केंद्र के लिए कामधेनु बना पेट्रो क्षेत्र

प्रसेनजित बोस अर्थशास्त्री सितंबर 2017 में पेट्रोल तथा डीजल की खुदरा कीमतें जून 2014 के तब के स्तर को या तो पार कर चुकी अथवा उसे लगभग छू चुकी हैं, जब नरेंद्र मोदी सरकार वजूद में आयी थी. नीचे की तालिका यह प्रदर्शित करती है कि 2 जून, 2014 को, जब दिल्ली में डीजल का […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 20, 2017 6:32 AM

प्रसेनजित बोस

अर्थशास्त्री

सितंबर 2017 में पेट्रोल तथा डीजल की खुदरा कीमतें जून 2014 के तब के स्तर को या तो पार कर चुकी अथवा उसे लगभग छू चुकी हैं, जब नरेंद्र मोदी सरकार वजूद में आयी थी. नीचे की तालिका यह प्रदर्शित करती है कि 2 जून, 2014 को, जब दिल्ली में डीजल का खुदरा मूल्य 57.28 रुपये प्रति लीटर था, तो कच्चे तेल के अंतरराष्ट्रीय मूल्य 106.88 डॉलर प्रति बैरल (लगभग 159 लीटर) हुआ करते थे. अब जबकि वे 53.06 डॉलर प्रति बैरल तक आ गिरे हैं, तो दिल्ली में डीजल का खुदरा मूल्य 58.72 रुपये प्रति लीटर के उसी स्तर का स्पर्श कर रहा है.

पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान जब यह कहते हैं कि सरकार पेट्रो उत्पादों की कीमतें तय करने में हस्तक्षेप का इरादा नहीं रखती-यह समझा जाता है कि मूल्य विनियंत्रण के बाद वे तेल कंपनियों द्वारा रोजाना आधार पर तय की जाती हैं-तो वे पारदर्शिता नहीं बरत रहे. ऐसा इसलिए कि डीजल पर उत्पाद शुल्क 17.33 रुपये प्रति लीटर, जबकि पेट्रोल पर वह 21.48 रुपये प्रति लीटर है. पेट्रो उत्पादों पर राज्य स्तरीय कर विभिन्न राज्यों में अलग-अलग होते हैं. अभी दिल्ली में डीजल तथा पेट्रोल पर वैट (मूल्यवर्धित कर) क्रमशः 8.68 रुपये प्रति लीटर एवं 14.96 रुपये प्रति लीटर हैं, जो केंद्रीय उत्पाद शुल्कों से स्पष्टतः कम हैं.

जबकि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कच्चे तेल की कीमतें वर्ष 2013-14 के 105 डॉलर प्रति बैरल के सालाना औसत से गिर कर 2015-16 तथा 2016-17 में 46 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच चुकी हैं, केंद्रीय सरकार पेट्रोल तथा डीजल पर उत्पाद शुल्कों में नौ दफे से भी ज्यादा बढ़ोतरी कर चुकी है, ताकि वह ज्यादा से ज्यादा मुनाफा हासिल कर ले. इसकी बजाय कि तेल की गिरती कीमतों के लाभ उपभोक्ताओं तक पहुंचने दिये जायें, केंद्र ने पेट्रोलियम क्षेत्र का इस्तेमाल राजस्व की अतिरिक्त उगाही के लिए किया, जो तालिका 2 से स्पष्ट है.

पेट्रोलियम क्षेत्र से प्रति वर्ष उगाहे जानेवाले उत्पाद शुल्क 2013-14 के 77,982 करोड़ रुपये से बढ़ कर 2016-17 में 2,42,691 करोड़ रुपये हो गये. उत्पाद शुल्क से वार्षिक राजस्व 2014-15 में 27 प्रतिशत, 2015-16 में 80 प्रतिशत तथा 2016-17 में 36 प्रतिशत बढ़ा. तदनुसार, वह 2013-14 में जीडीपी के 0.7 प्रतिशत से बढ़ कर 2016-17 में जीडीपी का 1.6 प्रतिशत हो गया. अतिरिक्त राजस्व की इस उगाही ने केंद्र को प्रत्यक्ष करों में वृद्धि की ज्यादा कोशिशें किये बगैर अपने बजट को संतुलित करने में समर्थ कर दिया.

