महापर्व महालया आज : ऐसे करें मां की आराधना, कलश स्थापना के लिए लगेगी यह पूजा सामग्री

महाशक्ति के आगमन का महापर्व महालया आज, दुर्गाबाटी में होगा महिषासुरमर्दिनी का मंचन रांची : आज महालया है. सुबह घरों की साफ-सफाई कर बांग्ला भाषा-भाषी कोलकाता से रेडियो-टीवी पर प्रसारित होनेवाले महालया (चंडीपाठ) को सुनेंगे अौर देखेंगे. श्रद्धालु एक-दूसरे को दुर्गापूजा शुरू होने की खुशी में बधाई देंगे अौर बड़ों का आशीर्वाद लेंगे. इसी दिन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 19, 2017 8:57 AM
महाशक्ति के आगमन का महापर्व महालया आज, दुर्गाबाटी में होगा महिषासुरमर्दिनी का मंचन
रांची : आज महालया है. सुबह घरों की साफ-सफाई कर बांग्ला भाषा-भाषी कोलकाता से रेडियो-टीवी पर प्रसारित होनेवाले महालया (चंडीपाठ) को सुनेंगे अौर देखेंगे. श्रद्धालु एक-दूसरे को दुर्गापूजा शुरू होने की खुशी में बधाई देंगे अौर बड़ों का आशीर्वाद लेंगे. इसी दिन से दुर्गा पूजा की तैयारी शुरू हो जाती है. सुबह में विभिन्न नदी घाटों में जाकर तर्पण करेंगे अौर दान पुण्य कर अपने पितरों का आशीर्वाद लेंगे. महालया के दिन से ही बांग्ला समुदाय में दुर्गा पूजा शुरू हो जाती है. दुर्गा पूजा का यह पहला दिन रहता है. हिंदू मान्यता के अनुसार मां दुर्गा का भगवान भोलेनाथ से विवाह होने के बाद अपने मायके आगमन को महालया के रूप में मनाया जाता है. उनके लिए खास तैयारी की जाती है.
दुर्गाबाटी व मेकन सामुदायिक भवन में कार्यक्रम आज
दुर्गाबाटी और मेकन सामुदायिक भवन में मजलिस की अोर से आज शाम 6.30 बजे से महिषासुरमर्दिनी नृत्य नाटिका का मंचन किया जायेगा. इसे देखने के लिए काफी संख्या में बांग्ला भाषा-भाषी एकत्रित होंगे. बांग्ला मंडपों में भी इसका मंचन किया जायेगा.
आज नेत्रदान करेंगे मूर्तिकार
बांग्ला मान्यता के अनुसार मूर्तिकार मां दुर्गा की आंखों को बनाते हैं, जिसे चक्षुदान भी कहा जाता है. इसका अर्थ होता है आंखें प्रदान करना. नेत्रदान करने के वक्त मूर्तिकारों की आंखें नम हो जाती हैं, क्योंकि इस दिन के बाद उनके आंगन से मां की विदाई की तैयारी शुरू हो जाती है. पांचवें दिन के बाद मां उनके आंगन से चली जाती हैं.
बांग्ला पंचांग के अनुसार
25 सितंबर महापंचमी
26 महाषष्ठी
27 महासप्तमी
28 महाअष्टमी
29 महानवमी
30विजया दशमी
À यह जािनए : 21 को प्रतिपदा (सुबह 9.58 तक), 22 को द्वितीय (सुबह 10.06 तक), 23 को तृतीय (सुबह 10.46 तक), 24 को चतुर्थी (दिन के 11.52 बजे तक), 25 को पंचमी (दोपहर 1.26 बजे तक), 26 को षष्ठी (दिन 3.19 बजे तक), 27 को महासप्तमी (शाम 5.22 तक), 28 को महा अष्टमी (शाम 7.27 बजे तक), 29 को महानवमी (रात 9.23 तक) व 30 को विजयादशमी रात 11 बजे तक है़ पहले दिन मां शैलपुत्री, दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी, तीसरे दिन चंद्रघंटा, चौथे दिन कूष्मांडा, पांचवें दिन स्कंदमाता, छठे दिन कात्यायनी, सातवें दिन कालरात्रि, आठवें दिन महागौरी, नौवें दिन सिद्धिदात्री की पूजा होगी. कलश विसर्जन व मां को विदाई विजयादशमी को दी जायेगी .
