ध्यानचंद के बेटे से विशेष बातचीत : दद्दा को अब तक भारत रत्न नहीं मिलने की है कसक
सुनील कुमार रांची : आज 29 अगस्त है, हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद (दद्दा) की जयंती. उनके प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए उनके जन्मदिन 29 अगस्त को हर वर्ष भारत में राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है. इसी दिन उत्कृष्ट प्रदर्शन करनेवाले खिलाड़ियों को राष्ट्रपति भवन में भारत के राष्ट्रपति राष्ट्रीय […]
सुनील कुमार
रांची : आज 29 अगस्त है, हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद (दद्दा) की जयंती. उनके प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए उनके जन्मदिन 29 अगस्त को हर वर्ष भारत में राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है.
इसी दिन उत्कृष्ट प्रदर्शन करनेवाले खिलाड़ियों को राष्ट्रपति भवन में भारत के राष्ट्रपति राष्ट्रीय खेल पुरस्कारों से सम्मानित करते हैं, जिसमें राजीव गांधी खेल रत्न, ध्यानचंद पुरस्कार और द्रोणाचार्य पुरस्कारों के अलावा तेनजिंग नोर्गे राष्ट्रीय साहसिक पुरस्कार, अर्जुन पुरस्कार प्रमुख हैं. हॉकी के इस लीजेंड को कई वर्षों से भारत रत्न देने की मांग उठ रही है, लेकिन उनके परिजनों को हर साल निराशा ही होती है. ध्यानचंद को अब तक भारत रत्न नहीं मिलने की कसक उनके परिजनों को सालती है. इस संबंध में उनके पुत्र अर्जुन अवॉर्डी सह पूर्व हॉकी खिलाड़ी अशोक ध्यानचंद से प्रभात खबर ने विशेष बातचीत की.
अशोक ध्यानचंद
ध्यानचंद के बेटे
1. भारतीय हॉकी में ध्यानचंद का योगदान अमूल्य है, लेकिन उनके इस योगदान के बावजूद उन्हें अब तक भारत रत्न नहीं मिला, परिवार क्या सोचता है इस बारे में?
उन्हें अब तक भारत रत्न नहीं मिलने से कसक-सी उठती है. इस मामले में प्रयास तो कई हुए, लेकिन कोई सफल नहीं हुआ. 2011 में पहली बार तत्कालीन खेल मंत्री अजय माकन ने यह मामला उठाया, बाद में यह गायब हो गया. फिर 2013-14 में एक प्रतिनिधिमंडल ने पूर्व खेल मंत्री जितेंद्र सिंह से मुलाकात की. उन्होंने भी आश्वासन दिया.
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उनके प्रस्ताव को पास भी कर दिया, लेकिन फिर मामला लटक गया. पिछले वर्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में ‘दद्दा’ को अतुलनीय बताया. इस वर्ष भी प्रधानमंत्री ने मन की बात में ध्यानचंद का उल्लेख किया. खेल मंत्री विजय गोयल ने उनका नाम नॉमिनेट किया है. इस बार उन्हें भारत रत्न मिलने की उम्मीद दिख रही है.
2. ध्यानचंद के बारे में कोई ऐसी घटना, जिसे कम लोग जानते हों?
सभी जानते हैं कि वह अपने खेल के प्रति काफी कमिटेड थे, लेकिन वह सरल स्वभाव के थे, यह काफी कम लोग जानते हैं. अपने से बड़ों का आदर करना, उनके निर्देशों का पालन करना, उनके स्वभाव में शामिल था. मैदान में उनकी गति तेज नहीं थी, बल्कि वो धीमा ही दौड़ते थे, लेकिन उनके पास गैप को पहचानने की गजब की क्षमता थी.