फिर मिले एलियंस के संकेत

खगोल विज्ञानियों ने फिर से आकाशगंगा में रहस्यमय सिग्नल (संकेतों) के आधार पर एलियन के होने की संभावना को बल दे दिया है. बेंगलुरु के निवासी और अमेरिका में कार्यरत एक वैज्ञानिक ने एक ऐसे ही संकेत के आधार पर आकाशगंगा में एलियंस के होने का दावा किया है. यह सिग्नल तीन अरब प्रकाश वर्ष […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 1, 2017 8:15 AM

खगोल विज्ञानियों ने फिर से आकाशगंगा में रहस्यमय सिग्नल (संकेतों) के आधार पर एलियन के होने की संभावना को बल दे दिया है. बेंगलुरु के निवासी और अमेरिका में कार्यरत एक वैज्ञानिक ने एक ऐसे ही संकेत के आधार पर आकाशगंगा में एलियंस के होने का दावा किया है. यह सिग्नल तीन अरब प्रकाश वर्ष दूर स्थित एक छोटी आकाशगंगा से आती हुई प्रतीत हुई है. इस सिग्नल को रिसीव करने का क्रम पांच घंटे तक चलता रहा. लंबे समय तक चले इस सिग्नल से यह अनुमान लगाया जा रहा है कि यह एक ऊर्जा का स्रोत है, जो एलियंस के अंतरिक्ष यान में उपयोग हो सकता है.

डॉ विशाल गज्जर ब्रेकथ्रू लिसन प्रोजेक्ट के रिसर्च एसोसिएट हैं. इस प्रोजेक्ट की लागत करीब 100 मिलियन डॉलर है. वेस्ट वर्जीनिया के ग्रीन बैंक टेलीस्कोप द्वारा यह प्रोजेक्ट सुदूर आकाशगंगाओं से आनेवाली ध्वनि संकेतों का अध्ययन कर रही है. साथ ही वे इस बात की भी खोज कर रहे हैं कि क्या आकाशगंगा में तकनीकी रूप से समृद्ध कोई और सभ्यता है? अपने इस रिसर्च के लिए उन्होंने फास्ट रेडियो बर्स्ट का सहारा लिया है. उनका मानना है कि आकाशगंगा में इस तरह के कुल 15 फास्ट रेडियो बर्स्ट (एफआरबी) हैं. ये एफआरबी आकाशगंगा में तारों के समूहों द्वारा छोड़े जाते हैं. ट्रांसमिशन के इस स्रोत का नाम दिया गया है – एफआरबी 121102.

ब्रेकथ्रू लिसन ने एक बयान में कहा कि ‘जब 15 फास्ट रेडियो बर्स्ट ने अपनी गैलेक्सी छोड़ी, उस समय हमारी आकाशगंगा मात्र दो बिलियन वर्ष पुरानी थी. उस समय धरती पर एक कोशिका वाले जीवों का वास था. करीब एक अरब साल पहले अन्य जीवों का विकास होना आरंभ हुआ.’ ऐसा नहीं है कि इस तरह के संकेत पहली बार सुने गये हैं. विज्ञान के विकसित और संसाधन से समृद्ध होने के साथ ही वैज्ञानिकों ने बाहरी जीवन की खोज के अपने प्रयास तेज कर दिये थे. इसके लिए बड़े-बड़े रेडियो दूरसंवेदी (सर्च फॉर एक्सट्रा टेरेस्ट्रीयल इंटेलीजेंस 1999) उपकरण लगा कर दूर अंतरिक्ष में होने वाली फुसफुसाहट को सुनने के प्रयास किये जाते रहे हैं.

नये वैज्ञानिक अनुसंधान बताते है कि हमारी आकाशगंगा में एक अरब ग्रह पृथ्वी के जैसे हैं. इनमें से अनेक पृथ्वी की तरह ही चट्टानी हैं. अब तक देखे गये ब्रह्मांड में लगभग 100 अरब आकाशगंगाएं हैं. नासा के एक वैज्ञानिक का कहना है कि आज हमारे पास पृथ्वी के बाहर दुनिया होने के पक्के सबूत हैं. हो सकता है कि आगामी एक दशक में पृथ्वी के बाहर भी जीवन खोज ली जाये.

क्या है एफआरबी 121102

एफआरबी 121102 की खोज दो नवंबर, 2012 को की गयी थी. एफआरबी 121102 में इस खोज की तारीख अंकित है. 12 वर्ष को रेखांकित करता है, जबकि 11 महीने को इंगित करता है. दो का मतलब दिन से है. यह पहला एफआरबी था, जिसने 2015 में रहस्यमय संकेतों का समर्थन किया था. ऑस्ट्रेलिया के पार्स टेलीस्कोप ने भी इस ध्वनि संकेतों के अस्तित्व पर मुहर लगायी. एफआरबी अब दुनिया भर के कई रेडियो दूरबीनों द्वारा देखा जा चुका है. 26 अगस्त को रिकॉर्ड हुए संकेतों के शुरुआती घंटों में एफआरबी के 400 टीबी डेटा जमा किये गये. पांच घंटे की लंबी अवधि में चार से आठ गीगाहर्ट्ज की आवृत्ति को डॉ विशाल गज्जर ने वेस्ट वर्जीनिया के ग्रीन बैंक टेलीस्कोप में संकेतों को सुना.

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