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बजट 2018-19 : किसानों के लिए 11 लाख करोड़ का कृषि फंड, जानें इन मुख्य बातों को

खेती का बाजार मजबूत करने को 2000 करोड़ होंगे खर्च, स्वयं सहायता समूह का बजट 76 फीसदी बढ़ा इस बार बजट में वित्त मंत्री अरुण जेटली का पूरा फोकस गांव और किसानों पर रहा. बजट की शुरुआत में ही वित्त मंत्री ने किसानों के लिए लागत का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य देने की घोषणा […]

खेती का बाजार मजबूत करने को 2000 करोड़ होंगे खर्च, स्वयं सहायता समूह का बजट 76 फीसदी बढ़ा
इस बार बजट में वित्त मंत्री अरुण जेटली का पूरा फोकस गांव और किसानों पर रहा. बजट की शुरुआत में ही वित्त मंत्री ने किसानों के लिए लागत का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य देने की घोषणा की. कृषि कर्ज को एक लाख करोड़ बढ़ाकर 11 लाख करोड़ रुपये किया गया.
खेती का बाजार मजबूत करने के लिए केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गांवों और कृषि पर विशेष जोर देते हुए 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने की सरकार की प्रतिबद्धता दोहरायी. सरकार ने आगामी खरीफ से सभी अघोषित फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य उत्पादन लागत के कम से कम डेढ़ गुणा करने का फैसला किया है. उन्होंने कहा कि रबी की अधिकांश घोषित फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य लागत से डेढ़ गुणा तय किया जा चुका है. किसानों के लिए कर्ज का लक्ष्य एक लाख करोड़ रुपये बढ़ाकर रिकॉर्ड 11 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया है.
वित्त मंत्री ने किसानों को कम लागत में ज्यादा उपज की मदद का भरोसा देते हुए अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए खेती और इससे होनेवाली आमदनी पर ध्यान फोकस किया है. वित्त मंत्री ने कहा कि हम खेती को उद्यम मानते हैं. किसानों को लागत से डेढ़ गुना कीमत मिले, इसे सुनिश्चित करने के लिए सरकार बाजार मूल्य और न्यूनतम समर्थन मूल्य में अंतर की रकम सरकार वहन करेगी. जेटली ने कहा कि बाजार के दाम अगर न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम हो तो सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि किसानों को बाकी पैसे दिये जाएं. यह अगली खरीदी साल से लागू होगा.
वित्तमंत्री ने कहा कि खेती का बाजार मजबूत करने के लिए 2000 करोड़ रुपये खर्च किये जायेंगे. कृषि सिंचाई योजना के लिए 2600 करोड़ रुपये देने की घोषणा की गयी है. वित्त मंत्री ने मत्स्य क्रांति अवसंरचना विकास कोष तथा पशुपालन के लिए आधारभूत सुविधा विकास कोष स्थापित करने की घोषणा की. इन दोनों की कुल स्थायी निधि 10 हजार करोड़ रुपये की होगी. जेटली ने कहा कि ऑपरेशन फ्लड की तर्ज पर ऑपरेशन ग्रीन्स प्रारंभ किया जायेगा.
इसके लिए बजट में 500 करोड़ रुपये की राशि आबंटित की गयी है. 86 प्रतिशत से ज्यादा लघु और सीमांत किसानों को बाजार से जोड़ने के लिए मौजूदा 22 हजार ग्रामीण हाटों को ग्रामीण कृषि बाजार के रुप में विकसित तथा उन्नत किया जायेगा. इसके लिए दो हजार करोड़ रुपये की स्थायी निधि से एक कृषि बाजार अवसंरचना कोष की स्थापना की जायेगी.
कृषि उत्पादों के निर्यात की संभावना को देखते हुए 42 मेगाफूड पार्कों में अत्याधुनिक परीक्षण सुविधाएं स्थापित करने का प्रस्ताव दिया गया है. स्वयं सहायता समूहों के ऋण को 42,500 करोड़ से 75,000 करोड़ कर दिया गया है. 2018-19 राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका कार्यक्रम के लिए 5,750 करोड़ का प्रस्ताव दिया गया है.
ऑपरेशन ग्रीन
किसानों एवं उपभोक्ताओं के हित में आलू, टमाटर और प्याज की कीमतों में तेज उतार-चढ़ाव की समस्या से निबटने के लिए ‘ऑपरेशन ग्रीन’ लॉन्च किया जायेगा. इसके लिए बजट में 500 करोड़ की व्यवस्था की गयी है.