यहां गौरतलब यह है कि राज्य सरकारें इस रास्ते पर नहीं चलीं. नतीजतन, पेट्रो-उत्पादों से वार्षिक राज्यस्तरीय बिक्री कर/वैट 2013-14 से 2016-17 के दौरान जीडीपी के 1.1 प्रतिशत पर स्थिर बना रहा. राज्यों स्तरीय बिक्री कर/वैट से राजस्व उगाही में 2013-14 से 2016-17 के दौरान केवल 37,333 करोड़ रुपयों की, यानी तीन वर्षों में लगभग 30 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई. दूसरी ओर, इसी अवधि में केंद्रीय उत्पाद राजस्व ने 257 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज कर दी. इस प्रकार, पेट्रोलियम क्षेत्र का दोहन राज्य सरकारें नहीं, बल्कि केंद्र सरकार कर रही है.

जब कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में चढ़ने की प्रवृत्ति नजर आ रही है, तो सरकार को चाहिए कि वह कंपनियों को खुदरा कीमतों में मनमानी वृद्धि करने देने के बजाय उत्पाद शुल्कों में कमी लाये. जहां तक राजस्व उगाही का प्रश्न है, पेट्रो उत्पादों जैसी जरूरी और निम्न कीमत-लचीलापन प्रदर्शित करनेवाली चीजों पर ऊंचे कर लगाना स्वभावतः एक आसान विकल्प लगा करता है.

एक ऐसे वक्त में, जब अप्रत्यक्ष करों को तर्कसंगत बनाने के लिए जीएसटी लाया गया है, (इसे जिस सीमा तक किया जा सका है, उस पर सवालिया निशान लगे हैं), अतिरिक्त राजस्व हासिल करने के उद्देश्य से पेट्रो उत्पादों को उसके दायरे से बाहर रखना छलपूर्ण है.

राजकोषीय फायदे के लिए विमुद्रीकरण जैसे एक अर्थहीन कदम उठाने की बजाय सरकार को अधिक समृद्ध वर्गों से प्रत्यक्ष कर राजस्व की उगाही के उपायों पर गौर करना चाहिए.

(अनुवाद: विजय नंदन)

तालिका 2 : पेट्रोलियम क्षेत्र से कर तथा शुल्क

2012-13 2013-14 2014-15 2015-16 2016-17

केंद्रीय कर/शुल्क 100339 106090 126219 209536 273502

जिसमें उत्पाद शुल्क हिस्सा 73310 77982 99184 178591 242691

राज्य कर/शुल्क 136021 152442 160526 160114 188435

जिसमें बिक्री कर/वैट हिस्सा 115036 129045 137157 142848 166378

जीडीपी का प्रतिशत 2012-13 2013-14 2014-15 2015-16 2016-17

केंद्रीय कर/शुल्क 1.0 0.9 1.0 1.5 1.8

जिसमें उत्पाद शुल्क हिस्सा 0.7 0.7 0.8 1.3 1.6

राज्य कर/शुल्क 1.4 1.4 1.3 1.2 1.2

जिसमें बिक्री कर/वैट हिस्सा 1.2 1.1 1.1 1.0 1.1

स्रोत: रेडी रेकनर, जून 2017, पीपीएसी, पे. एवं प्रा. गैस मंत्रालय, भारत सरकार

तालिका 1 : पेट्रोल तथा डीजल की अंतरराष्ट्रीय एवं घरेलू कीमतें

वैश्विक कीमत (भारतीय बास्केट) पेट्रोल की घरेलू खुदरा कीमत डीजल की घरेलू खुदरा कीमत

डॉलर प्रति बैरल दिल्ली कोलकाता मुंबई चेन्नई दिल्ली कोलकाता मुंबई चेन्नई

2-जून -14 106.88 71.41 79.26 80 74.6 57.28 61.97 65.84 61.12

12-सितं -17 53.06 70.38 73.12 79.48 72.95 58.72 61.37 62.37 61.84

Next Article

Exit mobile version