विशेष आलेख : ग्रामीण अर्थव्यवस्था खस्ताहाल, नयी नौकरियां पैदा करने की जरूरत
!!शंकर अय्यर,आर्थिक पत्रकार !! गिरती अर्थव्यवस्था की मौजूदा हालत के तीन कारण हैं. पहला कारण है ग्रामीण अर्थव्यवस्था का खस्ताहाल होना. ग्रामीण लोगों और किसानों की आमदनी के स्रोत कम हो गये हैं, जिस कारण उनकी खरीद क्षमता घट रही है और इसका असर अर्थव्यवस्था पर पड़ रही है. हालांकि, इसके कई कारण हैं, मसलन […]
!!शंकर अय्यर,आर्थिक पत्रकार !!
गिरती अर्थव्यवस्था की मौजूदा हालत के तीन कारण हैं. पहला कारण है ग्रामीण अर्थव्यवस्था का खस्ताहाल होना. ग्रामीण लोगों और किसानों की आमदनी के स्रोत कम हो गये हैं, जिस कारण उनकी खरीद क्षमता घट रही है और इसका असर अर्थव्यवस्था पर पड़ रही है.
हालांकि, इसके कई कारण हैं, मसलन सूखा-बाढ़, एमएसपी का न बढ़ाया जाना, उत्पादन का कम होना आदि. गांव के लोग कुछ महीने खेती-बाड़ी में काम करते हैं, तो कुछ महीने वे शहरों में कंस्ट्रक्शन साइटों पर काम करते हैं. अब जब कंस्ट्रक्शन की हालत भी बिगड़ गयी है, इसलिए ग्रामीण इस काम से भी महरूम हो गये हैं. अब इसका असर अर्थव्यवस्था पर तो पड़ता ही है.
दूसरा कारण है, पिछले सालों में मैन्यूफैक्चरिंग, खनन और औद्योगिक क्षेत्र में गिरावट आयी है, इससे भी जीडीपी पर असर पड़ा है. चीन जबसे मैन्यूफैक्चरिंग के क्षेत्र में आया है, तबसे अन्य देशों में मैन्यूफैक्चरिंग और औद्योगिक क्षेत्रों को धक्का लगा है, खास तौर से छोटे कारोबार को ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा है.
जिस तरीके से छोटे बाजारों में चीन अपनी दखल रखता है, अपने उत्पादों को हर कहीं पहुंचा देता है, उस तरीके से हम नहीं कर पाते. भारत का जनमानस और लोगों की खरीद क्षमता जिस तरह की है, या फिर दुनिया के किसी भी देश के लोगों की खरीद क्षमता थोड़ी कम है, वहां चीन आसानी से दखल बना लेता है. भारत में तकनीकी और इलेक्ट्रॉनिक की सस्ती से सस्ती चीजें चीन से ही आती हैं. मसलन, आज देश में सबसे ज्यादा खपत मोबाइल की हो रही है, जिसमें सबसे ज्यादा मोबाइल चीन का बना होता है.
दरअसल, कहीं से भी अगर सस्ता सामान आता है, तो देश में उत्पादित महंगे सामानों की बिक्री को धक्का लगता है, उन सामानों की मांग कम हो जाती है. जब मांग कम होती है, तो उन्हें उत्पादित करने के लिए निवेश कम होता है. जब निवेश कम होता है तो नौकरियां कम होती हैं. नौकरियां कम होती हैं, तो खरीद क्षमता भी कम हो जाती है और इस तरह इस पूरे चक्र में अर्थव्यवस्था फंस जाती है और फिर विकास दर कम होने लगती है.
तीसरा कारण है निर्यात (एक्सपोर्ट) का कम होना. रुपये में 20-25 पैसे हमारी जीडीपी का एक्सपोर्ट से आता है. पिछले चार-पांच साल से इसकी ग्रोथ में काफी गिरावट आयी है. इस गिरावट का कारण है वैश्विक तकनीक का प्रयोग.
भारत से जो आइटी कंपनियां या फार्मासुटिकल कंपनियां जो एक्सपोर्ट करती थीं, या खनन का माल जिस तरह से बिकता था, उसमें गिरावट से ये क्षेत्र जीडीपी में अपना खासा योगदान नहीं दे पा रहे हैं. वैश्विक अर्थव्यवस्था में ग्रोथ तो हुई है, लेकिन मसला यह है कि क्या हम उनके स्तर का या उन्हें जो चाहिए, वह हम बना या बेच पा रहे हैं?