डेयरी
डेयरी उद्योग में निवेश में सहायता के लिए सूक्ष्म सिंचाई कोष स्थापित होगा. मत्स्य क्रांति अवसंरचना विकास कोष तथा पशुपालन के लिए आधारभूत सुविधा विकास कोष. दोनों की कुल स्थायी निधि 10 हजार करोड़ होगी.
ऑर्गेनिक कृषि
ऑर्गेनिक कृषि को बढ़ावा देने व खेती में रसायनों का उपयोग कम करने के लिए फूड प्रोसेसिंग मंत्रालय का बजट आवंटन दोगुना कर 1400 करोड़ से ज्यादा कर दिया गया है. 200 करोड़ ऑर्गेनिक कृषि के लिए दिया गया है.
ग्राम सड़क
गांवों में आधारभूत संरचना विकसित करने के लिए बजट में सरकार ने 14.34 लाख करोड़ का प्रावधान किया है. देश में जितने भी गांव हैं उनको कृषि के बाजारों के साथ जोड़ने के लिए नयी सड़कें बनाये जाने की योजना है.
भूमिहीनों को भी ऋण
बजट में ‘मॉडल लैंड लाइसेंस कल्टीवेटर एक्ट’ की भी घोषणा की गयी है. इसके माध्यम से बंटाईदार तथा जमीन को किराये पर लेकर खेती करने वाले छोटे किसानों को भी ऋण व्यवस्था का लाभ मिल सकेगा.
बजट में और क्या
22,000 ग्रामीण हाटों को ग्रामीण कृषि बाजार के रुप में किया जायेगा विकसित
10,000 करोड़ के दो नये कोष मत्स्य पालन और एग्री मार्केट डेवलपमेंट फंड
1,290 करोड़ का आबंटन पुनर्गठित राष्ट्रीय बांस मिशन
के लिए
75,000 करोड़ रुपये दिये गये हैं स्वयं सहायता समूह को
200 करोड़ से किया जायेगा ऑर्गेनिक सेक्टर का विकास
500 करोड़ से होगा ऑपरेशन ग्रीन का शुभारंभ
42 मेगा फूड पार्क किये जायेंगे स्थापित देश भर में
5,750 करोड़ राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका कार्यक्रम के लिए आबंटित
1290 करोड़ बांस की पैदावार बढ़ाने के लिए, बांस को ग्रीन
गोल्ड कहा
1400 करोड़ रुपये का बजट फूड प्रोसेसिंग को, मैकडोनाल्ड और डोमिनो के भारतीय संस्करण सामने आने की उम्मीद
275 मिलियन टन रिकॉर्ड खाद्यान का उत्पादन
पैदावार बढ़ाने को सॉयल हेल्थ मैनेजमेंट में 871 % की बढ़ोतरी
कृषि को दी सबसे ज्यादा प्रमुखता, आवंटन में अभूतपूर्व वृद्धि
बुधवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली ने एनडीए सरकार का चौथा और अंतिम पूर्णकालिक बजट पेश किया. बजट में गांव और किसान की समस्याओं को दूर करने के लिए सरकार ने कृषि बजट में अभूतपूर्व वृद्धि की है. पैदावार बढ़ाने के लिए सरकार ने सॉयल हेल्थ मैनेजमेंट को प्रमुखता देते हुए पांच सालों में 1573 करोड़ रुपये का आवंटन किया है, जो यूपीए के काल में 162 करोड़ था. इस प्रकार सरकार ने इस क्षेत्र में 871 प्रतिशत की वृद्धि की है. कृषि यांत्रिकरण में भी यूपीए सरकार की तुलना में बजट आवंटन में 846 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
आम बजट 2018-19 में कृषि
प्रक्षेत्र बजटीय प्रावधान वृद्धि
2009-14 2014-19
कृषि विपणन 2666 6150 131%
वर्षा सिंचित क्षेत्र विकास 189 1322 700%
डेयरी विकास 8114 10725 32%
नीली क्रांति 1772 2913 64%
फसल बीमा 6182 33162 436%
माइक्रो इरिगेशन 3193 12711 298%
सॉयल हेल्थ मैनेजमेंट 162 1573 871%
कृषि यांत्रिकरण 254 2408 846%
कृषि विस्तार उपमिशन 3163 4046 28%
कृषि शिक्षा अनुसंधान एवं विस्तार 12252 13748 12%
किसानों के चेहरे पर मुस्कान आसान नहीं
कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र की सकल मूल्य वृद्धि दर 4.9 फीसदी से घटकर मात्र 2.1 फीसदी रहने का अनुमान
प्रो. डी एम दिवाकर
अर्थशास्त्र के जानकार
हिन्दुस्तान की अर्थव्यवस्था में जीविका और रोजगार के नजरिये से खेती के लिये बजट का विशेष महत्व है. आर्थिक समीक्षा में कृषि को आर्थिक महत्व देते हुए कहा गया कि कृषि अभी भी जीडीपी में 16 प्रतिशत और 49 प्रतिशत रोजगार प्रदान करती है. कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र का सकल वर्द्धित मूल्य वृद्धि दर 2016-17 के 4.9 फीसदी से घटकर मात्र 2.1 फीसदी रहने का अनुमान है.
