आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से बदल रहा बैंकिंग सिस्टम, अब धोखाधड़ी का पता लगाना होगा आसान
मौजूदा दौर में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का दायरा बढ़ता जा रहा है. पिछले कुछ वर्षों के दौरान बैंकिंग सेक्टर में भी इसका इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है. इससे न केवल बैंकिंग सिस्टम में बदलाव आ रहा है, बल्कि ग्राहकों को भी अनेक सुविधाएं आसानी से मिल रही हैं. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और इससे जुड़ी चीजों को लागू […]
मौजूदा दौर में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का दायरा बढ़ता जा रहा है. पिछले कुछ वर्षों के दौरान बैंकिंग सेक्टर में भी इसका इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है. इससे न केवल बैंकिंग सिस्टम में बदलाव आ रहा है, बल्कि ग्राहकों को भी अनेक सुविधाएं आसानी से मिल रही हैं.
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और इससे जुड़ी चीजों को लागू करने से बैंकिंग सेक्टर में किस तरह का आयेगा बदलाव समेत ग्राहकों को किस तरह की मिलेगी सुविधा और इससे जुड़े विविध पहलुओं को इंगित कर रहा है आज का इन्फो टेक पेज .
महत्वपूर्ण व्यापारिक निर्णय लेने में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) से जुड़ी सेवाओं के इस्तेमाल के लिहाज से बीमा सेक्टर ने अब बैंकिंग और असेट मैनेजमेंट संबंधी कारोबार को पीछे छोड़ दिया है.
बीमा सेक्टर में जहां करीब 54 फीसदी कंपनियां एआई का इस्तेमाल करने लगी हैं, वहीं 34 फीसदी बैंकिंग संस्थान ही इसका इस्तेमाल कर पाते हैं. ‘नैरेटिव साइंस’ द्वारा किये गये एक सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक, मल्टीपल बैंकिंग के मकसद को अंजाम देने के लिए 32 फीसदी वित्तीय संस्थान एआई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रहे हैं, और शेष में भी आधे से अधिक संस्थान वर्ष 2018 के आखिर तक इसे अपनाने को प्रतिबद्ध हैं. यहां हम कुछ सामान्य चीजों की चर्चा करते हैं, जो यह इंगित करते हैं कि निकट भविष्य में बैंकों द्वारा एआई के इस्तेमाल से ग्राहकों पर किस तरह का असर पड़ेगा :
कस्टमर सर्विस के लिए चैटबोट्स
कस्टमर सर्विस सोलुशन के तौर पर ग्राहक अब चैटबोट से फैमिलियर हो रहे हैं, और अन्य सेक्टर में तो उनका पहले से ही इस्तेमाल हो रहा है. बैंकों की योजना है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित चैटबोट्स का इस्तेमाल किया जाये, ताकि ग्राहकों को उनकी जरूरतों के अनुकूल ज्यादा असरदार और प्रभावी तरीके से सेवाएं मुहैया करायी जा सके.
एआई आधारित चैटबोट्स के जरिये बैंक अपने ग्राहकों की समस्याओं और शिकायतों को ज्यादा तेजी से निबटाने में सक्षम हो सकते हैं. ‘बिजनेस इनसाइडर’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, वेल्थ मैनेजमेंट सर्विस, लोन अंडरराइटिंग, कस्टमर एनालिटिक्स, फ्रॉड की पहचान और बैंकिंग सेवाओं से संबंधित अन्य मसलों को सुलझाने में चैटबोट्स की अहम भूमिका होगी.
धोखाधड़ी का पता लगाना होगा आसान
बैंकिंग सिस्टम के दायरे में जब किसी तरह की धोखाधड़ी का पता लगाने की बात आती है, तो बैंकों को पैटर्न और व्यवहार की पहचान करने में सक्षम होने की जरूरत होती है, जो संभवतः धोखाधड़ी के व्यवहार का संकेत देते हैं. होशियार अपराधी अपने पकड़े जाने के कोई सबूत नहीं छोड़ना चाहते और अपने लिए कोई सुरक्षित राह तलाशते हैं. लेकिन, एआई सेवाओं के प्रभावी तरीके से काम करने की दशा में अपराधी कितना ही चालाक क्यों न हो, कोई-न-कोई छोटा सुराग जरूर मिल जायेगा और उसी के आधार पर उसकी धरपकड़ की जा सकेगी.
फाइनेंशियल ब्रांड के मुताबिक एअाई किसी धोखाधड़ी को रीयल-टाइम में पकड़ पाने में सक्षम होगा, और वह यह भी जान सकता है कि धोखाधड़ी की इस तरह की गतिविधियों को अंजाम देने की प्रक्रिया कहां से और कैसे शुरू की गयी, ताकि भविष्य में इस प्रकार की किसी धोखाधड़ी की आशंका को निर्मूल किया जा सके. रिस्पोंस टाइम में तेजी आने से भविष्य में ऐसे मसलों पर निगाह रखने में आसानी होगी.
सुरक्षित ट्रांजेक्शन की गारंटी!
