जगन्नाथपुर मेले को लेकर सजने लगीं दुकानें, रथ का हो रहा रंगरोगन, नेत्रदान 24 को
रांची : जगन्नाथपुर रथ मेले को लेकर तैयारी अंतिम चरण में है. भगवान जगन्नाथ के रथ का रंगरोगन किया जा रहा है. वहीं बड़े-बड़े झूले और दुकानें भी सजने लगी हैं. मंदिर के मुख्य पुजारी ब्रजभूषणनाथ मिश्र ने बताया कि प्रभु जगन्नाथ गर्भगृह में 23 जून तक रहेंगे. 24 जून को नेत्रदान के बाद आमजन […]
रांची : जगन्नाथपुर रथ मेले को लेकर तैयारी अंतिम चरण में है. भगवान जगन्नाथ के रथ का रंगरोगन किया जा रहा है. वहीं बड़े-बड़े झूले और दुकानें भी सजने लगी हैं. मंदिर के मुख्य पुजारी ब्रजभूषणनाथ मिश्र ने बताया कि प्रभु जगन्नाथ गर्भगृह में 23 जून तक रहेंगे. 24 जून को नेत्रदान के बाद आमजन को दर्शन देंगे. मंदिर के गर्भगृह से बाहर आने के बाद भगवान का नेत्रदान होगा. यह अनुष्ठान दिन के 4.30 बजे से शुरू होगा. महाआरती में सैकड़ों भक्त शामिल होंगे. शाम पांच बजे से श्रद्धालुओं के लिए दर्शन सुलभ होगा. इस दिन संध्या में भगवान जगन्न्नाथ, बलराम और सुभद्रा की आरती भी होगी.
इस बार होगी बांस की सीढ़ी
मेला में पूर्व में रथ पर सवार होने के लिए लकड़ी की सीढ़ी बनायी जाती थी. पहली बार इस वर्ष बांस की सीढ़ी बनायी जा रही है. कारीगर ने बताया कि बांस की सीढ़ी पर चढ़ने में सहुलियत होगी. ऊपर एक रस्सी की रेलिंग भी दी जायेगी. इसे लोग पकड़ पर आसानी से ऊपर-नीचे आना-जाना करेंगे.
रॉबर्ट झूला होगा आकर्षक का केंद्र
जगन्नाथपुर मेले में इस बार रॉबर्ट झूला मुख्य आकर्षक का केंद्र होगा. लोगों को अपनी जेब में रखे सामान को खाली करके झूले का आनंद लेना होगा. इसके अलावा ड्रेगन झूला, टावर झूला, नाव झूला आदि भी आकर्षण का केंद्र रहेंगे. साथ ही नाग-नागिन शो, मछली पकड़ने के लिए कुमनी, जाल, सजावटी सामान, घरेलू प्रयोग के लिए समान, ढोल, मांदर, पारंपरिक हथियार आदि के स्टॉल लगाये जा रहे हैं.
25 को भगवान जायेंगे मौसीबाड़ी
नेत्रदान के अगले दिन आषाढ़ शुक्ल द्वितीया यानी 25 जून को भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा, भाई बलराम मौसीबाड़ी जायेंगे. सुबह चार बजे से कार्यक्रम शुरू हो जायेगा. सबसे पहले महाआरती होगी. इसके बाद सुबह पांच बजे से आम जन भगवान के दर्शन करेंगे. यह सिलसिला दोपहर 1.55 बजे तक चलेगा. लक्ष्यार्चना के बाद विग्रहों को रथारुढ़ किया जायेगा. इसके बाद रथयात्रा आरंभ होगी. श्रद्धालु रथ को खींचकर मौसीबाड़ी तक ले जायेेंगे. चार जुलाई को भगवान मौसीबाड़ी से मुख्य मंदिर लौटेंगे.