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आइएसएम धनबाद के स्टूडेंट्स ने किया कमाल :…..बिल संभाल कर रखने का झंझट होगा खत्म

नया उद्यम : आइआइटी आइएसएम, धनबाद के स्टूडेंट्स का स्टार्टअप ‘बिन बिल’ रवि मिश्रा धनबाद : टीवी का बिल हो या मोबाइल का, आपकी लाइफ इंश्योरेंस हो या कार के कागजात, इन सभी को संभाल कर रखने को लेकर परेशान हैं तो एक नया स्टार्टअप आपको राहत दे सकता है. इसे आइआइटी आइएसएम, धनबाद के […]

नया उद्यम : आइआइटी आइएसएम, धनबाद के स्टूडेंट्स का स्टार्टअप ‘बिन बिल’
रवि मिश्रा
धनबाद : टीवी का बिल हो या मोबाइल का, आपकी लाइफ इंश्योरेंस हो या कार के कागजात, इन सभी को संभाल कर रखने को लेकर परेशान हैं तो एक नया स्टार्टअप आपको राहत दे सकता है. इसे आइआइटी आइएसएम, धनबाद के स्टूडेंट्स ने तैयार किया है.
यह न केवल आपके सभी सामानों के बिल का ख्याल रखता है, बल्कि इंश्योरेंस, रेनुअल जैसी महत्वपूर्ण तिथि को समय से पहले याद भी कराता रहता है. इस स्टार्टअप का नाम है बिन बिल. इसमें संस्थान के दो स्टूडेंट्स शामिल हैं, जिसमें एक इसके फाउंडर 2004 बैच के माइनिंग इंजीनियरिंग के छात्र रोहित कुमार हैं एवं दूसरे 2016 बैच के छात्र प्रांजल अग्रवाल हैं. इस स्टार्टअप में कई लोग निवेश भी कर चुके हैं.
कैसे आया आइडिया : रोहित मुजफ्फरपुर से हैं. संस्थान से पास आउट होने के बाद उन्होंने टाटा स्टील, इलेक्ट्रो स्टील, अडाणी, क्रिसिल जैसी कंपनियों में काम किया. उन्होंने एक्सएलआरआइ, जमशेदपुर से एमबीए भी किया है.
स्टार्ट का यह आइडिया उन्हें तब आया, जब उनका माइक्रोवेव खरीदारी के छह महीने बाद ही खराब हो गया था और उसका बिल गुम हो गया था. दरअसल नौकरी के कारण उन्हें लगातार एक जगह से दूसरी जगह पर शिफ्ट होना पड़ा था और इस कारण घर के सामान का बिल संभाल कर रखना किसी चुनौती से कम नहीं लग रहा था. जब वे क्रिसिल, गुड़गांव में थे, तब उन्होंने एक ऐसी चीज बनाने की सोची, जो उनके सभी बिल को एक जगह पर रख सकता था.
बचपन से उद्यमी हैं प्रांजल : प्रांजल सुलतानपुर (उत्तरप्रदेश) से हैं और बचपन से उद्यमी रहे हैं. स्कूल में नौवीं कक्षा के दौरान स्कूल का न्यूजलेटर ‘यूथ आवाज’ की बिक्री स्कूल में ही किया करते थे.
इस न्यूजलेटर में स्कूल, प्रतियोगी परीक्षाएं एवं छात्रवृत्ति संबंधी खबरें रहती थीं. कॉलेज (आइआइटी आइएसएम) में वे बसंत (कॉलेज एल्यूमिनाय फेस्ट) के को-ऑर्डिनेटर एवं अंतरराष्ट्रीय छात्र संगठन एआइइएसइसी के अध्यक्ष रहे. कॉलेज में अपने दोस्तों के साथ एक व्यापार हाई टेल्स शुरू किया था, जो लोगों के लिए ट्रिप प्लान करती थी. रोहित ने प्रांजल को अपने स्टार्टअप में साथ आने को कहा.
कैसे काम करता है बिन बिल : यूजर व्हाट्सएप्प, इ-मेल आदि के माध्यम से बिन बिल को अपने बिल, इनवॉइस, इंश्योरेंस, वैरेंटी डॉक्यूमेंट भेजते हैं, जिसे बिन बिल की टीम डैश बोर्ड (इ-होम) में क्रिएट करती है. इसके साथ ही यूजर खुद भी अपने दस्तावेज बिन बिल में अपलोड कर सकते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल इंडिया से प्रेरित होकर स्टार्टअप ने पूरे बिलिंग सिस्टम को डिजिटाइज कर दिया है. साथ ही सभी बिल को पेपरलेस भी बना दिया है.
कंपनियों को भी लाभ : प्रांजल बताते हैं कि बिन बिल से प्रोडक्ट बनाने वाली संबंधित कंपनियों को भी लाभ होगा. कंपनियां यह जानना चाहती हैं कि उनके प्रोडक्ट से ग्राहक कितना संतुष्ट हैं. इस पर भी बिन बिल काम कर रहा है कि जिस चीज को भी आप खरीदते हैं, महीनों बाद भी उसका अनुभव यहां शेयर कर सकते हैं. इससे टैक्स चोरी को कम करने में भी मदद मिलेगी.
एक जगह सभी जानकारी : यूजर्स को बिन बिल में एक जगह पर सभी सामानों की जानकारी मिलेगी, जिसका वे इस्तेमाल कर रहे हैं. इसके साथ ही ग्राहक यहां संबंधित उत्पादक से भी जुड़े रहते हैं, जो उन्हें वारंटी एवं इंश्योरेंस जैसे मामलों में मदद करती है. इसके अलावा कोई सामान खराब हो गया हो तो उसकी मरम्मत करने वालों की भी जानकारी का विकल्प भी यहां हैं.

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