अस्पताल को संक्रमणमुक्त बना रहा जर्म-जैपिंग रोबोट
पर्याप्त साफ-सफाई के अभाव में संक्रमण और कई प्रकार की बीमारियों का जोखिम बढ़ जाता है़ खासकर अस्पतालों में सफाई के बदहाल इंतजामों के कारण बीमारियों का कारगर इलाज संभव नहीं हो पाता़ संक्रमण जैसी गंभीर चुनौती से निपटने में बचाव और स्वच्छता पहली जरूरत है़ हाल में विकसित रोबोटिक सिस्टम से संक्रमण को खत्म […]
पर्याप्त साफ-सफाई के अभाव में संक्रमण और कई प्रकार की बीमारियों का जोखिम बढ़ जाता है़ खासकर अस्पतालों में सफाई के बदहाल इंतजामों के कारण बीमारियों का कारगर इलाज संभव नहीं हो पाता़ संक्रमण जैसी गंभीर चुनौती से निपटने में बचाव और स्वच्छता पहली जरूरत है़
हाल में विकसित रोबोटिक सिस्टम से संक्रमण को खत्म करने की उम्मीद जगी है़ एक अन्य रिपोर्ट में बताया गया है कि शहरों में बढ़ते वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए जर्मनी के एक स्टार्टअप ने सिटीट्री नामक एक प्रोडक्ट विकसित किया है, जिससे वायु प्रदूषण कम करने में कामयाबी मिली है. आज के मेडिकल हेल्थ में जानते हैं संक्रमण की आशंकाओं को खत्म करनेवाले इस रोबोट और शहरों में हवा को स्वच्छ करनेवाले सिटीट्री के बारे में …
शोधकर्ताओं ने एक नया रोबोट विकसित किया है, जिसने अस्पतालों में घातक संक्रामक बीमारियों के पैदा होने की आशंकाओं को खत्म कर दिया है.
साथ ही यह घातक पैथोजेन्स व मल्टी ड्रग रेसिस्टेंट ऑर्गेनिज्म से पैदा होने वाले जोखिम को कम करने में मददगार साबित हो रहा है. ‘जेनेक्स जर्म-जैपिंग’ नामक यह रोबोट अल्ट्रावायलेट प्रकाश की तरंगों को उत्सर्जित करता है, जो अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में खतरनाक बग्स को तलाश कर उन्हें नष्ट कर देता है.
हालांकि, अल्ट्रावायलेट प्रकाश का इस्तेमाल करना कोई नया आइडिया नहीं है, लेकिन इस प्रकाश को सुरक्षित तरीके से इस मकसद से इस्तेमाल के लिए इस रोबोट सिस्टम ने पहली बार आसान तरीका मुहैया कराया है.
इन सभी कार्यों को अंजाम देने के लिए जेनेक्स रोबोट हाइ-इंटेंसिटी के अल्ट्रावायलेट प्रकाश के रूप में पल्स्ड जेनॉन का इस्तेमाल करता है. इसमें प्रकाश उस उपकरण से उत्सर्जित होता है, जो फिर सूक्ष्मजीवों की कोशिका की दीवारों में प्रवेश करता है, जिसमें बैक्टीरिया, वायरस, मोल्ड, फंगस और स्पोर्स यानी बीजाणु शामिल होते हैं. यह खास प्रकाश जीवाणुओं के डीएनए को फ्यूज करता है, जो उन्हें म्यूटेट या पुनरुत्पादन करने से रोकता है, और उन्हें प्रभावी रूप से नष्ट कर देता है.
नियमित सफाई
जर्म-जैपिंग रोबोट का इस्तेमाल नियमित रूप से सफाई और रोजमर्रा के सेनिटाइजिंग कार्यों के लिए किया जाता है. हालांकि, अस्पताल की पारंपरिक तरीके से होने वाली सफाई की दरकार अब भी कायम रहेगी, क्योंकि यह जेनेक्स रोबोट उसके बाद ही अपना काम करता है.
अस्पताल की नियमित सफाई पूरी होने के बाद यह रोबोट महज 10 मिनट में पूरे कमरे को समग्रता से सेनिटाइज करता है. पहले कमरे को सामान्य तरीके से साफ किया जायेगा, तब कुछ छोटी तैयारियों के साथ यह रोबोट उच्च-जोखिम वाली जगहों पर सीधे प्रकाश फैलायेगा और संक्रमण के जोखिम को खत्म कर देता है.
पैथोजेन्स नष्ट करने में सक्षम
यह जर्म-जैपिंग रोबोट सर्वाधिक खतरनाक पैथोजेन्स को नष्ट करने में सक्षम है. इन पैथोजेन्स के संक्रमण से बचाव होने पर अस्पतालों में मरीजों को ज्यादा तेजी से बीमारी दूर की जा सकती है. कई बार इन संक्रमणों के कारण मरीज की बीमारी ठीक होने में ज्यादा समय लग जाता है. इन पैथोजेन्स को नष्ट करने में सक्षम है यह रोबोट सिस्टम :
– क्लोस्ट्रिडियम डाइफिसाइल
– नोरोवायरस
– इनफ्लूएंजा
– इबोला
– मेथिसिलिन- रेसिस्टेंट स्टेफाइलोकोकस आरेयस
– संक्रमण पैदा करने वाले माइक्रोब्स
275 वृक्षों जितनी हवा शुद्ध करेगा एक सिटीट्री
वायु प्रदूषण की बढ़ती समस्या के बीच दुनियाभर के शहरों में पर्यावरण अनुकूल चीजों को बढ़ावा दिया जा रहा है. हालांकि, अनेक हरित समाधान सामने आये हैं, लेकिन महंगे होने के कारण उन्हें समग्रता से नहीं अपनाया जाता है. जर्मनी-आधारित एक स्टार्टअप ने इसके लिए एक क्रांतिकारी तरीका ईजाद करते हुए इंटेलिजेंट नेचुरल एयर प्यूरीफायद बनाया है.
