देना ही सफलता का पैमाना है? इन युवाओं की कहानी में आपको इस सवाल का जवाब भी मिल जायेगा.
ये हो सकती हैं इनके सफल होने की वजह
– कॉलेज की शिक्षा में व्यावहारिक प्रशिक्षण की जगह सैद्धांतिक शिक्षा पर ज्यादा फोकस किया जाता है. यहां ईमानदारी से कहने की जरूरत है कि एक स्तर की पढ़ाई के बाद सैद्धांतिक शिक्षा असल जिंदगी को बदलने में उतनी कारगर नहीं हो पाती है. यहां इन युवाओं ने अपने टैलेंट पर भरोसा किया और पैशनेट हो कर ईमानदारी से अपना काम किया. आज इनकी सफलता को सभी सलाम करते हैं.
– कॉलेज ड्रॉपआउट्स अपने लक्ष्य को हासिल करने की शुरुआत उनसे पहले करते हैं, जिन्हें डिग्री या डिप्लोमा हासिल कर लेने का इंतजार होता है. ऐसे में स्वाभाविक है ड्रॉपआउट्स को अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए अधिक समय मिल जाता है.
– एजुकेशन के लिए वे जितना स्टूडेंट्स लोन लेते, उनका इस्तेमाल वे बिजनेस इन्वेस्टमेंट के लिए कर सकते हैं.
पंजाब के जालंधर शहर के रहनेवाले वरुण शूर ने 17 वर्ष की उम्र में स्कूल छोड़ने का फैसला लिया था. तब वे इंटमीडिएट फर्स्ट इयर के छात्र थे. वरुण शूर ने वर्ष 2001 में कायाको नाम से एक कंपनी शुरू की थी. यह कंपनी कस्टमर सपोर्ट सॉफ्टवेयर प्रोवाइड कराती है. आज कंपनी प्रॉफिट में है. एक लाख डॉलर ज्यादा के सॉफ्टवेयर डॉनेट कर चुकी है.
Exit mobile version