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सीड फंडिंग के बाद क्या हो उद्यमी की रणनीति
स्टार्टअप की नींव रखने के लिए उद्यमियों को तमाम तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है़ मसलन, बिजनेस प्लान से लेकर टीम को खड़ा करने और ग्राहकों तक पहुंच बनाने जैसी तमाम कठिनाइयां होती हैं इन सब से बड़ी चुनौती होती है रकम जुटाने की. बतौर स्टार्टअप रकम जुटाना दुष्कर होता है, लेकिन एक […]
स्टार्टअप की नींव रखने के लिए उद्यमियों को तमाम तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है़ मसलन, बिजनेस प्लान से लेकर टीम को खड़ा करने और ग्राहकों तक पहुंच बनाने जैसी तमाम कठिनाइयां होती हैं
इन सब से बड़ी चुनौती होती है रकम जुटाने की. बतौर स्टार्टअप रकम जुटाना दुष्कर होता है, लेकिन एक बार पूंजी का प्रवाह शुरू हो जाने के बाद रास्ते खुद-ब-खुद बनते चले जाते हैं़ सीड फंडिंग हासिल होने के बाद उद्यमी की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है. इसके बाद कैसे उसे अपने कदम बढ़ाने चाहिए, इन्हीं तथ्यों को रेखांकितकर रहा है आज का स्टार्टअप पेज …
अपना कारोबार खड़ा करने और उसे चालू रखने के लिए संस्थापक को अपने ही स्रोतों से पूंजी लगानी पड़ती है. चाहे वह पूंजी आपकी अपनी बचत की रकम हो या फिर परिवार या दोस्तों से लिया गया कर्जा हो. प्रत्येक उद्यमी को पहले राउंड की फंडिंग हासिल करने पर निश्चित रूप से ध्यान देना चाहिए. इसके चार प्रमुख कारण इस प्रकार हैं :
नियुक्ति में सावधानी
अापके संगठन को आकार प्रदान करने के लिए जिम्मेवार और इसके विस्तार में सहायक लोगों के चयन में सावधानी बरतनी चाहिए. अच्छी प्रतिभाओं का चयन करना बिजनेस के लिए जरूरी है, लेकिन यह काम आसान नहीं है. इस प्रक्रिया में खुद आपको अपना समय देना होगा. इसमें आपको संतुलन भी बनाना होगा, ताकि कार्य के मुताबिक कर्मचारी हों. एक अच्छी सलाह होगी कि पहले नये सदस्य की नियुक्ति के लिए कम-से-कम एक माह जरूर इंतजार करें, क्योंकि कर्मचारियों को रखने से पहले की सभी औपचारिकताओं को पूरा करना ज्यादा जरूरी है.
व्यर्थ के खर्चों से बचें
अचानक नकदी पूंजी का प्रवाह आने से निश्चित रूप से काम बढ़ता है, नतीजन निवेश की ज्यादातर रकम व्यर्थ के कार्यों में खर्च हो सकती है. इस चरण की फंडिंग से आपको प्रोडक्ट या सर्विस के लिए व्यापक अभियान चलाएं, जिसके लिए आपको एक मजबूत फंड मैनेजमेंट प्लान की भी जरूरत होगी. इसलिए गैर-जरूरी चीजों को खरीदने से बचें और पहले की तरह ही आप अपने बजट का शेड्यूल बना कर चलें. बेहतर यह होगा कि आप कारोबार की बारीकियों को समझने में ज्यादा ध्यान दें और बिना कर्ज के उसे आगे बढ़ाएं. आपके पास नकदी हमेशा भरपूर होनी चाहिए, क्योंकि कर्मचारी इंतजार नहीं कर सकते.
मार्केटिंग पर जोर
कहा जाता है कि उद्यमी को चीजों को बेचने की विधा आनी चाहिए. यह बिलकुल सही है, क्योंकि यदि आप बेचने में सक्षम नहीं होंगे, तो आपके कारोबार की पहचान नहीं होगी. यहां तक कि बिल गेट्स जैसे दुनिया के धनाढ्य कारोबारी ने भी मार्केटिंग के महत्व को स्वीकार किया है. अपने प्रोडक्ट को प्रोमोट करने के लिए आपको लक्षित बाजार में लाना होगा. इसके लिए आपको बेहतर जनसंपर्क कायम करते हुए लोगों के बीच अपने प्रोडक्ट की पैठ बनानी होगी. इससे ब्रांड बनेगा, जिसका असर अगले चरण में आने वाले निवेश पर पड़ेगा.