ऐसे करें मां की आराधना
कलश स्थापना या बिना कलश स्थापना के भी मां की आराधना की जा सकती है. सबसे पहले पूजा स्थल की साफ-सफाई कर लें. पूजा सामग्री को एक जगह पर एकत्रित कर लें. इससे पूर्व स्नान ध्यान कर अल्पना आदि बना लें. पूजा शुरू करने से पहले आसन्न बिछा लें अौर ध्यान लगाकर माता का आह्वान करें. इसके बाद पीले सरसों का सभी अोर छिड़काव कर लें.
संकल्प कर लें. कलश बैठाना चाहते हैं, तो मां की तसवीर के सामने मिट्टी, बालू मिलाकर रख लें अौर उसमें गंगा जल का छिड़काव करते हुए हल्का शुद्ध जल डालकर जौ का छिड़काव कर दें. इसके बाद कलश बैठा लें. कलश के अंदर जल सहित अन्य सामग्री को डालकर उसके ऊपर पंच पल्लव अथवा आम का पल्लव डाल कर ढक्कन रख दें. उसके उपर पीले अछवा लाल कपड़े में नारियल को लपेट दें. सबसे पहले गणेश भगवान अौर उसके बाद सभी देवी देवता का अाह्वान कर पूजा-अर्चना कर लें . इसके बाद यदि अखंड दीप जलाना चाहते हैं, तो दीप जला लें.
मां की आराधना कर लें अौर उनका साज शृंगार कर फूल, पुष्प माला व प्रसाद सहित अन्य कुछ अर्पित करते हुए दुर्गा सप्तशती का पाठ शुरू करें. दुर्गा सप्तशती का पूरा पाठ करने के बाद पुष्पांजलि अौर उसके बाद आरती कर लें. आरती सुबह के अलावा शाम में भी हर दिन नित्य रूप से करें. यदि आपके पास समय का अभाव है अौर पूरा पाठ नहीं कर पा रहे हैं, तो सिद्ध कुंजिका स्रोत, कवच, अर्गला, कील व नवार्ण मंत्र की एक माला व रात्रि सुक्त का पाठ कर एक से चार अध्याय का पाठ कर लें. इसके बाद देवी सुक्त का पाठ करें. क्षमा प्रार्थना कर आरती कर लें अौर भगवान को प्रसाद अर्पित करते हुए स्वयं ग्रहण करें. पूरी नवरात्र तक कोशिश करें कि हर दिन मां दुर्गा के मंदिर में जाकर उन्हें प्रणाम कर लें. आप अखंड दीप नहीं जला रहे हैं, तो पूजा के दौरान एक अथवा उससे अधिक दीप प्रज्जवलित कर लें. कोशिश होनी चाहिए कि पूजा के दौरान यह प्रज्जवलित रहे.
कलश स्थापना व पूजा की सामग्री
कलश, गेहूं , जौ, अक्षत, बालू, आम का पल्लव, ढक्कन, चंदन, द्रव्य, गंगाजल, पान पत्ता, कसैली, सर्व अौषधी, जटामासी, द्रव्य, वस्त्र, हल्दी, दूब, पंच रत्न, सप्तमृतिका, सर्वअौषधि, जनेऊ, गाय का गोबर, गौ मूत्र, पीला सरसों, चौकी, धूप, दीप, गुड़, मधु, लौंग, इलाइची, पंचमेवा, विल्वपत्र, फूल, माला, अबीर, गुलाल, मेहंदी,काजल, रोड़ी, सिंदूर, कपूर और मौली सूता आदि.
