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वीडियो सर्विलांस, तकनीक का बढ़ता दायरा

देश-दुनिया में बढ़ रही हिंसा, अपराध और आतंकी गतिविधियों समेत विविध जोखिमों से पैदा हो रहे असुरक्षा के माहौल के बीच इनसे बचाव और निगरानी के लिए वीडियाे सर्विलांस तकनीक का दायरा बढ़ता जा रहा है. हालांकि, यह तकनीक अपनेआप में सुरक्षा की पूरी गारंटी नहीं देता, लेकिन घटना संबंधी अनेक पुख्ता साक्ष्य मुहैया कराने […]

देश-दुनिया में बढ़ रही हिंसा, अपराध और आतंकी गतिविधियों समेत विविध जोखिमों से पैदा हो रहे असुरक्षा के माहौल के बीच इनसे बचाव और निगरानी के लिए वीडियाे सर्विलांस तकनीक का दायरा बढ़ता जा रहा है.
हालांकि, यह तकनीक अपनेआप में सुरक्षा की पूरी गारंटी नहीं देता, लेकिन घटना संबंधी अनेक पुख्ता साक्ष्य मुहैया कराने जैसी खासियतों के कारण इसकी लोकप्रियता बढ़ रही है. भारत में इसके मौजूदा हालातों समेत भविष्य में इसके इस्तेमाल में होने वाली वृद्धि की संभावनाओं और इससे संबंधित विविध पहलुओं को रेखांकित कर रहा है आज का साइंस टेक पेज …
तकनीकी विकास की गहराई और उसकी सीमाएं बताने से लोगों में भविष्य के प्रति आशावादी नजरिया पैदा होता है और सुरक्षा की भावना महसूस होती है. वायरलेस संचार, इंटरनेट, एंटरप्राइज एप्लीकेशन और विभिन्न अन्य प्रौद्योगिकियों में इन सभी का व्यापक असर देखने के बाद हाल के वर्षों में विभिन्न उद्योगों में व्यापक तौर पर बदलाव देखा गया है. साथ ही, आने वाले दशक में इन तकनीकों से बाजारों और उद्योगों के लिए निरंतर अनेक तरीके के अवरोध पैदा हो सकते हैं. इन अवरोधों का इनोवेटिव समाधान तलाशते हुए आगे ही राह आसान बनायी जा सकती है.
इन्हीं में से एक नयी और इनाेवेटिव तकनीक है- वीडियाे सर्विलांस इंडस्ट्री. पिछले कुछ वर्षों के दौरान इसमें बड़े पैमाने पर हुए उभार के साक्ष्य सामने आये हैं. देश-दुनिया में पैदा हो रहे भयनुमा माहौल के बीच लोगों में सुरक्षित रहने के तरीके विकसित करने की जरूरत महसूस की जा रही है.
घर हो या सार्वजनिक स्थल, बच्चों का स्कूल हो या फिर आपका कार्यस्थल. इतना ही नहीं, आप घर से अपने दफ्तर जा रहे हों या कहीं और, आप चाहते हैं कि आप सभी जगह सुरक्षित महसूस करें. यही कारण है कि पिछले कुछ वर्षों में सीसीटीवी का बाजार इतनी तेजी से बढ़ा है.
दरअसल, व्यक्तिगत जीवन और कारोबारी गतिविधियों में हमें अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. इनसे निबटने के लिए कई बार सीसीटीवी की जरूरत महसूस होती है. सरकारी और महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचों को सुरक्षित होने की जरूरत महसूस की जाती है. यही कारण है कि इस कारोबार और तकनीक में पिछले दिनों तेजी आयी है. चाहे वह मेगा सर्विलांस सिस्टम हो या फिर छोटे स्तर का सर्विलांस इन्स्टॉलेशन सिस्टम हो.
शहरों के दायरे में अब हजारों सर्विलांस कैमरे इन्स्टॉल किये जा चुके हैं. बड़े दुकानदारों ने अपने स्टोर के आसपास और भीतर सैकड़ों कैमरे लगा दिये हैं और इस प्रवृत्ति में लगातार बढ़ोतरी जारी है. विविध सरकारें और रिसर्च कंपनियां अपराध और आतंक से जुड़े खतरों को कम करने के लिए सुरक्षा उपाय तलाशने के लिए व्यापक रकम खर्च करने के अलावा अनेक प्रयासों में जुटी हैं.
वीडियो एनालिटिक्स
सर्विलांस कैमरे जब बाजार में आये थे, तो उनकी भूमिका महज एक अतिरिक्त आंख के रूप में थी. लेकिन अब इसे इनसान के दिमाग के साथ इस्तेमाल में लाते हुए इसके प्रोसेसिंग पावर व मेमोरी और अन्य ताकत को समझा गया है, जिससे निगरानी का दायरा व्यापक हो सकता है.
इनसान और मशीन के बीच कंटेस्ट में यह साबित हो चुका है कि अकेले इंटेलिजेंट नेटवर्क वीडियो कुछ नहीं कर सकता है. विजुअल परसेप्शन से लेकर अटेंशन स्पैन, मेमोरी क्षमता से लेकर हालात का विश्लेषण समेत सर्विलांस टेक्नोलॉजी की निगरानी के लिए दिमागी मस्तिष्क का होना बेहद जरूरी है यानी बिना मानव संसाधन के सीसीटीवी की उपयोगिता हासिल नहीं की जा सकती.