– कन्हैया झा
विशेषज्ञ की राय
मौजूदा सदी में स्टार्टअप्स इसलिए नहीं स्थापित कंपनियों को पछाड़ रहे हैं, क्योंकि इनका कामकाज ज्यादा स्मार्ट है. इसका कारण यह है कि इनके पास ऐसा करने के लिए ज्यादा पूंजी आ रही है.
– स्टीव ब्लैंक, उद्यमी, स्टार्टअप मेंटर और स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर.
क्या है सीड फंडिंग
प्रोडक्ट को विकसित करने में इसकी बड़ी भूमिका होती है. शुरू में इसकी अनदेखी कर रहे उपभोक्ताओं में भरोसा पैदा होता है. यदि सीड फंडिंग नहीं हासिल हो, तो अगले चरण की फंडिंग को लेकर निश्चित तौर पर आशंकाएं छाने लगती हैं और ऐसे में कई स्टार्टअप संस्थापकों को ज्यादा दिनों तक टिक पाना मुश्किल हो जाता है.
ग्राहकों से फीडबैक
आपको याद रखना होगा कि आपका कारोबार ग्राहकों को कुछ प्रदान करना है, इसलिए उनका सत्यापन भी जरूरी है. प्रोडक्ट को अंतिम रूप देने से पहले ग्राहकों से फीडबैक लेना जरूरी है. इससे आपको ग्राहकों की समग्र जरूरतों के बारे में पता चलेगा. ग्राहकों के जरूरत के मुताबिक प्रोडक्ट के फिट बैठने पर बाजार में उसकी मांग बढ़ेगी, जिससे अगले राउंड में रकम आसानी से मिलेगी.
स्टार्टअप क्लास
को-वर्किंग स्पेस के कारोबार का भविष्य बेहतर
ऋचा आनंद
बिजनेस रिसर्च व एजुकेशन की जानकार
को-वर्किंग स्पेस विदेशों में ही नहीं, भारत में भी प्रचलित हो रहा है. हालांकि, इसकी कार्यशैली हर जगह समान नहीं है. प्रॉपर्टी की बढ़ती कीमतों की वजह से बड़े शहरों में कभी-कभी ऑफिस रेंटल सबसे बड़े खर्चों में से एक होता है. ऐसे में बढ़ती प्रतिस्पर्धा में मीडियम और स्मॉल स्केल कंपनियों को काफी मुश्किल होती है. अच्छे बिजनेस नेटवर्क की वजह से वे बिजनेस सेंटर से बहुत दूर भी नहीं जाना चाहते.
इसमें काफी संभावनाएं हैं, क्योंकि फिलहाल इसमें बहुत कंपनियां अभी उतरी नहीं हैं. चुनौतीपूर्ण यह है कि फिक्स्ड कॉस्ट आपके कारोबार का एक बड़ा हिस्सा होगा और आपकी आय ज्यादातर सब्सक्रिप्शन से होगी.
(क) अपने बिजनेस मॉडल के अनुसार आप को एक बड़ा ऑफिस स्पेस किराये पर या खरीद कर लेना होगा. इसका इंटीरियर ऑफिस के नजरिये से बनाना होगा, जिससे आपके ग्राहक आ कर पर्सनल ऑफिस की तरह उस लोकेशन पर काम कर सकें.
(ख) आपके पास दो तरह के ग्राहक होंगे, पहले वह जो आपके साथ मासिक सब्सक्रिप्शन लेंगे और दूसरे जो पे-पर-यूज के आधार से जुड़ेंगे. दोनों दशाओं में आपको ऑफिस स्पेस, कांफ्रेंस रूम की सुविधा, बिजनेस कॉल आंसर सुविधा आदि मुहैया करानी होगी, जिसके लिए आप ग्राहक की जरूरत के हिसाब से उनको अपना टैरिफ दे सकते हैं.
(ग) विदेशों में ऐसे स्टार्टअप कंपनियों को विविध तरीके से मदद भी प्रदान करती हैं, जिससे उन्हें कमाई का एक अतिरिक्त जरिया भी मिल जाता है. उनके लिए इंक्युबेटर सेल बनाना, कांफ्रेंस व्यवस्थित करना, ब्रांड प्रमोशन में मदद करना आदि इनके कुछ उदाहरण हैं.