डोली पर होगा मां भवानी का आगमन
रांची. शारदीय नवरात्र 21 सितंबर से शुरू हो रहा है. इसी दिन कलश स्थापना कर मां की विधिवत आराधना शुरू हो जायेगी. वाराणसी पंचांग के अनुसार मां का आगमन डोली में हो रहा है. यह शुभ नहीं माना जाता है. वहीं, गमन घोड़े पर है. यह भी शुभ नहीं है. घोड़े पर जाने से युद्ध व अत्यधिक वृष्टि से खेती में क्षति होगी. मिथिला पंचांग के अनुसार मां का आगमन डोली पर और गमन चरना युद्ध (मुर्गा) पर हो रहा है़ आगमन और गमन दोनों का फल शुभ नहीं है़ बांग्ला पंचांग के अनुसार मां का आगमन नाव पर हो रहा है. इसका फल शुभ माना जा रहा है. वहीं, मां का गमन घोड़ा पर हो रहा है.
सुबह 9:58 बजे तक है प्रतिपदा
इस बार प्रतिपदा काफी कम समय के लिए मिल रहा है. 21 सितंबर को प्रतिपदा सुबह 9:58 बजे तक ही है. इस कारण भक्तों को कलश स्थापना करने के लिए काफी कम समय मिलेगा. हालांकि उदया तिथि में प्रतिपदा मिलने के कारण सारा दिन प्रतिपदा मान्य होगा. इस दिन 12:37 से 1:25 बजे तक अभिजीत मुहूर्त है, जिसमें कलश स्थापना का विशेष महत्व है.
27 सितंबर को महासप्तमी है. इस दिन वाराणसी पंचांग के अनुसार शाम 5:20 बजे तक महासप्तमी है. इसके बाद महाअष्टमी लग जायेगी, जिस कारण निशा पूजा इसी रात होगी. महाअष्टमी पूजा व व्रत 28 सितंबर को होंगे. इस दिन उदयकाल में सूर्योदय मिल रहा है. इसलिए शुक्रवार को अष्टमी तिथि मान्य है. शनिवार को महानवमी और रविवार को विजयादशमी है.
श्रद्धालुओं ने कहा
महालया के दिन पूरा परिवार दुर्गाबाटी जाता है़ यह दिन बंग समुदाय के लिए बेहद खास है़ पूजा को लेकर तैयारी हो चुकी है़ पूरे परिवार के लिए खरीदारी हो चुकी है़ इस दिन का वर्षभर इंतजार रहता है़ दुर्गा पूजा में छोटा बेटा भी घर आ रहा है़
-परिणीति चौधरी, ड्रामा आर्टिस्ट
महालया का दिन मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण है़ सुबह महालया का कार्यक्रम रेडियो पर सुनता हूं. इसके बाद तर्पण की तैयारी में लग जाता हूं. महाल्या के दिन बुजुर्गों को पानी देता हू़ं हर साल महालया में अपने पितरों को याद करता हूं. मेरे लिए यह दिन काफी मायने रखता है़
-देवव्रत सेनगुप्ता, रंगकर्मी
महालया का साल भर इंतजार रहता है़ महालया सुनते ही लगता है कि मां आ गयी. हम सभी पूजा में रम जाते है़ं घर की साफ-सफाई पूरी हो चुकी है़ हर बार पूजा के अवसर पर बाहर जाना हाेता था. इस बार हम रांची में ही धूमधाम से पूजा सेलिब्रेट करेंगे. शॉपिंग भी हो गयी है.
– भ्रोमोर कर्मकार
महालया मेरे लिए बहुत ही खास है़ बेटा इस दिन दुर्गाबाटी में कार्यक्रम की प्रस्तुति दे रहा है़ यह पल मेरे लिए काफी अनमोल है. सभी पर मां का आशीर्वाद बना रहे यही प्रार्थना है. महालया के कार्यक्रम का सबको इंतजार रहता है.
-सोनाली गांगुली, पीस रोड
महालया के दिन रेडियो पर महिषासुर मर्दिनी का कार्यक्रम सुनने को लेकर उत्सुकता रहती है. यह बंगभाषियों के लिए बहुत ही खास दिन है़ बचपन से हर वर्ष रेडियो पर महालया का कार्यक्रम सुनते आ रही हूं. पूरा परिवार दुर्गाबाटी में एकत्रित होता है.
-शेफाली चक्रवर्ती, पुरुलिया रोड

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