12.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

डोम्बारी बुरु शहादत दिवस : …जब अंग्रेजों के जुल्म के खिलाफ बिरसा ने छेड़ा उलगुलान।

रांची : जालियांवाला बाग हत्‍याकांड तो सभी को स्मरण होगा, जहां अंग्रेजों ने अपनी कायरता का परिचय देते हुए हजारों देशभक्‍त को मौत के घाट उतार दिया था. 13 अप्रैल 1919 को रौलेट एक्ट के विरोध में हो रही एक सभा पर जनरल डायर नामक एक अंग्रेज ऑफिसर ने अकारण ही सभा में उपस्थित भीड़ […]

रांची : जालियांवाला बाग हत्‍याकांड तो सभी को स्मरण होगा, जहां अंग्रेजों ने अपनी कायरता का परिचय देते हुए हजारों देशभक्‍त को मौत के घाट उतार दिया था. 13 अप्रैल 1919 को रौलेट एक्ट के विरोध में हो रही एक सभा पर जनरल डायर नामक एक अंग्रेज ऑफिसर ने अकारण ही सभा में उपस्थित भीड़ पर गोलियां चलवा दीं. जिसमें हजार से अधिक लोग शहीद हो गये और हजारों की संख्‍या में घायल भी हुए.

यह तारीख भला कौन देशभक्‍त भूल सकता है, लेकिन बहुत कम लोगों को याद होगा कि जालियांवाला बाग हत्‍याकांड से पहले भी अंग्रेजों ने झारखंड के डोंबारी बुरु में सैकड़ों निर्दोष लोगों पर जुल्‍म ढाया था. जीं हां, आज से 119 साल पहले 9 जनवरी 1899 को अंग्रेजों ने रांची से लगभग 50 किलोमीटर दूर खूंटी जिले के अड़की ब्‍लॉक स्थित डोंबारी बुरु ( मुंडारी में बुरु का अर्थ पहाड़ होता है) में निर्दोष लोगों को चारों तरफ से घेर कर गोलियों से भून दिया था.

भगवान बिरसा के उलगुलान का गवाह डोंबारी बुरु

झारखंड के जाने-माने साहित्‍यकार और जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग के पूर्व विभागाध्‍यक्ष गिरीधारी राम गंझू ने बताया कि खूंटी जिला के उलिहातु (भगवान बिरसा का जन्‍म स्‍थल) के पास स्थित डोंबारी बुरु में भगवान बिरसा मुंडा अपने 12 अनुयाइयों के साथ सभा कर रहे थे. सभा में आस-पास के दर्जनों गांव के लोग भी शामिल थे. बिरसा जल, जंगल जमीन बचाने के लिए लोगों में उलगुलान की बिगुल फूंक रहे थे. सभा में बड़ी संख्‍या में महिला और बच्‍चे भी मौजूद थे. अंग्रेज को बिरसा की इस सभा की खबर हुई और बिना कोई सूचना के अंग्रेज सैनिक वहां धमक गये और डोंबारी पहाड़ को चारों तरफ से घेर लिया. जब अंग्रेजों ने बिरसा को हथियार डालने के लिए ललकारा, तो बिरसा और उनके समर्थकों ने हथियार डालने की बजाय शहीद होना उचित समझा. फिर क्‍या था अंग्रेज सैनिक मुंडा लोगों पर कहर बनकर टूटे. बिरसा ने भी अंग्रेजों का जमकर सामना किया, लेकिन इस संघर्ष में सैकड़ों लोग शहीद हो गये. हालांकि, बिरसा मुंडा अंग्रेजों को चकमा देकर वहां से निकलने में सफल रहे.

नरसंहार में मौत के मुंह से बचकर निकला बच्‍चा आगे चलकर बना जयपाल सिंह
गिरीधारी राम गंझू ने बताया, ऐसी मान्‍यता है कि इस नरसंहार में एक बच्चा बच गया था, जिसे एक अंग्रेज ने गोद ले लिया था. यह बच्चा आगे चलकर जयपाल सिंह मुंडा बना.


डोंबारी बुरु में एक विशाल स्तंभ निर्माण

इतिहास को अपने अंदर समेटे हुए डोंबारी बुरु आज भी विकास की बाट जोह रहा है. हालांकि, वहां पूर्व राज्‍यसभा सांसद और अंतरराष्ट्रीय स्तर के भाषाविद्, समाजशास्त्री और आदिवासी बुद्धिजीवी व साहित्यकार डॉ रामदयाल मुंडा ने यहां एक विशाल स्‍तंभ का निर्माण कराया. यह स्‍तंभ आज भी सैकड़ों लोगों के शहादत की कहानी बयां करती है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें