फ्रेंडशिप डे: भारत-पाक में दोस्ती का रिश्ता गढ़ रहे युवा
सिद्धार्थ भदौरिया गिला-शिकवा भुलाकर दोस्ती का हाथ बढ़ाने से हर कड़वाहट दूर हो जाती है. चाहे दोस्ती दो लोगों के बीच हो या दो देशों के बीच. भारत और पाकिस्तान का रिश्ता जग जाहिर है. फिर भी सरहद के इस पार और उस पार कुछ ऐसे लोग हैं, जो सही मायने में एक दूसरे के […]
इन तीनों युवाओं ने पाकिस्तान के युवाओं के साथ दोस्ती की एकतरफा पहल शुरू की. इस पहल के परिणाम स्वरूप इन्हें पाकिस्तान में भी इनके जैसे उत्साही और दोस्ती निभाने वाले युवा साथी मिल गये. पाकिस्तान में आगाज-ए-दोस्ती के संयोजक राजा खान हैं. वर्ष 2013 में पाकिस्तानी युवाओं के एक संगठन ‘द केटेलिस्ट’ के साथ मिलकर इन्होंने आगाज-ए-दोस्ती को जारी रखा. धीरे-धीरे दोनों देशों के कई युवा साथी इस मुहिम से जुड़ते चले गये. आज दोनों देशों में आगाज-ए-दोस्ती के करीब 15 चैप्टर हैं और हर चैप्टर की एक टीम है. पाकिस्तान में साफिया बुखारी, उमेर अहमद, नसीमा करीम और सबा खालिद जैसे युवाओं ने इस मुहिम को स्थापित करने में काफी योगदान दिया. दोनों देशों में करीब 100 से ज्यादा युवा सक्रिय रूप से इस मुहिम में योगदान कर रहे हैं.
इसके तहत भारत से पाकिस्तान जाने वाले या पाकिस्तान से भारत आने वाले युवा, बुद्धिजीवी, पत्रकार जो इस मुहिम में रुचि रखते हैं, उनका संवाद कार्यक्रम दोनों देशों के स्कूलों में आयोजित करवाया जाता है. अभी तक दोनों देशों में 20 अमन चौपाल का आयोजन हो चुका है. इसके अलावा इस मुहिम के तहत पिछले साल पीस बिल्डिंग कोर्स शुरू किया गया है इसमें दोनों देशों से चयनित युवाओं को आठ सप्ताह का एक कोर्स करवाया जाता है. इसके लिए दोनों देशों के एक-एक युवाओं का ग्रुप बना कर दोनों देशों में प्रशिक्षण दिया जाता है.
अभी हाल ही में पहला कोर्स समाप्त हुआ है और इसमें दोनों तरफ के 15-15 युवा शामिल हुए. सबसे महत्वपूर्ण गतिविधि क्लास रूम टू क्लास रूम है. इसमें भारत और पाकिस्तान के कुछ चुने हुए स्कूल के क्लास रूम को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के द्वारा कनेक्ट किया जाता है और दोनों देशों के बच्चे एक दूसरे से बात कर एक दोस्ती की शुरुआत करते हैं.
आगाज-ए-दोस्ती के संस्थापक रवि नितेश कहते हैं, भारत-पाकिस्तान के बीच शांति की नहीं, बल्कि दोस्ती की जरूरत है. क्योंकि शांति तटस्थ भी हो सकती है, लेकिन दोस्ती हमेशा वास्तविक होती है और दिल से होती है. इसमें कोई दिखावा और औपचारिकता नहीं होती.