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सुपरसोनिक एक्स-प्लेन बनायेगा नासा

रिसर्च : ध्वनि से भी तेज गति से उड़ेगा विमान मुकेश कुमार अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा जल्द ही यात्रीवाहक विमान के क्षेत्र में क्रांति लाने वाली है. नासा ने एक एेसे विमान का खाका खींचा है, जो ध्वनि से भी तेज रफ्तार से उड़ पाने में सक्षम हो. नासा ने इस सुपरसोनिक जेट का […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 30, 2017 7:13 AM
रिसर्च : ध्वनि से भी तेज गति से उड़ेगा विमान
मुकेश कुमार
अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा जल्द ही यात्रीवाहक विमान के क्षेत्र में क्रांति लाने वाली है. नासा ने एक एेसे विमान का खाका खींचा है, जो ध्वनि से भी तेज रफ्तार से उड़ पाने में सक्षम हो. नासा ने इस सुपरसोनिक जेट का डिजाइन भी तय कर लिया है. इस डिजाइन को क्यूयूइएसएसटी (क्वाइट सुपरसोनिक ट्रांसपोर्ट) डिजाइन नाम दिया है. हाल ही में नासा ने इस डिजाइन के लिए पीडीआर (प्रीलिमिनरी डिजाइन रिव्यू) का आयोजन किया.
इस आयोजन में नासा ने बताया कि क्यूयूइएसएसटी अभी अपने प्रारंभिक स्तर पर है और नासा की योजना एलबीएफडी (लो बूम फ्लाइट डेमोन्सट्रेशन) प्रायोगिक वायुयान बनाने की है, जिसे एक्स-प्लेन के नाम से भी जाना जायेगा.
इस परियोजना पर नासा, लॉकहीड मार्टिन कॉरपोरेशन के साथ मिलकर काम कर रही है. रिव्यू के दाैरान दोनों कंपनियों ने इस परियोजना पर एक संयुक्त बयान जारी किया. एजेंसी के अनुसार क्यूयूइएसएसटी डिजाइन एलबीएफडी एयरक्राफ्ट के उद्देश्यों को पूरा करने में सक्षम है. यह एयरक्राफ्ट सुपरसोनिक स्पीड से उड़ने के साथ-साथ आज के अन्य सुपरसोनिक उड़ानों की अपेक्षा धीमी गति और तेज गति दोनों में अच्छा प्रदर्शन करता है. एलबीएफडी एक्स-प्लेन को संयुक्त राज्य अमेरिका अौर विश्व के अन्य भागों में धरती के ऊपर सुपरसोनिक उड़ानों के लिए जरूरी जानकारी इकट्ठा करने के लिए भेजा जायेगा.
नासा ने क्यूयूइएसएसटी के प्रीलिमिनरी डिजाइन के लिए लॉकहीड मार्टिन के साथ फरवरी, 2016 में एक करार किया था. मर्इ में कंपनी ने क्यूयूइएसएसटी मॉडल के डिजाइन का परीक्षण पूर्ण किया. परीक्षण के लिए कंपनी ने आठ फुट लंबा और छह फुट चौड़ा मॉडल तैयार किया था.
इस मॉडल का परीक्षण क्लीवलैंड स्थित नासा रिसर्च सेंटर में किया गया. नासा के कॉमर्शियल सुपरसोनिक टेक्नोलोजी प्रोजेक्ट आैर प्रीलिमिनरी डिजाइन के मैनेजर डेविड रिचवाइन के अनुसार, इस तरह के प्रोजेक्ट का सफल क्रियान्वयन वैसा ही है, जैसा कि किसी पहाड़ को अपने सर पर उठा लेना. अपने इस प्रोजेक्ट के लिए इस पब्लिक डिजाइन रिव्यू की सफलता के बाद नासा की प्रोजेक्ट टीम सिंगल इंजन वाली एक्स-प्लेन का विकास करेगी. इस तकनीक का विकास आैर अधिग्रहण पूरी तरह काॅन्ट्रैक्ट आधारित है आैर यह सभी के लिए प्रतिस्पर्धात्मक आैर खुला है.
एलबीएफडी एक्स-प्लेन की फ्लाइट संबंधी जांच 2021 से होनी शुरू हो जायेगी.अगले कुछ महीनों में नासा, लाॅकहीड के साथ मिलकर क्यूयूइएसएसटी प्रीलिमिनरी डिजाइन को अंतिम रूप देने का प्रयास करेगा. इसके लिए उन्होंने कुछ मानदंड तैयार किये हैं, जिनमें स्थिर अंतरवाही प्रदर्शन के साथ-साथ निम्न गतिकी युक्त वायु का प्रवाह प्रमुख है. यह परीक्षण हैम्पटन में नासा के लांग्ले रिसर्च सेंटर में होगा.
क्या है सुपरसोनिक?
सुपरसोनिक गति का सूचक है. वैसे विमान, जो ध्वनि की गति से भी तेज उड़ान भरते हैं, सुपरसोनिक विमान कहलाते हैं. वहीं ध्वनि की रफ्तार से पांच गुना तेज गति हाइपरसोनिक कहलाती है.
ध्वनि के वेग से अधिक तेजी से उड़ने वाले विमानों की चाल को मापने के लिए मैक नंबर का प्रयोग होता है. मानक परिस्थितियों में ध्वनि की चाल 344 मीटर प्रति सेकेंड या 1238 किलोमीटर प्रति घंटा है. समुद्र तल पर ध्वनि का वेग लगभग 1225 किलोमीटर प्रति घंटा होता है जो ऊंचाई के साथ-साथ कम होता जाता है. लगभग 10,500 मीटर की ऊंचाई पर ध्वनि का वेग 1060 किलोमीटर प्रति घंटा होता है. इस वेग से अधिक वेग की उड़ान ही सुपरसोनिक उड़ान है.
डिजायन दूसरों से भिन्न
सुपरसोनिक विमानों की डिजाइन अन्य विमानों से भिन्न होती है. इनकी उड़ानों से शाॅकवेब पैदा होता है. शाॅकवेब एक प्रकार की दबाव तरंगें हैं, जो उड़ते विमान के अगले भाग से चारों ओर फैलती है.
इस कारण सुपरसोनिक विमान के सारे हिस्से चिकने आैर सपाट होते हैं. इस विमान का जनक हंगरी में जन्मे अमेरिकी वैज्ञानिक थिओडोर कार्मन को माना जाता है. बेल एक्स-1 पहला सुपरसोनिक विमान था, जिसने 19 जनवरी, 1946 को अपनी पहली उड़ान भरी थी.

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