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सूर्य के बारे में नयी जानकारी जुटायेगा नासा
जिज्ञासा : 21 अगस्त को अमेरिकी महाद्वीप में पूर्ण सूर्यग्रहण के कवरेज की व्यापक तैयारी मुकेश कुमार पिछले 99 वर्षों में पहली बार इस साल 21 अगस्त अमेरिकी महाद्वीप में पूर्ण सूर्यग्रहण देखा जा सकेगा. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा इस पूर्ण सूर्यग्रहण के व्यापक प्रसारण की तैयारी में जुटा है, ताकि दुनिया भर के लोगों […]
जिज्ञासा : 21 अगस्त को अमेरिकी महाद्वीप में पूर्ण सूर्यग्रहण के कवरेज की व्यापक तैयारी
मुकेश कुमार
पिछले 99 वर्षों में पहली बार इस साल 21 अगस्त अमेरिकी महाद्वीप में पूर्ण सूर्यग्रहण देखा जा सकेगा. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा इस पूर्ण सूर्यग्रहण के व्यापक प्रसारण की तैयारी में जुटा है, ताकि दुनिया भर के लोगों को सूर्यग्रहण का जीवंत अनुभव कराया जा सके. वाशिंगटन स्थित नासा के साइंस मिशन डायरेक्टोरेट में सहायक प्रशासक थाॅमस जरबुचेन के अनुसार, अब से पहले किसी भी आकाशीय घटना को इतने व्यापक स्तर पर कवर नहीं किया गया था.
नासा लोगों को ग्रहण के पहले, ग्रहण के दौरान अौर ग्रहण के बाद की सभी तसवीरें आैर वीडियो दिखायेगा. इसके लिए 11 स्पेसक्राफ्ट, नासा के कम-से-कम तीन एयरक्राफ्ट, 50 से ज्यादा हाइ-एल्टीट्यूड बैलून आैर इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के अंतरिक्ष यात्री तैनात होंगे, जो उस दौरान होनेवाली प्रत्येक आकाशीय घटनाआें को अद्वितीय तरीके से कवर करेंगे.
सूर्य के बारे मिलेगी नयी जानकारी : अंतरिक्ष विज्ञान का अध्ययन करनेवाले वैज्ञानिको के लिए सूर्य शुरू से ही जिज्ञासा के केंद्र रहे हैं. विश्व भर के वैज्ञानिक आैर शोधकर्ता 21 अगस्त के सूर्यग्रहण के दौरान अनोखे अवसर का लाभ उठाने के लिए अमेरिका में जुटेंगे. इस दौरान वे ग्रहण के समय दुर्लभ परिस्थिति में होनेवाली सौरमंडलीय घटनाआें के बारे जानकारी एकत्र करेंगे. उनके अध्ययन का मुख्य विषय होगा-चंद्रमा जब पूरी तरह से सूर्य को ढक लेता है तब पृथ्वी पर अचानक प्रकाश आैर तापमान में कमी होने से स्थानीय जलवायु आैर जंतु के आचरण पर क्या प्रभाव पड़ता है. इस विज्ञान को हिलीयोफिजिक्स कहते हैं. इसमें ग्रहण के दौरान निकलने वाले रेडिएशन का अंतरिक्ष यान, मानव निर्मित संचार उपग्रहों आैर अंतरिक्ष स्टेशन पर रहनेवाले यात्रियों पर होनेवाले असर का अध्ययन किया जाता है. वाशिंगटन स्थित नासा हिलीयोफिजिक्स डिवीजन के डायरेक्टर स्टीवन क्लार्क के अनुसार, 2017 का यह सूर्यग्रहण अमेरिका अौर विश्व के वैज्ञानिकों की जिज्ञासा को शांत करेगा.
ग्रहण के पहले विशेष शो : नासा टेलीविजन इस ग्रहण से पहले अमेरिका में एक मल्टी आवर शो ‘एक्लिप्स एक्राॅस अमेरिका : थ्रू द आइस आॅफ नासा’ प्रदर्शित करेगा. इस शो में इस दुर्लभ आकाशीय परिघटना को नये वैज्ञानिक तरीके से प्रदर्शित किया जायेगा. ग्रहण में होने वाली क्रियाआें के इस कवरेज को पार्क, लाइब्रेरी, स्टेडियम आैर सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफाॅर्म पर दिखाया जायेगा.
आेरेगोन से लेकर साउथ कैराेलिना तक फैले 14 राज्यों में लोग दो घंटे के अंदर लगभग दो मिनट से ज्यादा समय तक पूर्ण सूर्यग्रहण के दौरान दोपहर में ही पूर्ण अंधकारमय वातावरण का अनुभव कर पायेंगे. चंद्रमा जब सूर्य को पूरी तरह से ढक लेता है, तब एेसी स्थिति आती है. इस दौरान सूर्य का बाहरी भाग एक वलय के रूप में चमकता हुआ दिखाई देता है, जिसे कोरोना कहते हैं. इस समय सौरमंडल के सभी ग्रह आैर तारे नजर आने लगते हैं. ग्रहण को देखने के लिए विशेष रूप से बने चश्मों आैर उपकरणों का प्रयोग कर इसे स्पष्टतः देखा जा सकता है. उत्तर अमेरिका में यह ग्र्रहण दो से चार घंटे तक चलेगा.
पृथ्वी के हर एक भाग अर्थात जल, थल आैर नभ तीनों से इस घटना काे कवर किया जायेगा. इस कवरेज में अन्य वैज्ञानिक संस्थान आैर एजेंसियां भी नासा का सहयोग करेंगी. साथ ही नासा अपना संदेश भी प्रसारित करता रहेगा, जिसमें लिखा होगा : समय लो आैर अनुभव करो. 21 अगस्त के ग्रहण को देखो जरूर, मगर सावधानी से. पूर्ण अथवा आंशिक सूर्यग्रहण को देखने के लिए सबसे सुरक्षित उपाय है वैज्ञानिक रूप से बने सोलर फिल्टर्स का प्रयोग.
घरों में बने फिल्टर्स अथवा सनग्लासेज का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, क्योंकि ग्रहण के दौरान सूर्य के प्रकाश की तीव्रता कर्इ गुना बढ़ जाती है, जो हमारे आंखों के लिए नुकसानदेह है. सूर्यग्रहण को देखने का एक वैकल्पिक उपाय पिनहोल प्रोजेक्टर भी है, जिसे घर में भी बनाया जा सकता है. इसके लिए सूर्य की किरणों को एक छोटे से छिद्र से गुजारा जाता है.
जानिए ग्रहण के बारे में
28 जुलाई, 1851 को पूर्ण सूर्यग्रहण में पर्सियन फोटोग्राफर बर्कवोस्की ने पहली बार सूर्य के कोरोना का फाेटोग्राफ लिया था.सबसे लंबी अवधि वाला सूर्यग्रहण 30 जून, 1973 को हुआ था. इसकी अवधि सात मिनट चार सेकेंड की थी.सबसे छोटी अवधि वाला ग्रहण 17 अप्रैल, 1912 को हुआ था. इसकी अवधि मात्र दो सेकेंड की थी.वैज्ञानिकों के अनुसार 16 जुलाई, 2186 को इतिहास का सबसे लंबा पूर्ण सूर्यग्रहण होगा जिसकी अवधि सात मिनट 29 सेकेंड की होगी.
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