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अद्भुत संयोग लेकर आया सावन

सदुपायकथास्वपण्डितो हृदये दु:खशरेण खण्डित:। शशिखण्डमण्डनं शरणं यामि शरण्यमीरम् ॥ अद्भुत संयोग लेकर आया सावन सोमवार से शुरू, सोमवार को ही समापन इस बार सावन का शुभारंभ सोमवार को हुआ और सावन का समापन भी सोमवार को ही होगा. इसके साथ ही सावन और भी कई अद्भुत संयोग लेकर आया है. इस साल सावन महीने में […]

सदुपायकथास्वपण्डितो हृदये दु:खशरेण खण्डित:। शशिखण्डमण्डनं शरणं यामि शरण्यमीरम् ॥
अद्भुत संयोग लेकर आया सावन
सोमवार से शुरू, सोमवार को ही समापन
इस बार सावन का शुभारंभ सोमवार को हुआ और सावन का समापन भी सोमवार को ही होगा. इसके साथ ही सावन और भी कई अद्भुत संयोग लेकर आया है. इस साल सावन महीने में 5 सोमवार है. सावन महीना सोमवार 10 जुलाई से शुरू हो रहा है. 10 जुलाई , 17 जुलाई , 24 जुलाई , 31 जुलाई व 7 अगस्त को सोमवार शिव पूजा और व्रत के दिन आयेंगे. ज्योतिषाचार्य डॉ सदानंद झा ने बताया कि इस वर्ष पांच सोमवार, पांच शनिवार व पांच रविवार है.
श्रावण पूर्णिमा के दिन श्रवणा नक्षत्र है. उसी दिन चंद्रग्रहण भी लग रहा है. इसलिए सात अगस्त को रक्षाबंधन भद्रा के बाद दिन में 10:30 बजे के बाद है. साथ ही चंद्रग्रहण का सूतक उसी दिन दोपहर 1:52 बजे शुरू हो जायेगा. इसलिए 10:30 से 1:52 के बीच में ही रक्षाबंधन का कार्य संपन्न कर लेना चाहिए. 20 जुलाई गुरुवार को पुष्य नक्षत्र का सूर्य दिन में 3:03 बजे आयेगा और रविवार 23 जुलाई को संक्रांति एवं रवि की अमावस्या खप्पर नामक योग पैदा कर रहा है. इसलिए इसके प्रभाव से भीषण बारिश, बाढ़ व प्राकृतिक घटनाएं घट सकती है.
चार माह तक सृष्टि का संचालन भगवान महादेव के हाथों
ज्योतिषाचार्य डॉ सदानंद झा ने हिंदू धर्म में चातुर्मास का विशेष महत्व बताते हुए कहा कि इस चार माह में सृष्टि का संचालन महादेव स्वयं करते हैं. ईश्वर की कृपा से वर्षा काल होने से यह महीना अन्नदाता किसानों को भी प्रिय होता है. भगवान शिव की साक्षात कृपा के लिए भक्तगण मनोयोग से उनकी पूजा अर्चना करते हैं. शिव भी अपने भक्तों पर नजर रखते हैं और उनकी सारी मनोकामनाएं पूरी करते हैं, उन्हें अभयदान देते हैं. इस चार माह के बीतने के बाद जब भगवान विष्णु योगनिद्रा से बाहर आते हैं, तब शिव फिर से समाधि में चले जाते हैं.
डाक बम के पीठ पर प्रिंट रहेंगे आपात नंबर : डाक बम को पहचान पत्र देने के अलावा डाक बम परची उसके पीठ पर जिले के महत्वपूर्ण व आपातकालीन टेलीफोन नंबर प्रिंट रहेंगे. महाआरती के लिए सार्वजनिक चंदा की वसूली पर रोक महाआरती के लिए सार्वजनिक चंदा आदि की वसूली नहीं की जायेगी. सिर्फ आरती और भजन कीर्तन से संबंधित सांस्कृतिक गतिविधि होगी.