कैरियर गाइडेंस के लिए स्टार्टअप का कॉन्सेप्ट
युवाओं के सामने आजकल पहले के मुकाबले ज्यादा कैरियर विकल्प मौजूद हैं, लेकिन इनके सही चयन में उन्हें कई उलझनें होती हैं और सही दिशा-निर्देश नहीं मिलता. इसलिए कैरियर गाइडेंस या काउंसलिंग इन मामलों में बेहद मददगार साबित हो सकता है.
एक कैरियर गाइड के रूप में आप छात्रों और युवाओं को एजुकेशनल और कैरियर दोनों तरह की काउंसलिंग दे सकते हैं. छात्रों को 10वीं और 12वीं के बाद आगे की स्ट्रीम और इंस्टिट्यूट चुनने की दुविधा होती है. आगे किस तरह की जॉब के लिए वे खुद को तैयार करें, यह फैसला लेना भी आसान नहीं होता. इस काम में दो तरह की सर्विसेज होती हैं :
(क) टेक्निकल टूल्स, जिनसे युवाओं की योग्यता व क्षमता का आकलन हो सकता है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऐसे कई टूल विकसित किये गये हैं.
(ख) काउंसलिंग सेशंस, जिसमें पर्सनल इंटरेक्शन और इंटरव्यू के जरिये युवाओं की रुचियों और उनकी खास क्षमताओं की जानकारी ली जाती है.
आप इनकी ट्रेनिंग ले सकते हैं और टूल्स को यूज करने की अधिकृत मंजूरी भी लें. इससे आप छात्रों और युवाओं को एक व्यापक समाधान दे सकते हैं. शुरुआत में आप अलग-अलग शैक्षणिक केंद्रों से संपर्क कर वहां इस तरह के सेशन चला सकते हैं. शाख बढ़ने पर आप अपना सेंटर भी खोल सकते हैं.
कामयाबी की राह
कर्मठता के साथ इन चीजों के मेल से सफल होगा कारोबार
प्राइवेट सेक्टर में ज्यादातर नौकरियां अब अस्थायी प्रकृति की होती जा रही हैं. ऐसे में कर्मठ प्रकृति के लोग ज्यादा दिनों तक किसी संगठन से बंधे रहने के बजाय अपना स्वयं का कारोबार शुरू करना चाहते हैं.
इस बीच देशभर में रोजगार को बढ़ावा देने के लिए सरकार स्टार्टअप्स को प्रोमोट कर रही है. इसके लिए अनेक नीतियां बनायी गयी हैं और उन्हें कार्यान्वित किया जा रहा है. यदि आप कर्मठ हैं, तो इन नीतियों का फायदा उठा सकते हैं और अपनी पसंद का कारोबार शुरू कर सकते हैं. इसके लिए प्रमुख तथ्यों पर ध्यान देना जरूरी है :
नेटवर्क
किसी कारोबार की कामयाबी के लिए यह सबसे प्रभावी फैक्टर है. आपका नेटवर्क जितना बड़ा होगा, उतना ज्यादा आपको कामयाबी हासिल होगी. मौजूदा अर्थव्यवस्था का परिदृश्य कुछ इस तरह का बनता जा रहा है, जिसमें नेटवर्क ही सफलता की गारंटी बन चुकी है. इसके जरिये नये ग्राहक तलाशने और प्रचार-प्रसार में आसानी होती है.
सकारात्मक सोच
सकारात्मक सोच के जरिये ही आप कारोबार को ऊंचाई पर ले जा सकते हैं. शुरू में अनेक झंझावातों का सामना करना पड़ता है. इस दौरान सकारात्मक सोच कायम रखने पर ही आप आगे बढ़ सकते हैं. अापकों अपने ब्रांड को तैयार करने में जुटे रहना चाहिए.
जोखिम से निपटना
कारोबार में कामयाब होने के लिए जोखिम से निपटने की क्षमता होनी चाहिए. इस दक्षता के बिना आप कामयाब नहीं हो सकते. कारोबार में किसी भी समय जोखिम पैदा हो सकता है, जिसे समय रहते आपको समझने की क्षमता होनी चाहिए. आने वाले दिनों का अनुमान आपको हाेना चाहिए.
समय का प्रबंधन
समय पर सभी चीजों को पूरा करने जीवन की प्रत्येक विधा के लिए जरूरी है. प्राथमिकता के आधार पर कार्यों को निबटाने में निपुण कारोबारी ही कामयाब होता है. ज्यादा महत्वपूर्ण कार्यों को पहले निबटाना चाहिए.
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