विध्वंसात्मक और खतरनाक बन रही दुनिया में अपराध और आतंक से बचाव के लिए कैमराें पर समाज की निर्भरता बढ़ रही है. वीडियो एनालिटिक्स के जरिये ये कैमरे निर्दिष्ट चीजों का विश्लेषण करते हुए इच्छित आंकड़े मुहैया कराते हैं.
सुरक्षा निगरानी संबंधी तकनीकी उपकरण
एएसआइएस यानी अमेरिकन सोसाइटी फॉर इंडस्ट्रियल सिक्योरिटी की एक रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक, इस तरह की सुरक्षा व्यवस्था को मुकम्मल बनाने के लिए अमेरिका प्रत्येक वर्ष करीब 300 अरब डॉलर की रकम खर्च करता है, जो उसकी जीडीपी का करीब दो फीसदी हिस्सा है. इस सुरक्षा व्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा हाल के वर्षों तक सुरक्षा गार्ड्स और पुलिस जैसे मानव संसाधन के रूप में रहे हैं. कैमरा और अन्य सुरक्षा उपकरणों पर बहुत कम ही रकम खर्च की जाती रही है. लेकिन, नयी तकनीकों के पदार्पण से चीजें बदल रही हैं और संबंधित तकनीकी उपकरणों का इस्तेमाल बेहद तेजी से बढ़ रहा है.
पिछले करीब दो दशकों से सीसीटीवी कैमरा सामान्य रूप से प्रचलन में है. लेकिन, इतना समय बीतने के बावजूद यह अब तक अपने मकसद में पूरी तरह से फलदायी साबित नहीं हो पाया है. सर्विलांस वीडियो एनालिटिक्स युग के बाद में इस तकनीक के सामान्य रूप से अपरिपक्व रहने के कारण इसकी लोकप्रियता में बेहद धीमी गति से सुधार हुआ है.
भारत में सुरक्षा निगरानी के हालात
इलेक्ट्रॉनिक सिक्योरिटी सिस्टम्स के लिहाज से भारत पिछले छह वर्षों के भीतर एक बड़ा बाजार बन कर उभरा है. सुरक्षा से जुड़े मुद्दों की गंभीरता को देखते हुए हाल के वर्षों में लोगों में जागरुकता आयी है.
खासकर आतंकी खतरों और अपराध की दर में बढ़ोतरी के कारण लोगों में दहशत का माहौल बनने से इसके बचाव के लिए लोगों ने उपायों को तलाशने पर जोर दिया है. साथ ही भारत में सरकारी गतिविधियों के तहत सूचना तकनीकी के जरिये सभी प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक सिक्योरिटी सिस्टम्स और वीडियो सर्विलांस सिस्टम को आपस में जोड़ा जा रहा है.
सिटी सर्विलांस समेत एयरपोर्ट की सुरक्षा, रिटेल व बीपीओ जैसे कारोबारी प्रतिष्ठानों, विनिर्माण केंद्रों, कॉलेज कैंपस व स्कूलों, इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनियों आदि की सुरक्षा के प्रति बढ़ती जागरुकता यह दर्शाती है कि भारतीय सर्विलांस बाजार में व्यापक रूप से बढ़ोतरी हो रही है. इसमें एक बड़ा तथ्य यह उभर कर आया है कि सर्विलांस की जरूरत का करीब 87 फीसदी कारोबारी परिसरों में जबकि 13 फीसदी आवासीय परिसरों में पाया गया है. इंफोर्मेशन एंड कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी के सहयोग से सर्विलांस मुहैया कराने में नये और स्मार्ट शहरों में सुरक्षा के लिए बुनियादी ढांचा तैयार करने में मदद मिलेगी, जिसके माध्यम से इन शहरों में अधिकतम सुरक्षा मुकम्मल की जा सकती है.
वीडियो सर्विलांस इंडस्ट्री से जुड़े कुछ प्रमुख तथ्य
फिट एंड फॉरगेट यानी लगाओ और भूल जाओ के सिद्धांत पर इंस्टॉल किये जाते हैं सीसीटीवी.
सीसीटीवी के वास्तविक फुटेज का रोजाना आधार पर अंकेक्षण नहीं किया जाता.
विशालकाय डाटा संग्रह और बैंड विड्थ संबंधी जरूरतें.
चेतावनी में गलती, वीडियो ब्लाइंडनेस, हालातों के प्रति कम जागरुकता.
घंटों बन चुके वीडियो में से खास फुटेज तलाशने का कोई आसान तरीका न होना.
कोई मानक रिपोर्टिंग सिस्टम का न होना.
खर्चीला और जटिल सॉफ्टवेयर, खासकर छोटे और घरेलू यूजर्स के लिए.
वीडियो फुटेज का बैक अप नहीं बन पाना.
वीडियो फुटेज को शेयर करने में दिक्कतें.
सीसीटीवी से हासिल हुए परिणामों के साथ क्या होना चाहिए?
अपराध, नुकसान और धोखाधड़ी की रोकथाम.
अपराध को तेजी से सुलझाना.
अनुपालन, प्रक्रियाओं और सुरक्षा का संवर्धन.
हालात के अनुकूल बेहतर जागरूकता को हासिल करना.
कार्रवाई योग्य बुद्धिमत्ता प्राप्त करना.
परिचालन दक्षता में सुधार.
स्टाफ की कार्यक्षमता, ग्राहक संतुष्टि और बिक्री में सुधार.

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