इसी सवाल के चलते हमारा एक्सपोर्ट प्रभावित हुआ है. यही वे तीन कारण हैं, जिनके चलते जीडीपी ग्रोथ में गिरावट आयी है. ये परिस्थितियां हमारी अर्थव्यवस्था में बाधक हैं, इसलिए इन्हें दूर करने के उपाय सोचे जाने चाहिए.
ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार बढ़ायें
इस परिस्थिति से निपटने के लिए सरकार को यह देखना ही होगा कि वह इसके क्या तात्कालिक उपाय बना सकती है, ताकि हम आर्थिक मंदी के शिकार न होने पायें. इस ऐतबार से वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जिस प्रोत्साहन पैकेज की बात कही है, सरकार को उसे अमल में लाना चाहिए.जीडीपी ग्रोथ के लिए बड़े स्तर पर निवेश करना पड़ेगा और भारत पर भरोसा करना पड़ेगा और लोगों को भी इस भरोसे में शामिल करना पड़ेगा. रोजगार के बेशुमार अवसर पैदा करने होंगे, लॉ एंड ऑर्डर को सुधारना होगा.
पुलिस की कमी है, उसे पूरा किया जाये. किसान जो उपजाता है, उसमें से 92 हजार करोड़ की उपज बर्बाद हो जाती है. अगर इसे बचा लिया जाता, तो कितनों का पेट भरता. लेकिन, सरकार के पास अभी ऐसी कोई नीति नहीं है, जिससे कि इस तरह की बर्बादी को रोका जा सके. शिक्षा व्यवस्था का हाल खराब है, उसके लिए जरूरी कदम उठाये जायें. कहने का अर्थ है कि हर आम आदमी की सुख-सुविधा का पूरा ख्याल रखते हुए उसके लिए रोजगार की व्यवस्था हो, तो इससे अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी और नौकरियां भी बनेंगी.
खास तौर से ग्रामीण रोजगार बढ़ाये जायें. और यह जिम्मेदारी सिर्फ केंद्र सरकार की नहीं है, जिसे अक्सर हम दोषी मानने की गलतफहमी पालकर बैठ जाते हैं. यह जिम्मेदारी राज्य सरकारों की भी है और राज्य सरकारों को चाहिए कि वे लोगों को बतायें कि रोजगार के अवसरों को पैदा करने से लेकर अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए वे क्या कर रही हैं.
अर्थव्यवस्था का चक्र सुधारें
अगर सरकार प्रोत्साहन पैकेज का ऐलान करती है, तो उसे चाहिए कि उसका इस्तेमाल उन क्षेत्रों में किया जाये, जो सबसे ज्यादा नौकरियां देनेवाले क्षेत्र हैं. नौकिरयों के बढ़ने से ही लोगों में उपभोग बढ़ेगा. उपभोग बढ़ेगा तो मांग बढ़ेगी. मांग बढ़ेगी तो निवेश बढ़ेगा. निवेश बढ़ेगा तो नौकरियां बढ़ेंगी और फिर उत्पादन शुरू होकर उपभोग की तरफ जायेगा.
इस चक्र का मजबूत होना बहुत जरूरी है, क्योंकि यही वह चक्र है, जिस पर अर्थव्यवस्था गतिमान होती है. हालांकि, अभी सरकारों के पास पैसों की किल्लत है, लेकिन घरेलू स्तर पर जब बहुत छोटे स्तर पर सरकार चीजों को मजबूत करे, तो बहुत मुमकिन है कि यह अर्थव्यवस्था गतिमान रहेगी और उसमें निरंतर वृद्धि भी होती रहेगी.
हाल-फिलहाल कुछ जरूरी चीजों पर ध्यान देकर सरकारें अर्थव्यवस्था को मजबूत बना सकती हैं- ग्रामीण रोजगार के अवसर पैदा करके, एक्सपोर्टर्स और छोटे कारोबारियों को सहूलियतें देकर, स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र को मजबूत करके, और निर्माण एवं कंस्ट्रक्शन क्षेत्रों में निवेश करके ज्यादा से ज्यादा रोजगार बढ़ाया जा सकता है. फिर तो अर्थव्यवस्था खुद ब खुद चलायमान हो जायेगी. (वसीम अकरम से बातचीत पर आधारित)