नवीन विचारों के आदान-प्रदान की मौजूदा तकनीकी व्यवस्था अपूर्व है. सीमाओं से परे आज हम वाॅयस, टेक्स्ट और अॉनलाइन माध्यमों द्वारा किसी से भी जुड़ सकते हैं. मोबाइल तकनीकें समूची दुनिया के मुद्दों, मसलन वैश्विक स्वास्थ्य, भूख और पर्यावरण सुरक्षा पर परस्पर साझेदारी को बेहतर बनाने में सक्षम हैं. आज हमारे पास जितनी चाह है, उससे कहीं अधिक राह है. इससे जुड़े तमाम संदर्भों के साथ प्रस्तुत है आज का इन्फो टेक पेज
प्राचीन काल में ताजमहल से लेकर चीन की महान दीवार तक और आधुनिक युग में इलेक्ट्रिक लाइट से लेकर वायरलेस कम्युनिकेशन तक, इस दुनिया में ये सब इनसान द्वारा बनाये गये महान आश्चर्य हैं. लेकिन, इन सभी का निर्माण सबसे पहले एक ही जगह शुरू हुआ, और वह है इनसान का दिमाग.
आइडिया से अधिक ताकतवर इस दुनिया में और कोई चीज नहीं है. फिर भी, जब तक आप अपने विचारों को एक्शन में नहीं लायेंगे, तब तक कुछ नहीं हाे सकता. इनसान के दिमाग में लाखों ब्रिलिएंट आइडिया जन्म लेते हैं, जो उसमें समाये रहते हैं. कहां से आती है इतनी शक्ति? एक शब्दों में कहा जाये, तो वह है संपर्क.
आइडिया को अंजाम तक पहुंचाना
बहुत कम ही लोग अकेले अपने आइडिया को अंजाम तक पहुंचा पाते हैं और ज्यादातर को अपने दृष्टिकोण को जानने के लिए संसाधनों की जरूरत होती है. आज कामयाबी के लिए यह जरूरी है कि आपमें व्यापक योग्यता के साथ कहीं भी, कभी भी, किसी से भी टेक्स्ट, वीडियो या ऑनलाइन संपर्क साधने की कला हो.
विचारों का आदान-प्रदान और उसे व्यापक बनाने के मौके आज से पहले इस तरह से उपलब्ध नहीं थे. वित्तीय संसाधनों के बिना जो लोग लेटेस्ट मोबाइल टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर पाये हैं, वे आज इसकी तमाम सीमाओं को तोड़ रहे हैं. जहां चाह है, वहां अब कई राह निकल रहे हैं.
आज मोबाइल नेटवर्क उन विजनरी कंपनियों और व्यक्तियों को सशक्त कर रहे हैं, जिन्हें वैश्विक स्वास्थ्य, दुनिया की भूख और पर्यावरणीय स्थिरता, सुरक्षा और मजबूत समुदायों के निर्माण जैसे मुद्दों के बारे में सकारात्मक बदलाव का माहौल बनाने के संदर्भ में बेहतर कनेक्टिविटी की जरूरत है.
बदलाव के लिए इनोवेटिव विचार
गेम-चेंजिंग आइडियाज की अब शुरुआत हो रही है. बदलाव की मुहिम के लिए, इनोवेटिव विचारकों को इसमें आने की जरूरत है. इस क्षेत्र में प्रवेश और बाधाओं को तोड़ने के लिए साझेदारी महत्वपूर्ण है. अगुआ टेक्नोलॉजी कंपनियां इस दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही हैं.
आइडिया शेयरिंग से उद्यमिता की बुनियाद
इस मुहिम को बढ़ावा देने के लिए स्प्रिंट एक्सेलरेटर और 1 मिलियन प्रोजेक्ट जैसे कार्यक्रम अहम भूमिका निभा रहे हैं, जिससे नये अवसर पैदा हाे रहे हैं. इच्छुक उद्यमियों को विविध प्रकार की सेवाएं मुहैया कराने के लिए स्प्रिंट एक्सेलेरेटर इनोवेशन आगे आया है, ताकि बेहतर आइडियाज में निवेश करने वाली कंपनियों के साथ नेटवर्किंग की जा सके. संपर्क और विविध इंतजामों के जरिये कोलेबोरेशन, इनोवेशन और ग्रोथ को अंजाम दिया जाता है.
स्प्रिंट एक्सेलेरेटर संसाधनों को लक्षित करने के लिए तकनीक, खेती, खानपान, खेल और कल्याण जैसे नये उद्यमों को बढ़ावा दे रहा है. कॉरपोरेट एक्सेलरेटर प्रोग्राम के तहत आज अनेक स्टार्टअप्स ने लाेगों को आपस में जुड़ने और विविध आइडियाज शेयर करने का मौका मुहैया कराया है.
कनेक्टिविटी के लिए संसाधनों का विस्तार जरूरी
सफल उद्यमिता के लिए संसाधनों का व्यापकता में होना जरूरी है. ‘द 1 मिलियन प्रोजेक्ट’ ने इसे गहराई से समझा और अगुआ मोबाइल टेक्नोलॉजी कंपनियों के सहयोग से दुनियाभर में परोपकारी लोगों, संगठनों आदि को जोड़ा, ताकि 10 लाख हाई स्कूल छात्रों को इंटरनेट की सुविधा मुहैया करायी जा सके.
