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जीएसटी की चुनौतियां-4 : सबसे बड़ी बाधा है कंप्यूटराइजेशन

सरकार इस बार हर समस्या से निबटने को तैयार लग रही है संदीप बामजई आर्थिक पत्रकार जीएसटी लागू होने की इस वक्त सबसे बड़ी समस्या कंप्यूटराइजेशन की है. जो छोटे व्यापारी हैं, उनके पास कंप्यूटराइजेशन तकनीक के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर नहीं है और भारत इतना विशाल देश है कि हर छोटे व्यापारी के लिए कंप्यूटर का […]

सरकार इस बार हर समस्या से निबटने को तैयार लग रही है
संदीप बामजई
आर्थिक पत्रकार
जीएसटी लागू होने की इस वक्त सबसे बड़ी समस्या कंप्यूटराइजेशन की है. जो छोटे व्यापारी हैं, उनके पास कंप्यूटराइजेशन तकनीक के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर नहीं है और भारत इतना विशाल देश है कि हर छोटे व्यापारी के लिए कंप्यूटर का इस्तेमाल करना फिलहाल तो मुश्किल है.
यही वजह है कि रोज एक रोल बैक (पीछे हटना) होता है. मसलन, एक रोल बैक यह हुआ कि व्यापारियों से कहा गया है कि वे कुछ समय के लिए फिलहाल मेन्युअल स्लिप भी भर सकते हैं, जबकि पहले इनवाइस स्लिप को भरना जरूरी कहा गया था.
फर्टिलाइजर में 12 प्रतिशत जीएसटी का प्रावधान था, लेकिन फिर रोल बैक करते हुए कहा गया कि अब पांच प्रतिशत ही रहेगा. इसी तरह कई अन्य उत्पादों के साथ भी हुआ. ऐसे में समझ में यही आ रहा है कि जैसे-जैसे हम आगे बढ़ते जायेंगे, वैसे-वैसे जीएसटी को समझते जायेंगे.
अार्थिक नजरिये से देखें, तो जीएसटी एक उपलब्धि है हमारे लिए, लेकिन इसके लिए हम पूरी तरह से तैयार हैं, यह एक ‘मिलियन डॉलर का सवाल’ है, जिसका कोई भी जवाब फिलहाल तो नहीं है.
भारत की बड़ी खासियत यह है कि हम टेक्नोलॉजी को बहुत जल्द ही अपना लेते हैं और उसे आत्मसात भी कर लेते हैं. और हमारी यह खूबी भी है कि अगर हम ठान लें कि यही तरीका अपनाना है, तो बस उसे अपनाना ही है. ऐसे में यही समझ में आ रहा है कि फिलहाल कुछ चुनौतियां तो रहेेंगी, लेकिन कुछ महीनों या साल बाद इसके बड़े फायदे नजर आयेंगे. सरकार इस बार तैयार लग रही है और सोशल मीडिया पर चल रहे अफवाहों से दूर रहने के लिए खुद वित्त सचिव हंसमुख अधिया ट्विटर पर सक्रिय हैं. आद्या जी तमाम झूठी खबरों को खारिज कर रहे हैं, ताकि लोग भ्रम में आकर उल्टी-सीधी बातों से बचें. कुछ चीजों के दाम ज्यादा हो सकते हैं, लेकिन जीएसटी से चीजों के ओवरऑल दाम कम होंगे. अर्थव्यवस्था के नजरिये से जीएसटी इसलिए अच्छी है, क्योंकि मुद्रास्फीति कम है.
यह सरकार के लिए एक बेहतरीन मौका है कि वह आम जनता को यह बताने में कामयाबी हासिल करे कि जीएसटी से किस-किस तरह से कितने फायदे हो सकते हैं. घरेलू उपभोग के ऐतबार से जीएसटी से फायदे होने की संभावना तो है, क्योंकि मॉनसून भी ठीक है और ट्रैक्टरों की बिक्री भी अच्छी है, लेकिन उहापोह की स्थिति करीब छह महीने तक बने रहने की भी उम्मीद है. उसके बाद ही मुमकिन है कि हालत स्थिर हो. हालांकि, सामाजिक माहौल तो ऐसा बना हुआ है कि जीएसटी का हाल भी कहीं डीमोनेटाइजशन वाली तो नहीं होगी, जिसमें बार-बार नियम बदल रहे थे.
लेकिन, मुझे फिलहाल नहीं लगता, क्योंकि इस बार सरकार की सक्रियता पहले के मुकाबले ज्यादा है. हालांकि, यह सक्रियता देशभर में कंप्यूटराइजेशन के मामले में क्या साबित होगी, कुछ कहा नहीं जा सकता है. यही वजह है कि अब भी जीएसटी के लागू होने में सबसे बड़ी बाधा कहें या समस्या कहें, कंप्यूटराइजेशन सामने खड़ी है. और उसमें भी इनवाइस भरने की प्रक्रिया तो और भी मुश्किल प्रक्रिया है, क्योंकि हर चीज का एक इनवाइस भरना जरूरी है.

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