नैनोचिप के छूने मात्र से भरेंगे जख्म

भारतीय वैज्ञानिक चंदन सेन ने विकसित की तकनीक वाशिंगटन : भारतीय मूल के वैज्ञानिक चंदन सेन के नेतृत्व में वैज्ञानिकों के एक समूह ने एक नैनोचिप विकसित किया है. इस चिप के छूने मात्र से शरीर के जख्म भर जायेंगे. इसे सिर्फ त्वचा की कोशिकाओं से स्पर्श करवाना होगा. अमेरिका की ओहायो स्टेट यूनिवर्सिटी के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 9, 2017 9:22 AM
भारतीय वैज्ञानिक चंदन सेन ने विकसित की तकनीक
वाशिंगटन : भारतीय मूल के वैज्ञानिक चंदन सेन के नेतृत्व में वैज्ञानिकों के एक समूह ने एक नैनोचिप विकसित किया है. इस चिप के छूने मात्र से शरीर के जख्म भर जायेंगे. इसे सिर्फ त्वचा की कोशिकाओं से स्पर्श करवाना होगा.
अमेरिका की ओहायो स्टेट यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर रीजनरेटिव मेडिसिन एंड सेल बेस्ड थेरैपीज के निदेशक चंदन सेन ने यह तकनीक इजाद की है. इसे ‘टिशु नैनोट्रांस्फेक्शन ‘ (टीएनटी) नाम दिया गया है. सेन ने कहा कि इस अनूठी नैनोचिप तकनीक के माध्यम से चोटिल या ऐसे अंगों को बदला जा सकता है जो ठीक से काम नहीं कर पा रहे. हमने दिखाया है कि त्वचा एक उपजाऊ भूमि है जिस पर हम किसी भी ऐसे अंग के तत्वों को पैदा कर सकते है, जिनमें कमी आ रही है.
उन्होंने कहा कि इसकी कल्पना करना मुश्किल है, लेकिन ऐसा संभव है. यह अनुसंधान नेचर नैनोटेक्नोलॉजी पत्रिका में प्रकाशित किया गया है. आमूमन आज गहरे जख्मों को भरने में दो सप्ताह से अधिक का समय लग जाता है. वहीं नैनोट्रांस्फेक्शन तकनीक से पहले सप्ताह में नयी कोशिकाएं विकसित होती है और दूसरे सप्ताह से यह काम करना शुरू कर देती है. इस तरह यह तकनीक काफी कम समय में जख्मों को सही करने का काम करती है.
कैसे काम करती है नैनोट्रांस्फेक्शन तकनीक : नैनोट्रांस्फेक्शन तकनीक के तहत बुरी तरह से घायल उन अंगों के त्वचा कोशिकाओं पर कुछ देर के लिए एक नैनोचिप लगाया जाता है. इस चिप के द्वारा इलेक्ट्रिकलपल्स के जरिये जेनेटिक कोड चोटिल कोशिकाओं में प्रवेश कराया जाता है. इसके बाद जख्मी कोशिकाएं जरूरत के हिसाब से नयी कोशिका में बदलने लगती है और रक्तप्रवाह बंद हो जाता है.
फिर एक सप्ताह के अंदर घायल अंगों पर असर दिखने लगता है और सक्रिय रक्त कोशिकाएं विकसित हो जाती है. इस उपकरण की मदद से चोटिल उतकों, रक्त धमनियों और नसों के उपचार में मदद मिल सकती है. प्रयोगशाला परीक्षणों में इस तकनीक के माध्यम से जीवित शरीर में त्वचा कोशिकाओं को तंत्रिका कोशिकाओं में बदलकर ऐसे चूहे में इसका इस्तेमाल किया गया.
कोलकाता के हैं चंदन सेन : चंदन सेन मूल रूप से भारत के कोलकाता के रहने वाले हैं. चंदन सेन ने यूनिवर्सिटी ऑफ कोलकाता से मास्टर ऑफ साइंस इन ह्युमन फिजियोलॉजी किया है. उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ कुओपियो से फिजियोलॉजी में पीएचडी ली है. फिलहाल वह ओहायो स्टेट यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर रीजनरेटिव मेडिसिन एंड सेल बेस्ड थेरैपीज के निदेशक हैं. साथ ही वह कई साइंटिफिक जर्नल के संपादकीय बोर्ड के संपादक के रूप में भी सेवा देते हैं.

Next Article

Exit mobile version