रिटेल बिजनेस का स्वरूप बदल रहे यह 5 मोबाइल ट्रेंड्स

मोबाइल टेक रिटेल बिजनेस में डिजिटलीकरण की प्रक्रिया प्रभावी रूप नहीं ले सकी है. खासकर ऐसे समय में, जब इसके मुनाफे की हिस्सेदारी में बड़े डिजिटल महारथी शामिल हैं. प्रतिस्पर्धी माहौल में उद्यमी ज्यादा-से-ज्यादा ग्राहक को अपने साथ जोड़ने की जुगत में लगे हुए हैं. मोबाइल जैसे-जैसे दुकानदारों के लिए महत्वपूर्ण होता जा रहा है, […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 22, 2017 7:21 AM
मोबाइल टेक
रिटेल बिजनेस में डिजिटलीकरण की प्रक्रिया प्रभावी रूप नहीं ले सकी है. खासकर ऐसे समय में, जब इसके मुनाफे की हिस्सेदारी में बड़े डिजिटल महारथी शामिल हैं. प्रतिस्पर्धी माहौल में उद्यमी ज्यादा-से-ज्यादा ग्राहक को अपने साथ जोड़ने की जुगत में लगे हुए हैं.
मोबाइल जैसे-जैसे दुकानदारों के लिए महत्वपूर्ण होता जा रहा है, वैसे-वैसे वे अपने ग्राहकों के अनुभवों, रिटेल मैनेजमेंट और ऑपरेशंस की प्रक्रिया में सुधार लाने के लिए विविध मोबाइल ट्रेंड्स अपना रहे हैं. आज के इन्फो टेक्नोलॉजी पेज में जानते हैं ऐसे ही पांच प्रमुख मोबाइल ट्रेंड्स के बारे में और किस तरह से वे मददगार होते हैं खुदरा कारोबारियों को आगे बढ़ने में …
मोबाइल एप्स
मोबाइल स्ट्रेटजी के लिए वैसे मोबाइल एप्लीकेशंस कोई नयी चीज नहीं है, पर खुदरा सेक्टर में इसका महत्व तेजी से बढ़ रहा है. ऑनलाइन खरीदारी करनेवालों के एक सर्वेक्षण में संबंधित वेबसाइट ‘यूपीएस’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, करीब 64 फीसदी खरीदार यह दर्शाते हैं कि उन्होंने रिटेलर के एप का इस्तेमाल किया है.
हालांकि, आपके ब्रांड का महज एक मोबाइल एप होना ही पर्याप्त नहीं कहा जा सकता. खुदरा विक्रेताओं को इसे इस तरह से बनाना होगा, ताकि वे बिक्री के लिए ज्यादा लोगों तक पहुंच सकें और उन्हें प्रोत्साहित कर सकें.
‘बिजनेस इनसाइडर’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ऑनलाइन ट्रैफिक की हिस्सेदारी स्मार्टफोन के जरिये भले ही 53 फीसदी तक पहुंच गयी हो, लेकिन मोबाइल के माध्यम से होने वाली बिक्री अब तक 29 फीसदी तक ही पहुंची है. मोबाइल चेकआउट और इन-एप ब्राउजिंग, दो ऐसे क्षेत्र हैं, जिनमें अभी सुधार की पर्याप्त गुंजाइश है.
लॉयल्टी प्रोग्राम्स
हाल-फिलहाल तक लॉयल्टी प्रोग्राम्स के लिए प्राय: मोबाइल से जुड़े अनुभवों काे इस्तेमाल में नहीं लाया जाता रहा है. लेकिन, अनेक स्मार्ट ब्रांड्स ने हाल में यह पाया है कि मोबाइल के जरिये ग्राहकों के बीच भरोसे को बढ़ाया जा सकता है और उन्होंने इसके लिए मोबाइल सोलुशंस की शुरुआत भी कर दी है. इस नजरिये से मोबाइल का इस्तेमाल होने से ज्यादातर लॉयल्टी प्रोग्राम्स के तहत ग्राहकों के साथ ज्यादा-से-ज्यादा जुड़ाव मुमकिन बनाने और उनकी शिकायतों को समझने पर फोकस होगा.
इनवेंटरी मैनेजमेंट
खुदरा विक्रेताओं को यह भी समझ आ रहा है कि अपने बैक-एंड ऑपरेशन में मोबाइल उपकरणों को एकीकृत करके वे उत्पादकता में सुधार कर सकते हैं और अपने खुदरा प्रबंधन को आसान बना सकते हैं.
उदाहरण के तौर पर, बिल्ट-इन स्कैनर और इनवेंटरी एप्स से जुड़े मोबाइल डिवाइस को ऑनलाइन कनेक्ट किया जा सकता है और विविध चैलनों के जरिये ग्राहकों के अनुभवों को जानने के लिए इन-स्टोर इनवेंटरी सिस्टम का निर्माण किया जा सकता है. साथ ही, वे इसके जरिये स्टॉक के स्तर और लोकेशंस की रीयल-टाइम जानकारी रख सकते हैं, जिससे उपभोक्ताओं की जरूरतों को समझने में आसानी होती है और उनके पास तेजी से वस्तुओं को पहुंचाया जा सकता है.
व्यापक सुविधा
मोबाइल डिवाइस के जरिये मोबाइल प्वॉइंट-ऑफ-सेल (पीओएस) और पेमेंट्स की मंजूरी मिलने से ग्राहकों और खुदरा विक्रेताओं, दोनों ही के लिए मुनाफे की दशा है. मोबाइल पीओएस केवल उपभोक्ताओं के लिए चेकआउट लाइन्स को कम नहीं करता है- यह बिक्री के सहयोगी तत्वों को मूल्य निर्धारण और उत्पाद की जानकारी मुहैया कराता है.