बैंकिंग के लिए नयी तकनीकों को अपनाते समय इस बात का ध्यान रखना पड़ताहै कि जिस तकनीक को अपनाया जा रहा है, वह इस सेक्टर में कितना मान्य होगा और उस संबंध में क्या नियम हैं.
साथ ही, अपने ग्राहकों को इस बात की गारंटी देनी होती है कि किसी संभावित नुकसान, धोखाधड़ी या सुरक्षा संबंधी किसी अन्य खामी की दशा में ट्रांजेक्शन से होने वाले नुकसान की भरपाई करेंगे. आखिरकार, ट्रांजेक्शन संबंधी यह सुरक्षा एआई के जरिये ब्लॉकचेन तकनीक पर आधारित होगी, जिसमें इस कार्य को पूरा होने के क्रम मेंअनेक स्तरों से गुजरना होगा.
इस कारण से इसमें सुरक्षा भंग होने का जोखिम जुड़ा रहेगा, जिससे संभावित नुकसान की आशंका भी बनी रहेगी. इसलिए बैंक को पहले के मुकाबले अधिक मजबूत सुरक्षा प्रणाली को अपनाना होगा. हालांकि, अधिकतर बैंक अब एआई आधारित प्रक्रिया को अपना रहे हैं और अपने ग्राहकों से उनका अनुभव जान रहे हैं. उम्मीद जतायी गयी है कि आने वाले कुछ वर्षों में बैंकिंग सेक्टर में एआई में आयी बढ़ोतरी स्पष्ट रूप से दिख सकता है.
बैंकिंग प्रोडक्ट में बढ़ोतरी
चूंकि एआई के जरिये व्यापक स्तर पर आंकड़ों का विश्लेषण किया जा सकता है, लिहाजा इसकी मदद से ग्राहकों के हित में बेहतर सुविधाएं मुहैया कराने की रणनीति बनायी जा सकती है. इसका नतीजा होगा कि इसके जरिये ग्राहकों को बैंकिंग के अच्छे प्रोडक्ट मुहैया कराये जा सकते हैं. इसमें नयी सेविंग्स या इनवेस्टमेंट एकाउंट समेत लोन प्रोडक्ट और अन्य बैंकिंग समाधानों को शामिल किया जा सकता है.
भारत में स्मार्टफोन से बढ़ता डिजिटल ट्रांजेक्शन
आगामी पांच सालों में प्रत्येक भारतीय के पास एक स्मार्टफोन होगा. इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित इंडिया डिजिटल समिट के दौरान नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत ने हाल ही में यह बात कही है. अमिताभ कांत ने कहा कि देश में स्मार्टफोन यूजर्स की संख्या करीब 40 करोड़ तक पहुंच चुकी है और इसमें तेजी से बढ़ोतरी हो रही है.
70 अरब डॉलर होगा आईओटी कारोबार
फिलहाल हमारा देश एक बड़े प्रौद्योगिकी परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है. इस संदर्भ में उल्लेखनीय है कि 85 फीसदी डिवाइस अब भी इंटरनेट से कनेक्टेड नहीं किये जा सके हैं. इसलिए इस दिशा में भारत में अभी अपार संभावनाएं हैं. इंटरनेट ऑफ थिंग्स यानी आईओटी के भारत में विकसित होने के व्यापक मौके हैं. उन्होंने कहा कि भारत में वर्ष 2025 तक इसका कारोबार 70 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है. इसमें से 32 अरब डॉलर की भागीदारी अकेले आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की होगी.
संकट में बैंक ब्रांच का अस्तित्व
देशभर में बैंक खातों को आधार संख्या से लिंक करने के बाद फिन-टेक इंडस्ट्री में बड़ा बदलाव होने की संभावना है. इससे बैंकिंग सेक्टर का पूरा स्वरूप बदल जायेगा. तीन साल बाद लोगों को वित्तीय काम-काज के लिए बैंक तक जाने की जरूरत नहीं होगी और पांच साल बाद इनका अस्तित्व भी सिमट जायेगा. भौतिक शाखाओं में जाना अप्रासंगिक हो जायेगा.
एडवांस्ड रोबोटिक्स
मौजूदा समय में एडवांस्ड रोबोटिक्स के जरिये करीब 25 फीसदी जॉब्स की हैंडलिंग की जाती है. आने वाले वर्षों में यह 45 फीसदी तक पहुंच जायेगी. हाल ही में पाया गया है कि मासिक आधार पर भारत में इंटरनेट पर सक्रिय रहने वाले यूजर्स की रैंकिंग में वैश्विक स्तर पर भारत काफी आगे निकल गया है.
डिजिटल ट्रांजेक्शन
आगामी एक दशक में डिजिटल ट्रांजेक्शन का आंकड़ा 100 खरब डॉलर को पार कर जायेगा.डेटा एनालिसिस से वित्तीय समावेशन में तेजी आयेगी. देश में मोबाइल डाटा खपत अमेरिका और चीन के संयुक्त डेटा खपत से भी ज्यादा है. फिन-टेक सेक्टर में व्यापक संभावनाओं के बीच 2020 तक यह 14 अरब डॉलर तक पहुंच जायेगा.