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इंसानी भ्रूण की जीन एडिटिंग में मिली बड़ी कामयाबी, डिजाइनर बेबी बनाने की ओर बढ़े कदम
नयी दिल्ली : पहली बार अमेरिका में जीन संवर्द्धित इंसानी भ्रूण विकसित किया गया है. वैज्ञानिकों ने इंसानी भ्रूण में बीमारी पैदा करने वाली विसंगतियों को दूर करने के लिए जीन एडिटिंग टूल खोजा है. इससे भ्रूण संबंधी गड़बड़ियों में सुधार कर उन गड़बड़ियों को भावी पीढ़ियों में जाने की रोकना संभव हो सकेगा. यह […]
नयी दिल्ली : पहली बार अमेरिका में जीन संवर्द्धित इंसानी भ्रूण विकसित किया गया है. वैज्ञानिकों ने इंसानी भ्रूण में बीमारी पैदा करने वाली विसंगतियों को दूर करने के लिए जीन एडिटिंग टूल खोजा है. इससे भ्रूण संबंधी गड़बड़ियों में सुधार कर उन गड़बड़ियों को भावी पीढ़ियों में जाने की रोकना संभव हो सकेगा. यह डिजाइनर बेबी तैयार करने की दिशा बड़ी खोज है. हालांकि कुछ वैज्ञानिकों की राय में यह डिजाइनर बेबी की दिशा में पूरी तरह क्रांति की शुरुआत नहीं है. फिर भी इसे उस दिशा में शुरुआती कदम माना जा रहा है. इस अहम सफलता में कश्मीरी मूल के डॉक्टर संजीव कौल ने प्रमुख भूमिका निभायी है. इससे पहले चीन ने जीन एडिटिंग टूल खोजने का प्रयास किया था, लेकिन उसे कामयाबी नहीं मिली थी.
क्या है जीन एडिटिंग टूल : वैज्ञानिकों ने इंसानी भ्रूण में बदलाव के लिए क्रिस्पर कैस-9 नामक नयी तकनीक का इस्तेमाल किया है. यह तकनीक जीन में एडिटिंग यानी संशोधन करती है.
इससे हर्ट अटैक पैदा कर सकने वाली घातक विसंगति दूर करने में मदद भी मिलेगी. इस अमेरिकी खोज से डिजाइनर बच्चों से जुडी संभावनाएं मजबूत हुई हैं. जीन संवर्द्धित इंसानी भ्रूण खोज की यह जानकारी ब्रितानी जर्नल नेचर में छपे एक शोध में दी गयी है.
टीम में थे शामिल : वैज्ञानिकों की टीम में दक्षिण कोरियाई, चीनी और अमेरिकी वैज्ञानिकों की एक टीम लगी हुई थी. इसने इस बात का पता लगा लिया है कि किस तरह से भ्रूण में पल रहे किसी विसंगतिवाले जीन को हटाया जा सकता है. कैलिफोर्निया के सॉक इंस्टीट्यूट जीन एक्सप्रेशन लेबोरेटरी के प्रोफेसर और शोधपत्र के लेखक जे कार्लोस इज्पिसुआ बेलमोंट ने कहा कि स्टेम सेल प्रौद्योगिकी और जीन एडिटिंग में तरक्की के चलते हम बीमारी पैदा करने वाली विसंगतियों से निबट सकते हैं. जीन एडिटिंग अभी अपने शुरुआती चरण में है. तब भी यह प्रारंभिक प्रयास सुरक्षित और प्रभावी है.
क्या है क्रिस्पर सीएएस-9 : क्रिस्पर सीएएस-9 या क्लस्टर्ड रेग्युलरली इंटरस्पेस्ड शॉर्ट पेलिनड्रोमिक रिपीट्स एक तरह की आणविक कैंची है, जिसका इस्तेमाल वैज्ञानिक विसंगतिवाले जीन हटाने में करते हैं. इसके तहत सिर्फ स्वस्थ भ्रूणों को ही विकसित होने दिया जाता है, वह भी कुछ ही दिन के लिए. सीएएस-9 नामक एक विशेष एंजाइम का प्रयोग करके किसी विसंगति वाले जीन में किसी क्रम विशेष को निशाना बनाना संभव है.
कश्मीर के डॉ संजीव कौल भी इस टीम में : जीन संवर्द्धित इंसानी भ्रूण विकसित करने वाली टीम के एक सदस्य हैं डॉ संजीव कौल. डॉ कौल का जन्म कश्मीर में हुआ. उनकी पढ़ाई नयी दिल्ली में हुई और फिर वह अमेरिका चले गये.
डॉ कौल ओएचएसयू नाइट कार्डियोवैसक्युलर इंस्टीट्यूट के निदेशक, ओएचएसयू स्कूल ऑफ मेडीसिन के प्रोफेसर तथा इस शोध आलेख के सह लेखक हैं. उनका कहना है कि हालांकि हृदय संबंधी यह दुर्लभ विसंगति सभी उम्र के महिला-पुरुषों को प्रभावित करती है, लेकिन युवाओं में अचानक हर्टअटैक आम वजह है. परिवार विशेष की एक पीढ़ी से इस विसंगति को हटाया जा सकता है.
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