साथ ही, अन्य खरीदारों को इसकी सिफारिश करता है और ऑर्डर किये गये सामान को सीधे ग्राहकों के घरों पर भेजता है. इस प्रकार के मोबाइल पीओएस सिस्टम न केवल एसोसिएट्स के लिए प्रभावी तरीके से कार्य करने में मददगार साबित होते हैं, बल्कि वे ग्राहकों को भी अतिरिक्त सुविधा मुहैया कराते हैं, जो ग्राहक अनुभव को सुधारने की दिशा में लंबा रास्ता तय कर सकता है.
विस्तृत अनुभव
खुदरा विक्रेता अपनी मार्केटिंग रणनीति में व्यापक अनुभवों को शामिल कर रहे हैं. उदाहरण के तौर पर, होम इंप्रूवमेंट स्टोर्स का वर्चुअल रियलिटी हेडसेट्स से सज्जित मोबाइल डिवाइस के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है, ताकि ग्राहकों को बेहतर और अधिक भरोसेमंद विजुअल्स मुहैया कराये जा सकें. मोबाइल डिवाइसेज और एप्स को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिये ग्राहकों की प्राथमिकताओं को जानने के लिए इस्तेमाल में लाया जा सकता है और भविष्य में ग्राहकों को और अधिक व्यक्ति केंद्रित प्रस्ताव दिये जा सकते हैं.
गुजरा जमाना
वीसीआर
वीसीआर यानी वीडियोकैसेट रिकॉर्डर एक इलेक्ट्रॉमैकेनिकल डिवाइस है, जो ब्रॉडकास्ट टेलीविजन या अन्य स्रोतों से मैग्नेटिक वीडियोकैसेट के जरिये एनालॉग ऑडियाे या एनालॉग वीडियो रिकॉर्ड्स करता है, जिसे जरूरत के मुताबिक प्ले किया जा सकता है और फिल्म आदि देखा जा सकता है. 1980 और 90 के दशक में देश-दुनिया में इसकी लोकप्रियता चरम पर थी. उस दौरान शहरों, कस्बों, गांवों सभी जगहों पर लोग किराये पर इसके जरिये फिल्म देखते थे.
हालांकि, पहले वीडियो होम रिकॉर्डर बनाने की शुरुआत यूके नॉटिंघम इलेक्ट्रॉनिक वाल्व कंपनी ने 1963 में ही की थी, लेकिन लोगों के बीच यह लोकप्रिय बना 1980 के दशक में, जब जापान की फुनेई इलेक्ट्रिक कंपनी ने इसका व्यापक उत्पादन शुरू किया. इसके अलावा, सैन्यो, पैनासोनिक और फिलिप्स जैसी कंपनियों ने भी इसका उत्पादन शुरू किया. पिछले दशक के दौरान डीवीडी प्लेयर समेत बाजार में इसके अन्य बेहतर विकल्प आने के बाद से इसकी बिक्री कम हो गयी, जिस कारण इसका निर्माण अब बंद कर दिया गया है.
इन्फोर्मेशन टेक का बढ़ता वैश्विक दायरा
सर्विस प्रोवाइडर्स को पुख्ता नेटवर्क मुहैया कराने की बाजार में बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए इन्फोर्मेशन टेक्नाेलॉजी की मांग लगातार बढ़ रही है. प्रोवाइडर्स अपने क्लाइंट्स को उनकी जरूरतों के अनुरूप लेटेस्ट और सर्वाधिक इनोवेटिन समाधान मुहैया कराने के लिए जुटे रहते हैं. हाल के दिनों में डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन पर ज्यादा जोर है, जिसमें ऑटोमेशन और इन्फोर्मेशन टेक्नाेलॉजी से जुड़े बेहतर समाधान की तलाश की जा रही है.
इससे न केवल मौजूदा कारोबारी प्रक्रिया आसान हो रही है, बल्कि कारोबार के नये मौके भी पैदा हो रहे हैं. रिसर्च कंसल्टेंसी ‘आईडीसी’ के मुताबिक, हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर, सर्विसेज और टेलीकम्यूनिकेशन से जुड़े वैश्विक सूचना प्रौद्योगिकी का कारोबार वर्ष 2015 में 3.7 खरब डॉलर से बढ़ कर 2016 में 3.8 खरब डॉलर तक पहुंच गया. इसमें 28 फीसदी हिस्सेदारी अमेरिका की है.
टेलीमेडिसिन इनोवेशन से बदल रहा पारंपरिक हेल्थकेयर
पारंपरिक स्वास्थ्य देखभाल के मुकाबले टेलीमेडिसिन के जरिये मरीजों को विविध स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराते हुए टेलीकम्युनिकेशन की उपयोगिता बढ़ रही है और इसके जरिये मरीजों को बेहतर हेल्थकेयर की सुविधा प्रदान की जा रही है. अमेरिका की ही बात करें, तो रिसर्च व कंसल्ट फर्म फार्मियॉन के मुताबिक, वर्ष 2021 तक यहां टेलीमेडिसिन का बाजार 13 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है.
बूढ़ी होती आबादी, गंभीर बीमारियों की बढ़ती संख्या और महंगे होते जा रहे स्वास्थ्य देख-रेख के कारण हेल्थकेयर सेक्टर में टेलीमेडिसिन का बाजार सबसे तेजी से उभर रहा है. तेजी से बदलती और उन्नत तकनीकों समेत मरीजों की सुरक्षा और कम लागत में स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने जैसे विविध सुधारों के कारण हेल्थकेयर इंडस्ट्री में टेलीमेडिसिन सेवाओं और तकनीकों की मांग तेजी से बढ़ रही है.
प्रस्तुित कन्हैया झा

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