आज नहाय-खाय के साथ जिउतिया शुरू, कल संतान के दीर्घायु होने के लिए निर्जला उपवास करेगी मां

पुत्र-पुत्रियों की बेहतरी-तरक्की के लिए किया जाना वाला दो दिवसीय जीवित पुत्रिका यानी जिउतिया व्रत मंगलवार से शुरू हो रहा है. नहाय-खाय के बाद बुधवार को संतान के दीर्घायु होने के लिए निर्जला उपवास और पूजा-अर्चना के साथ यह व्रत संपन्न होगा. बुधवार यानी 13 सितंबर को निर्जला उपवास किया जायेगा. वहीं पारण गरुुवार 14 […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 12, 2017 8:22 AM
पुत्र-पुत्रियों की बेहतरी-तरक्की के लिए किया जाना वाला दो दिवसीय जीवित पुत्रिका यानी जिउतिया व्रत मंगलवार से शुरू हो रहा है. नहाय-खाय के बाद बुधवार को संतान के दीर्घायु होने के लिए निर्जला उपवास और पूजा-अर्चना के साथ यह व्रत संपन्न होगा. बुधवार यानी 13 सितंबर को निर्जला उपवास किया जायेगा. वहीं पारण गरुुवार 14 सितंबर को सुबह में 5 बज कर 35 मिनट पर होगा.
ज्योतिषाचार्य पं वन बिहारी मिश्र ने बताया कि नहाय खाय के बाद अगले दिन यानी मंगलवार को निर्जला उपवास होगा और उसी दिन कुश से जीमूतवाहन की प्रतिमा बनाकर पूजा की जायेगी. ज्योतिषाचार्य पं श्रीपति त्रिपाठी ने बताया कि ऐसी मान्यता है कि यह व्रत सौभाग्यवती स्त्रियों द्वारा अपनी संतान की आयु, आरोग्य तथा उनके कल्याण हेतु पूरे विधि-विधान से किया जाता है. यदि आप क्षेत्रीय संदर्भ से देखें तो इस व्रत के कई अन्य नाम आपको मिलेंगे, जैसे कि ‘जीतिया’ या ‘जीउतिया’ तथा ‘जिमूतवाहन व्रत’ आदि. इसके मूल में बच्चों बी बेहतरी छुपी हुई है.
महावीर मंदिर के पं भवनाथ झा कहते हैं कि दरअसल पुत्र शब्द का प्रयोग संतान यानी पुत्र और पुत्री दोनों के लिए किया जाता है जैसे छात्र का प्रयोग हम छात्र और छात्राओं दोनों के लिए करते हैं. इस कारण कोई भ्रम नहीं रखना चाहिए. यह पर्व बेटा और बेटी दोनों के प्रति माता का समर्पण दर्शाता है.

Next Article

Exit mobile version