अमरनाथ यात्रा :फरिश्ता बना सलीम बची दर्जनों की जान
सोमवार की रात जब अमरनाथ यात्रा से लौट रहे 56 श्रद्धालुओं से भरी बस पर आतंकियों ने हमला किया, तो बस के ड्राइवर सलीम के पांव ब्रेक पर तभी पड़े, जब बस सुरक्षित इलाके में पहुंची. खुदा के इस नेक बंदे को आज पूरा देश सलाम कर रहा है. पढ़िए रिपोर्ट. विवेकानंद सिंह अमरनाथ यात्रा […]
सोमवार की रात जब अमरनाथ यात्रा से लौट रहे 56 श्रद्धालुओं से भरी बस पर आतंकियों ने हमला किया, तो बस के ड्राइवर सलीम के पांव ब्रेक पर तभी पड़े, जब बस सुरक्षित इलाके में पहुंची. खुदा के इस नेक बंदे को आज पूरा देश सलाम कर रहा है. पढ़िए रिपोर्ट.
विवेकानंद सिंह
अमरनाथ यात्रा पर गये श्रद्धालुओं पर कायराना हमला करनेवाले आतंकियों को नहीं मालूम होगा कि उस बस को चला रहा सलीम शेख फरिश्ता है, जो अपनी जान हथेली पर रखकर श्रद्धालुओं की जानें बचा लेगा. अमरनाथ यात्रा के श्रद्धालुओं पर गोलियां चलानेवाला हैवान था. सलीम ने वह कारनामा कर दिखाया, जो सही मायने में एक इनसान का फर्ज है. उसने अपनी जिंदगी की परवाह नहीं की और गोलियों की बौछार के बीच भी सिर झुका कर अपनी बस चलाता रहा और उसे सुरक्षाबल के कैंप तक पहुंचाया.
हर गोली पर उभरती थी चीख : सलीम के मुताबिक, आतंकी मोटरसाइकिल पर सवार होकर अंधाधुंध गोलियां दाग रहे थे. किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था. बस हर गोली पर चीख-पुकार मची थी. यात्री सीटों के नीचे छिपने की कोशिश कर रहे थे. इस दौरान सलीम पास बैठे गाड़ी के मालिक हर्ष ने सलीम से गाड़ी भगाने को कहा. इसी बीच गोली लगने से बस का टायर पंक्चर हो गया था. लेकिन सलीम शेख ने बस नहीं रोकी और करीब डेढ़ किलोमीटर तक तब तक अपनी बस दौड़ाता रहा, जब तक कि वह बस आतंकवादियों की पहुंच से बाहर नहीं निकल गयी.
रात में घर किया फोन : सलीम ने रात के तकरीबन 11 बजे अपने घर में फोन कर उन्हें अपने सलामत होने की खबर तो दी, साथ ही यह भी कहा कि वे लोग टेलीविजन न चलायें, जिससे घर के दूसरे लोगों और खास कर बीमार लोगों को टेंशन हो. गुजरात के दक्षिणी भाग के वलसाड जिला स्थित सलीम के घर अजीब-सी स्थिति है. एक तरफ तो उन्हें इस बात सुकून और गर्व है कि उनका अपना सलीम इस हमले में न सिर्फ सलामत बच गया, बल्कि उसने अपनी बस भगा कर दूसरों की जिंदगी बचाने की भी कोशिश की. लेकिन इस हमले में जो लोग मारे गये, उनके लिए इस परिवार के लोगों में तड़प भी है.
मां को बेटे पर गर्व : सलीम के बहादुरी भरे इस कारनामे पर उनकी मां रुंधे गले से कहती हैं कि उन्हें अपने बेटे पर गर्व है. सलीम की मां की तरह अस्पताल के बिस्तर पर पड़ी, बहुत-सी मां और बहन सलीम को दुआ दे रही हैं. एक घायल वृद्ध श्रद्धालु कहती हैं कि सचमुच अगर हमले के समय सलीम ने अपनी बहादुरी नहीं दिखायी होती, तो शायद आतंकियों की इस करतूत का अंजाम और भयानक होता. सलीम ने कहा कि बाबा ने मुझे वह ताकत दी कि मैं रुकूं नहीं. बस चलाता रहूं. लगातार फायरिंग हुई, लेकिन मैं रुका नहीं, अपनी बस चलाता रहा. हमले में अपनी 63 वर्षीय बहन को गंवानेवाली एक महिला यात्री ने बताया कि मेरी बहन मेरे पास बैठी थी. साथ ही हमारी तीसरी बहन भी बैठी थी, लेकिन गोली दरवाजे के पास बैठी बहन को लगी. वह मर गयी. मुझे कुछ नहीं हुआ. हमारे पीछे बैठे एक व्यक्ति की भी तुरंत मौत हो गयी.
सीएम ने की ब्रेवरी अवार्ड की सिफारिश: गुजरात के सीएम विजय रुपानी ने बहादुरी दिखाने के लिए बस ड्राइवर सलीम की सराहना की, उन्होंने कहा कि वे ड्राइवर को बहादुरी का अवॉर्ड दिलवाने की सिफारिश करेंगे. वलसाड के ओम ट्रैवल्स की बस को गुजरात से सलीम शेख लेकर आये थे. हमले की शिकार हुई बस दो जुलाई को वलसाड से निकली थी. बस में यात्रियों के साथ इसके मालिक हर्ष भी शामिल थे. इस हमले में सात लोगों की जानें गयीं, जिनमें पांच महिलाएं और दो पुरुष श्रद्धालु शामिल हैं.