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किसने कहा, नीतीश कुमार को बना देना चाहिए कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष

नयी दिल्ली : जाने-माने इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने कहा है कि लगातार पतन की ओर जा रही कांग्रेस पार्टी को नेतृत्व में बदलाव से ही उबारा जा सकता है. उन्होंने सुझाव दिया कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया जाना चाहिए. इस सुझाव को अपनी ‘फंतासी’ करार देते हुए गुहा ने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 13, 2017 6:45 AM
नयी दिल्ली : जाने-माने इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने कहा है कि लगातार पतन की ओर जा रही कांग्रेस पार्टी को नेतृत्व में बदलाव से ही उबारा जा सकता है. उन्होंने सुझाव दिया कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया जाना चाहिए. इस सुझाव को अपनी ‘फंतासी’ करार देते हुए गुहा ने कहा कि यदि जदयू अध्यक्ष नीतीश ‘दोस्ताना तरीके से ’ कांग्रेस पार्टी का कार्यभार संभालते हैं, तो यह ‘जन्नत में बनी जोड़ी’ की तरह होगी. अपनी किताब ‘इंडिया आफ्टर गांधी’ की 10वीं वर्षगांठ पर इसके पुनरीक्षित संस्करण के विमोचन अवसर पर मंगलवार को गुहा ने कहा, ऐसा इसलिए कह रहा हूं कि कांग्रेस बगैर नेता वाली पार्टी है और नीतीश बगैर पार्टी वाले नेता हैं.
स्तंभकार-लेखक गुहा ने कहा कि 131 साल पुरानी कांग्रेस अब कोई बड़ी राजनीतिक ताकत नहीं बन सकती और लोकसभा में अपनी मौजूदा 44 सीटों को भविष्य में बढ़ा कर ज्यादा-से-ज्यादा 100 कर सकती है. साल 2019 के लोकसभा चुनाव का हवाला देते हुए गुहा ने कहा, अब यदि कल उनका कोई नया नेता या नेतृत्व बन जाता है, तो चीजें बदल सकती हैं. राजनीति में दो साल लंबा वक्त होता है. गुहा ने कहा, एक ही पार्टी के शासन ने तो जवाहरलाल नेहरू जैसे बड़े लोकतंत्रवादी नेता को भी अहंकारी बना दिया था. इसने पहले से ही निरंकुश रही इंदिरा गांधी को और निरंकुश बना दिया. ऐसे में नरेंद्र मोदी और अमित शाह को यह चीज कैसा बना देगी, इसके बारे में मैंने सोचना शुरू कर दिया है.
राज्यों में लंबे समय तक एक ही पार्टी की सरकार विनाशकारी साबित हुई
गुहा ने कहा कि भारत पश्चिमी लोकतंत्रों के दो पार्टियों के स्थायी मॉडल को अपनाने में नाकाम रहा है. उन्होंने कहा कि राज्यों में दो पार्टियों की प्रतिद्वंद्विता को कमजोर नहीं किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा, पिछले 70 साल में भारत के जिन तीन राज्यों ने आर्थिक व सामाजिक सूचकांकों के मुताबिक अच्छा प्रदर्शन किया है, उनमें तमिलनाडु, केरल और हिमाचल प्रदेश शामिल हैं और इन सभी में तुलनात्मक तौर पर दो पार्टी वाली स्थायी प्रणाली है.
गुहा ने पश्चिम बंगाल (वाम मोरचा) और गुजरात (भाजपा) का उदाहरण देते हुए कहा कि जिन राज्यों में लंबे समय तक एक ही पार्टी की सरकार रही, वह ‘विनाशकारी’ साबित हुआ.
उन्होंने कहा, जिन राज्यों में स्थायी तौर पर दो पार्टी वाली प्रणाली होती है, वे बेहतरीन प्रदर्शन करते हैं, क्योंकि केरल में कांग्रेस वामपंथियों पर लगाम रखती है, जबकि हिमाचल में भाजपा कांग्रेस पर लगाम रखती है. पैन मैक्मिलन इंडिया की ओर से 2007 में प्रकाशित पुस्तक के पुनरीक्षित संस्करण में लिंग, जाति एवं भारत में समलैंगिक आंदोलन के उदय सहित कई अन्य मुद्दों पर नये अध्याय शामिल किये गये हैं.
एक वाजिब नेता
गुहा ने कहा िक नीतीश एक ‘वाजिब’ नेता हैं. मोदी की तरह उन पर परिवार का कोई बोझ नहीं है. लेकिन, मोदी की तरह वह आत्ममुग्ध नहीं हैं. वह सांप्रदायिक नहीं हैं और लैंगिक मुद्दों पर ध्यान देते हैं, ये बातें भारतीय नेताओं में विरले ही देखी जाती हैं. नीतीश में कुछ चीजें हैं, जो अपील करती थीं और अपील करती हैं. उन्होंने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष जब तक उन्हें यह पद नहीं सौंपतीं, तब तक भारतीय राजनीति में नीतीश या सोनिया गांधी का कोई भविष्य नहीं है.

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