कई स्थानों पर लगे नक्शे : जिला प्रशासन कांवरिया पथ के कई स्थानों पर नक्शा के साथ कांवरियों को दी जानेवाली सेवाओं और शिविर की जानकारी का प्रदर्शन रहेगा. समय-समय पर भूले-बिसरे श्रद्धालु की सूचना भी प्रसारित की जायेगी. सीढ़ी घाट पर जन संपर्क का एक प्रदर्शन केंद्र सह कार्यालय की स्थापना की जायेगी.
सावन में शिवलिंग पर जलाभिषेक का विशेष महत्व है. यह अभिषेक जल और दूध के अतिरिक्त कई तरल पदार्थों से किया जाता है. आइए जानते हैं किस धारा के अभिषेक से क्या फल मिलता है.
गंगाजल चढ़ाने से : गंगाजल से सर्वसुख व मोक्ष की प्राप्ति होती है.
दूध चढ़ाने से : भगवान शिव को दूध की धारा से अभिषेक करने से मुर्ख भी बुद्धिमान हो जाता है, घर की कलह शांत होती है.
जल चढ़ाने से : जल की धारा से अभिषेक करने से विभिन्न मनोकामनाओं की पूर्ति होती है.
घृत चढ़ाने से : घृत यानी घी की धारा से अभिषेक करने से वंश का विस्तार, रोगों का नाश तथा नपुंसकता दूर होती है.
इत्र चढ़ाने से : इत्र की धारा चढ़ाने से काम, सुख व भोग की वृद्धि होती है.
शहद चढ़ाने से : शहद के अभिषेक से टीबी रोग का क्षय होता है.
गन्ने का रस चढ़ाने से : गन्ने के रस से आनंद की प्राप्ति होती है.
सोमवार से सावन शुरू हो रहा है. गंगाधाम (सुलतानगंज) से बाबाधाम (देवघर) तक एक माह तक कांवरिया पथ केसरियामय रहेगा. विश्व के सबसे लंबे मेले में न कोई छोटा न बड़ा. सब बाबा भोलेनाथ के भक्त. मुंह में बस बोलबम के बोल. मन में बाबा के दर्शन की इच्छा. बच्चे से लेकर बूढ़े, स्वस्थ से लेकर दिव्यांग तक इस मेले के साक्षी बनते हैं. देश-विदेश के श्रद्धालु यहां आकर आत्मिक संतुष्टि पाते हैं. इस बार बिहार-झारखंड में कांवर यात्रा के दौरान सुविधाओं में कई तरह के बदलाव हुए हैं. तीन जगहों पर टेंट सिटी है, यात्रा में सुगमता के लिए मोबाइल एप लांच किया गया है.
कहां से कितने किलोमीटर
सुल्तानगंज से असरगंज 11
असरगंज से मनिया मोड़ 12
मनिया मोड़ से कुमारसार 6
कुमरसार से जिलेबिया 11
जिलेबिया से सूईया 12
सूईया से कांवरिया 13
कांवरिया से इनारावरण 08
ईनारावरण से गोड़ियारी 08
गोड़ियारी से कलकतिया 08
कलकतिया से दर्शनिया 06
दर्शनिया से बाबाधाम 01
कुल 96
(नये कच्चे कांवरिया पथ के निर्माण से पिछले साल से दूरी 09 किमी कम हो गयी है.)