इस स्टार्टअप ने एक वर्टिकल यूनिट की तरह सिटीट्री नाकम एक प्रोडक्ट का पेटेंट कराया है. इस प्रोडक्ट में व्यापक दायरे में कवक और शैवाल जैसी चीजें लगायी गयी हैं, जो नाइट्रोजन ऑक्साइड, ओजोन और पार्टिकुलेट मैटर को फिल्टर करता है. मुक्त रूप से खड़े होने वाले ये यूनिट चार मीटर ऊंचे हैं और सालाना करीब 240 टन कार्बन डाइऑक्साइड को साफ करने में सक्षम होंगे.
इस स्टार्टअप की वेबसाइट पर दावा किया गया है कि सिटीट्री खास और प्राकृतिक तरीके से शहरों में हवा को साफ करने में सक्षम है. कुछ मॉस यानी काई कल्चर्स में पाॅल्यूटेंट्स यानी प्रदूषक तत्वों को फिल्टर करने की क्षमता होती है, जैसे कि हवा के बाहर सूक्ष्म पदार्थ को पत्ती की सतह पर बाध्य करके और फिर उन्हें अपने स्वयं के बायोमास में स्थायी रूप से एकीकृत करके. यही खासियत इसे आदर्श एयर प्यूरीफायर बनाता है.
99 फीसदी कम जगह की जरूरत
एक सिटीट्री यूनिट 275 शहरी पेड़ों के बराबर हवा को स्वच्छ कर सकता है. यानी विशुद्ध प्राकृतिक तरीकों के मुकाबले शहरों में वायु स्वच्छता के लिए 99 फीसदी तक कम जगह की जरूरत होगी. इस यूनिट को सोलर पैनलों और वाटर रिटेंशन सिस्टम से बनाया गया है, जो सिटीट्री को सेल्फ-सस्टेनिंग बनाते हैं यानी ये अपना कार्य स्वत: करते हैं. इसकी मरम्मत के लिए साल में महज कुछ घंटों की जरूरत होती है.
आइओटी पर आधारित तकनीक
सिटीट्री के कार्य को अनुकूलित करने के लिए इस सिस्टम को आइओटी यानी इंटरनेट ऑफ थिंग्स तकनीक से जोड़ दिया गया है, जो आंकड़ों को एकत्र करते हुए उनका विश्लेषण करता है और पर्यावरण में होने वाले सुधार को दर्शाता है.
समग्रता से देखा जाये, तो यह प्रोडक्ट अपनेआप में इंटेलिजेंट होने के साथ दुनियाभर के शहरों में लोगों को स्वच्छ वायु मुहैया कराने की दिशा में बेहतर समाधान है. आज जर्मनी, फ्रांस, नॉर्वे और बेल्जियम समेत मेसेडोनिया और हांगकांग में सिटीट्री का इस्तेमाल किया जा रहा है.
प्रस्तुति : कन्हैया झा
विशेषज्ञ की राय
संक्रमण की रोकथाम करने के लिए हमारा लक्ष्य मरीजों, उनके परिवारों और अस्पतालकर्मियों के लिए स्वच्छ और सुरक्षित वातावरण मुहैया कराना है. यह नयी तकनीक अस्पताल जनित संक्रमण के अलावा अन्य सभी प्रकार के पैदा होनेवाले संक्रमण से बचाव में सक्षम पायी गयी है.
एमी आर ग्रैम, डायरेक्टर ऑफ इन्फेक्शन प्रिवेंशन, सेंट पीटर्स यूनिवर्सिटी हॉस्पीटल
यह एक क्रांतिकारी सिस्टम है, जो अस्पताल के कमरे की पारंपरिक तरीके से नियमित रूप से होने वाली सफाई के बाद स्वच्छता का दूसरा लेयर मुहैया कराता है. इससे सेनिटेशन को समग्रता से अंजाम दिया जायेगा. यह बेहद कूल डिवाइस है, जो देखने में अद्भुत है.
पैरी जिगबैंड, मैनेजर, एनवायरमेंट सर्विसेज, सेंट पीटर्स यूनिवर्सिटी हॉस्पीटल
70% कमी संक्रमण में
इस रोबोट के इस्तेमाल से कुछ अस्पतालों में संक्रमण की दर में 70 फीसदी तक कमी देखी गयी है. यूरोप, एशिया, अफ्रीका और अमेरिका में 400 से ज्यादा अस्पतालों में संक्रमण को कम करने में लगे कर्मियों द्वारा जेनेक्स रोबोट का इस्तेमाल किया जा रहा है.
सेंटर पीटर्स यूनिवर्सिटी हॉस्पीटल के एनवायरमेंट सर्विसेज के मैनेजर पैरी जिगबैंड का मानना है कि ऐसी कोई भी चीज, जो सफाई में सहयोग करे, उसका सीधा-सीधा फायदा मरीजों को होता है. वे यह जान सकते हैं कि जर्म्स को नष्ट करने के लिए उनके कमरे में सुरक्षा का यह दूसरा लेयर कितना प्रभावी हो सकता है.
जेनेक्टस की वेबसाइट पर यह दावा किया गया है कि एड्स, ब्रेस्ट कैंसर और वाहन दुर्घटनाओं में अमेरिका में जितने लोग मारे जाते हैं, उतने ही लोग हॉस्पीटल एक्वायर्ड इंफेक्शन के कारण भी काल के गाल में समा जाते हैं. अस्पताल में भर्ती मरीजों के लिए यह रोबोट उम्मीद की एक नयी किरण लेकर आया है.