*मरकच्चो गोलीकांड के बाद लाखों कार्यकर्ता को एकजुट करने वाले महेंद्र
*हत्या के लिए नक्सलियों ने पूछा नाम, आगे आये बोले मैं हूं महेंद्र
!!पंकज कुमार पाठक!!
धनबाद : आज झारखंड के जननायक पूर्व विधायक महेंद्र सिंह का 14 वां शहादत दिवस है. उनकी शहादत, हिम्मत और जननायक के महत्व को समझना हो तो 22 जनवरी 2003 की एक घटना से समझिए. कोडरमा के मरकच्चो में हजारो माले समर्थक अपराध और सड़क लूट, भ्रष्ट्राचार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. मरकच्चो पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चला दी. इस गोलीबारी में माले नेता महेश सिंह, अशोक यादव व रतन वर्णवाल की मौत हो गयी.
कॉमरेड महेंद्र सिंह की शहादत दिवस पर विशेष: जन मुद्दों के मुखर प्रणेता
इस गोलीकांड के बाद आंदोलन दम तोड़ चुका था. कार्यकर्ताओं की हिम्मत जवाब देने लगी थी. उनमें हौसला और जुनून का बिगूल फूंका तत्कालीन विधायक महेंद्र सिंह ने. जिस जगह पुलिस की गोली से कार्यकर्ता डरकर इधऱ – उधर भागे थे उसी जगह एक माह के अंदर लाखों कार्यकर्ता जुटे. ना सिर्फ आंदोलन हुआ बल्कि इस आंदोलन से तत्कालीन मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी को भी झुकना पड़ा.
मरकच्चो गोलीकांड के आश्रितों को सरकार की ओर से दो-दो लाख रुपये की राशि दी गयी. महेंद्र सिंह को जननायक कहने के पीछे सबसे बड़ा कारण है लोगों के दिलों में उनके लिए बनायी जगह आज भी वैसी ही है. निधन के 14 सालों के बाद भी शहादत दिवस के लिए हजारों लोग इकट्टा होते हैं.
हत्या के वक्त नक्सलियों ने पूछा कौन है महेंद्र सिंह, आगे आये और बोले मैं हूं
16 जनवरी 2005 को सरिया थाना क्षेत्र के दुर्गी-धवैया गांव में महेंद्र सिंह विधानसभा चुनाव का प्रचार करने पहुंचे थे. नक्सली भी इस सभा में मौजूद थे. नक्सलियों ने जब पूछा कि यहां महेंद्र सिंह कौन है?. वे आगे आये और बोले मैं हूं. प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार इसी के बाद नक्सलियों ने उन पर ताबड़तोड़ गोलियां चला दी.
राजनीतिक सफर की शुरूआत कैसे हुई
शहीद महेंद्र सिंह का जन्म बगोदर प्रखंड के गांव खमरा में 22 फरवरी 1954 को हुआ.1970 के अंत में सीपीआई एमएल लिबरेशन से जुड़कर कॉमरेड सिंह ने अपने पैतृक गांव बगोदर प्रखंड के खंभरा से राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी साल 1978 में वह आइपीएएफ नेता मोहन दत्ता के साथ जुड़े इसके बाद उन्होंने राजनीतिक पारी शुरू कर दी.