चार्ट देखें, खरीदारी करें
सामग्री पूर्व की दर इस वर्ष की दर
चूड़ा स्थानीय 28 रुपये प्रति किलो 30 रुपये प्रति किलो
चूड़ा वर्द्धमान 34 रुपये प्रति किलो 36 रुपये प्रति किलो
चूड़ा रायपुर 36 रुपये किलो 40 रुपये प्रति किलो
ईलायची दाना 50 रुपये किलो 60 रुपये प्रति किलो
पेड़ा- 800 ग्राम खोआ व 200 ग्राम चीनी-"270 किलो-अब "280 किलो
पेड़ा- 700 ग्राम खोआ व 300 ग्राम चीनी-"220 किलो-अब "220 किलो
खाद्य सामग्री
छेना मिठाई बड़ा 10 रुपये प्रति पीस
छेना मिठाई छोटा 05 रुपये प्रति पीस
दही स्पेशल 80 रुपये प्रति किलो
जलेबी 100 रुपये प्रति किलो
नाश्ता 30 रुपये प्रति प्लेट
सिंघाड़ा-बड़ा 05 रुपये प्रति पीस
सिंघाड़ा-छोटा 03 रुपये प्रति पीस
अरवा चावल 40 रुपये प्रति प्लेट
उसना चावल 40 रुपये प्रति प्लेट
मारवाड़ी बासा ‘भरपेट’ 70 रुपये प्रति प्लेट
सब्जी स्पेशल 40 रुपये प्रति प्लेट
चाय स्पेशल 07 रुपये
एप डाउनलोड करें, बाबाधाम चलें
यदि अापके पास फोर जी कनेक्शन के साथ स्मार्टफोन है, तो श्रावणी मेला 2017 एप अपने फोन में डाउनलोड कर लीजिए. इसके बाद कांवर यात्रा शुरू कर दीजिए. यह मोबाइल एप गाइड की तरह काम करेगा. यात्रा से संबंधित जरूरी जानकारियां एक टच पर मुहैया होगी. आप लोकेशन नहीं जानते तो जीपीएस ऑन कर सकते हैं. इमरजेंसी में हैं और अस्पताल की सूची चाहिए, जिला प्रशासन का कंट्रोल रूम नंबर और कैंप की जानकारी चाहिए, ऐसी सभी जानकारी आप इस एप से प्राप्त कर सकते हैं.
पार्वती मंदिर तक बना फ्लाइओवर : बाबा बैद्यनाथ मंदिर परिसर में स्थित पार्वती मंदिर में जलार्पण करने के लिए इस वर्ष फ्लाइओवर की सुविधा रहेगी. उमा भवन से पार्वती मंदिर तक फ्लाइओवर का निर्माण किया गया है. श्रद्धालु फ्लाइओवर के जरिये पार्वती मंदिर तक पहुंचेंगे.
नेहरु पार्क से क्यू कॉम्प्लेक्स में प्रवेश करेंगे कांवरिये : नयी व्यवस्था में शामिल क्यू कॉम्प्लेक्स का निर्माण मानसिंघी के पास किया गया है.
इस क्यू कॉम्प्लेक्स भवन में एक बार में चार हजार कांवरियों को कतारबद्ध करने की व्यवस्था है. इसमें पानी, बिजली व शौचालय की सुविधा रहेगी. इस व्यवस्था से कांवरियों की लंबी कतार घट जायेगी. बीएड कॉलेज से कांवरियाें की कतार नेहरु पार्क पहुंचने के बाद यहां से क्यू कॉम्प्लेक्स में ले जाया जायेगा. क्यू कॉम्प्लेक्स से फुटओवर ब्रिज के जरिये कांवरिये संस्कार मंडप होते हुए बाबा मंदिर में प्रवेश करेंगे व अरघा से बाबा बैद्यनाथ पर जलार्पण करेंगे.
11वीं सदी में भी लोकप्रिय थे बाबा बैद्यनाथ
भागलपुर जिला के पत्थरघट्टा (कहलगांव) में नौवीं शताब्दी का एक लेख है, जिसमें कई तीर्थस्थलों का वर्णन है. इस क्रम में इस क्षेत्र का भी वर्णन है. इस लेख को बटेश्वर लेख या पत्थरघट्टा लेख के नाम से प्रसिद्ध है जिसे डीसी सरकार ने भी स्वीकार किया है. प्रो राधाकृष्ण चौधरी ने यह कहा है कि वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग अत्यंत ही प्राचीन ज्योतिर्लिंगों में से एक है और इसका संबंध विक्रमशीला विश्वविद्यालय से भी था. प्राचीनकाल में बटेश्वर एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थान था. इसके आधार पर यह कहा जाता है कि 11 वीं शताब्दी में वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग बहुत ही प्रसिद्ध थे. विजयराम के तीर्थमंगल में में भी इसकी चर्चा है. सियानास्टोन स्लेव लेख में बटेश्वर, चंपा, बैद्यनाथ, धर्मारण्य और सोमतीर्थ का वर्णन है .