इससे उन्हें मुफ्त में मोबाइल फोन और हाई-स्पीड इंटरनेट सुविधा दी जायेगी. इस प्रोजेक्ट को अमेरिका में लॉन्च किया गया था. वहां करीब 70 फीसदी शिक्षक होमवर्क ऑनलाइन ही देते हैं. हालांकि, एक बड़ी आबादी के पास इंटरनेट की सुविधा नहीं थी, लिहाजा उन तक इसे पहुंचाने के लिए यह प्रावधान किया गया.
सब कुछ बदलने की क्षमता
इस तरह के कार्यक्रम से आगे बढ़ते हुए, मोबाइल नेटवर्क में यह क्षमता है कि वह सकारात्मक रूप से सब कुछ बदलने में सक्षम होगा. उसकी तकनीक से लेकर, उसके उत्पादों तक. कॉरपोरेट संस्कृति ने एक तरह से ग्राहकों और उनके समुदायों में आपसी संपर्क को एक नया आयाम दिया है.
स्प्रिंट के ड्राइव फर्स्ट जैसे कार्यक्रम के जरिये सुरक्षा जैसे मसलों पर ज्यादा जाेर दिया गया है. इससे ये कंपनियां लोगों की जान तो बचा ही रही हैं, साथ ही समाज को यह भी प्रदर्शित कर रही हैं कि बेहतर तकनीकों के इस्तेमाल से किस तरह समाज में सकारात्मक बन सकता है.
सकारात्मक बदलाव
स्प्रिंट ने अब नेशनल जियोग्राफिक के चेजिंग जीनियस प्रोग्राम को तैयार किया है और वह उसका प्रायोजक है. किसी इंसान को अपने सपनों का एहसास करने के लिए इसे बनाया गया है.
अनेक चीजों को इसमें शामिल करते हुए चहुंओर सकारात्मक बदलाव का माहौल बनाने के लिए ग्रेट आइडिया के साथ मदद करने के लिए इसे बनाया गया है.
इसमें देश की सीमाओं का कोई खास मतलब नहीं रह जाता. इस प्रकार समूचे विश्व में यह देखा जा सकता है कि मोबाइल का सकारात्मक इस्तेमाल कम-से-कम इस लिहाज से तो देश की सीमाओं को ध्वस्त कर रहा है.
दावे से कम इंटरनेट की स्पीड
देशभर में इंटरनेट मुहैया कराने वाली कंपनियां अपने वादों के अनुरूप ग्राहकों को स्पीड नहीं मुहैया करा पाती हैं. उपभोक्ता के हितों के संबंध में काम करने वाले एक संगठन ने हाल ही में इसका खुलासा करते हुए कहा है कि भारत में अधिकतर कंपनियां अपने दावे के अनुरूप इंटरनेट की स्पीड नहीं देती हैं.
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यदि देखा जाये, तो यह बहुत ही कम है. कंज्यूमर वाइस द्वारा किये गये हालिया अध्ययन में यह कहा गया है कि इस लिहाज से ग्राहकों को श्रेणीबद्ध नहीं किया जा सकता है. कंज्यूमर वाइस एक स्वैच्छिक एक्शन समूह है, जिसमें विविध एकेडमिशियन, प्रोफेशनल्स और वॉलंटियर्स शामिल हैं, जो उपभोक्ता से जुड़े मामलों के लिए काम करते हैं.
कैसे पूरा होगा डिजिटल इंडिया का सपना!
इस समूह द्वारा जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि ग्राहकों को ये कंपनियां अपने दावे के अनुसार सेवाएं नहीं मुहैया कराती हैं. इस अध्ययन में पाया गया कि यह न केवल ऐसी सेवा होगी, जिससे देशभर में डिजिटल इंडिया जैसे कार्यक्रम को प्रभावी बनाया जा सकेगा, बल्कि इंटरनेट सर्विस की गुणवत्ता भी इसी पर निर्भर करेगी. रिपोर्ट में कहा गया है कि यह दशा इसलिए है, क्योंकि हितधारकों को सुधारात्मक और समय पर उपाय करने के लिए आग्रह किया जाता है, जो सभी के पारस्परिक हितों द्वारा इंटरनेट सर्विस के लिए भविष्य का आश्वासन सुनिश्चित करते हैं.
इसके लिए देश के चार टेलीकॉम सर्किल में आने वाले आठ राज्यों में वायरलेस इंटरनेट स्पीड का मूल्यांकन भी किया गया, जिसमें पाया गया कि इंटरनेट उपभोक्ताओं को दावे के अनुरूप स्पीड नहीं दी जाती है.
सिस्टम बनाने की जरूरत
इस अध्ययन में इंटरनेट सेवा प्रदाताओं की 3जी और 4जी की स्पीड के दावों और उनके वास्तविक प्रदर्शन के बीच एक व्यापक अंतर दिखाई देता है. इंटरनेट स्पीड के खराब स्तर के लिए सरकार और दूरसंचार नियामक को एक तरफ या किसी अन्य तरीके से इंटरनेट की स्पीड को सुधारने के लिए सिस्टम बनाये जाने की जरूरत है.