इससे ज्ञात होता है कि ग्यारहवीं शताब्दी में बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग अत्यंत ही जनप्रिय हो चुके थे. ग्यारहवीं शताब्दी में ही संध्याकर नंदी का रामचरित लिखा गया जिसमें तीन क्षेत्रीय शासकों की चर्चा है . लक्ष्मणसूर, नरसिंहार्जुन और शूरपाल. इनमें लक्ष्मणसूर को अपर मंदार (बैद्यनाथ क्षेत्र) का शासक कहा गया है, नरसिंहार्जुन काकजंगल मंडल (राजमहल) का शासक कहा गया है और शूरपाल को कुंजावति का शासक बताया गया है. दुमका का प्राचीन नाम कुंजावति था.
राधाकृष्ण चौधरी के अनुसार वैद्यनाथ क्षेत्र का शासक लक्ष्मणसूर था और उसी ने बाबा मंदिर का निर्माण करवाया किन्तु अभी तक ऐतिहासिक पुष्टि नहीं हो सकी है. धार्मिक प्रतिष्ठानों का इतिहास धार्मिक साहित्य से ही प्रमाणित मानना समीचीन होता है. धार्मिक वांग्मय के विभिन्न ग्रंथों में वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग की चर्चा है जिनमें कुब्जिकातंत्र, मत्स्यपुराण, पद्यपुराण, ब्रह्मांडपुराण, कालिकातंत्र, तंत्रसार, ज्ञानार्वतंत्र, शक्तिसंगमतंत्र, शिवरहस्य, शिवपुराण, देवीभगवत और भविष्योत्तर पुराण प्रमुख है.
स्तोत्र साहित्य में भी वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग की र्चचाएं हैं और जिनसे इनके महत्व का सहज ही प्रतिपादन होता है. इतना ही नहीं इतर साहित्यों में भी वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग का उल्लेख है. पाश्चात्य पंडितों के विभिन्न ग्रंथों में भी प्रयाप्त उल्लेख है . राजेन्द्र लाल मिसर का कहना है कि देवघर नाम नवीन है और इस संबंध में त्रिलोकनाथ हालदार का भी कहना है कि देवगृह शब्द से ही अपभ्रंश होकर देवघर शब्द बना है. प्राचीन संस्कृत ग्रंथों में वैद्यनाथ नाम के परिवर्त में अनेक नाम मिलते हैं जैसे हार्द्रपीठ, परिद्रपीठ , केतकीवन , रावणवन, नारीखंड , वैद्यनाथ व चिताभूमि आदि . वैद्यनाथ में सती का हृदय गिरने के कारण इसे हार्द्रपीठ कहते हैं और सती के शवदाप के भस्म को आशुतोष शिव ने अपने सर्वांग में लेपन किया था और उनकी चिता पर बैठ कर यहां तपस्या की थी , इसलिए इसका नाम चिताभूमि है.
(वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग विशेषांक से साभार )
वाहनों का ठहराव
हंसडीहा से देवघर आने वाली बड़ी व छोटी वाहन चौपामोड़, हिंडोलावरण, तपोवन होते हुए कुंडा स्थित चरकी पहाड़ी वाहन पड़ाव में आयेगी. वापस जाने के लिए राइस मिल होते हुए बैजनाथपुर चौक से चौपामोड़ होते हुए हंसडीहा जायेगी.
सुल्तानगंज से देवघर आने वाली बड़ी व छोटी वाहन सीधा बाघमारा वाहन पड़ाव एवं वापसी में बाघमारा वाहन पड़ाव से सीधे सुल्तानगंझ की ओर जायेगी.
दुमका से देवघर आने वाली बड़ी व छोटी वाहन हिंडोलावरण, तपोवन होते हुए अथवा तिउरनगर, चरकी पहाड़ी बस पड़ाव पर आयेगी. स्थानीय वाहन अन्य माह की भांति इसी मार्ग से कुंडा मोड़ होते हुए पुराना मीना बाजार बस स्टैंड तक वाहन पड़ाव आयेगी एवं वापसी में फव्वारा गोलंबर आसाम एक्सेस रोड से दाहिने मुंड़कर पानी टंकी होते हुए बैजनाथपुर चौक, चौपामोड़ होते हुए दुमका की ओर प्रस्थान करेगी.
बस पड़ाव
स्थानीय वाहन बस पड़ाव : जसीडीह बस पड़ाव व पुराना मीना बाजार व क्लब ग्राउंड, 2. बाघमारा व चरकीपहाड़ी बस पड़ाव.
वाहनों के लिए प्रतिबंधित क्षेत्र
टावर चौक से आजाद चौक
आजाद चौक से बड़ा बाजार
आजाद चौक से शिक्षा सभा चौक
शिक्षा सभा चौक से लक्ष्मीपुर चौक
लक्ष्मीपुर चौक से शिवगंगा
डोमासी
होटल सीता से श्मशान घाट होते हुए शिवगंगा तक
संपूर्ण बीएन झा पथ
जलसार रोड से सनवेल बाजार होते हुए मंदिर तक
होटल भारती चौक से मानसिंघी तक
मानसिंघी से मंदिर तक
हरिहर बाड़ी शयनशाला गली
सत्संग चौक से सर्कुलर रोड
भुरभुरा मोड़ एवं उसके आसपास का क्षेत्र
कहां-कहां मिलेगा प्रवेश पत्र
दुम्मा प्रवेशद्वार, बाघमारा बस स्टैंड, बीएड कॉलेज, चरकी पहाड़ी
ऐसी जानकारियां, जो कांवर यात्रा में है जरूरी
यहां मिलेगी सहायता
श्रावणी मेले के दौरान देवघर से संबंधित तमाम जानकारी www.babadham.org का उपयोग कर सकते हैं.
भागलपुर जिला प्रशासन की वेबसाइट bhagalpur.bih.nic.in पर श्रावणी मेले का एक पेज है, जहां आवश्यक जानकारी उपलब्ध है.
सहायता चाहिए, तो करें कॉल
जिला नियंत्रण कक्ष 0641-2421555
नियंत्रण कक्ष, न्यू सीढ़ी घाट, सुलतानगंज 0641-2492086
नियंत्रण कक्ष, कृष्णगढ़, सुलतानगंज 0641-2492085
नियंत्रण कक्ष, जहाजघाट, सुलतानगंज 0641-2492012
नियंत्रण कक्ष, अजगैबीनाथ मंदिर, सुलतानगंज 0641-2492062
हेल्पलाइन नंबर, प्रखंड परिसर 0641-2492065
आयुक्त, दुमका 06434-222286, 227191, 9470591101
उपायुक्त, देवघर 06432-235718, 232680, 232720, 9801790728
एसपी, देवघर 06432-232733, 232777, 9470591079
डीडीसी, देवघर 06432-232344, 232246, 9470591444
एसडीपीओ 9470591050
नगर थाना प्रभारी 9470591050
कंट्रोल रूम 06432-235719, 275455, 100
मंदिर थाना 06432-291348
बैद्यनाथधाम रेलवे स्टेशन 06432-222401, 222417
जसीडीह स्टेशन आरक्षण केंद्र 06432-270724
जसीडीह स्टेशन 06432-270219
जसीडीह स्टेशन मेला नियंत्रण कक्ष 06432-290627
जसीडीह स्टेशन प्रबंधक 06432-27027
एसएसपी भागलपुर 9431800003
डीडीसी, भागलपुर 9431818374
एसपी, नवगछिया 9431800005
सदर एसडीओ, भागलपुर 9473191383
एडीएम भागलपुर 9473191382
सीएस, भागलपुर 9470003118
पुलिस उपाधीक्षक, विधि व्यवस्था 9431822601
थाना सुलतानगंज नियंत्रण कक्ष 0641-2492064
थाना प्रभारी, सुलतानगंज 9431822616
सीओ, सुलतानगंज 8544412468
बीडीओ, सुलतानगंज 9431818594
कार्यपालक पदाधिकारी, नप सुलतानगंज 9006943625
सुलतानगंज 0641-2492088, 7070747474
बांका डीएम-9431213579
बांका एसपी – 9431800004
बांका डीडीसी – 9472312118
बांका एसडीओ- 9473191389
बांका एसडीपीओ-9431800030
बांका एडीपीआरओ-8873330246
कटोरिया बीडीओ – 9431818290
चांदन बीडीओ – 9431818291
बेलहर बीडीओ – 9431818602
कटोरिया थाना – 9431822628
चांदन थाना- 9431822625
बेलहर थाना-9431822626

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