वर्ष 2017-18 के प्रथम तिमाही में कृषि के क्षेत्र में वृद्धि दर 2016-17 के प्रथम तिमाही के 2.5 फीसदी से घटकर 2.3 फीसदी और दूसरे तिमाही के 4.1 फीसदी से घटकर इस वर्ष के दूसरी तिमाही में मात्र 1.7 फीसदी का आकलन चिंतनीय है. इस प्रकार 2016-17 के पहली छमाही के वृद्धि दर 3.2 फीसदी से घटकर 2017-18 के पहली छमाही में 2.0 रहने का अनुमान है.
पिछले वर्ष किसानों ने कई आंदोलन किये, जिसमें लागत के ऊपर 50 फीसदी जोड़कर न्यूनतम समर्थन मूल्य देने की मांग थी. सरकार ने जनहित याचिका पर न्यायालय में उक्त मांग नहीं दे सकने का शपथ पत्र दे दिया था. मंदसौर में तो किसानों पर गोलियां भी चलीं. देश भर के 184 से अधिक किसान संगठनों ने दिल्ली में किसान संसद चलायी. वित्त मंत्री ने खेती की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए रबी के फसल के लिए लागत पर 50 फीसदी जोड़कर न्यूनतम समर्थन मूल्य देने का और सिद्धांतत: अन्य फसलों पर भी इसे लागू करने का स्वागत योग्य प्रस्ताव रखा है.
इसे प्रभावी रूप से लागू करने के लिये राज्य सरकारों से मिलकर समुचित व्यवस्था करने की बात कही गयी है, लेकिन वह समुचित व्यवस्था क्या होगी, इसके लिये कोई रूप रेखा की गंभीरता बजट प्रस्ताव में नहीं दिखती है. देश में मात्र 6 फीसदी किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य मिल पाता है. आर्थिक समीक्षा में किसानों की आमदनी 15-25 फीसदी कम होने की चिंता व्यक्त की गयी है. संस्थागत ऋण के लिये एक लाख करोड़ की वृद्धि की गयी है. किसान क्रेडिट कार्ड का मछुआरों के लिये विस्तार स्वागतयोग्य है, किंतु भारत जैसे विशाल देश में आपरेशन ग्रीन के लिये 500 करोड़ का प्रावधान ऊंट के मुंह में जीरा जैसा है. बिहार जैसे बाढ़ग्रस्त राज्यों की समस्या से निपटने के लिये बजट भाषण में कोई उल्लेख नहीं है.
आर्थिक समीक्षा में स्वीकार किया गया है: ‘भारत में कृषि आज भी मौसमी उतार-चढ़ावों से पीड़ित है क्योंकि इसका लगभग 52 प्रतिशत हिस्सा अर्थात्, बोये गये 14.14 करोड़ हेक्टेयर क्षेत्रों में से 7.32 करोड़ हेक्टेयर क्षेत्र आज भी असिंचित और वर्षा पोषित है.’ डिंप सिंचाई, बौछार और जल प्रबंधन-जिन्हें ‘प्रत्येक बूंद से और अधिक फसल’ के लिए अपनाया गया है-भावी भारतीय कृषि की कुंजी होगी. अत: इसे संसाधन आवंटन में उच्च-प्राथमिकता दी जानी चाहिए.
लेकिन इसके लिये सूक्ष्म सिंचाई पर मात्र दस हजार करोड़ का प्रावधान बहुत ही कम है. इससे आमदनी के दोगुना होने का कोई आसार नहीं दिखता है. यद्यपि आर्थिक समीक्षा में यह चिंता की गयी है कि कृषि के खराब निष्पादन के कारण मुद्रास्फीति,किसानों पर दबाव और उथल-पुथल तथा बड़े पैमाने पर राजनीतिक और सामाजिक असंतोष पैदा हो सकता है- ये सभी कारक अर्थव्यवस्था को बाधित कर सकते हैं. लेकिन उस दिशा में कोई ठोस प्रयास नहीं दिखता है.
बजट नॉलेज
चार शब्दों का किया गया बार-बार दुहराव
वर्ष 2018-19 के बजट में कुछ शब्दों का कई बार जिक्र किया गया है. बजट में जहां किसान शब्द का 27 बार उपयोग हुआ, वहीं गरीब शब्द का कुल 21 बार उल्लेख है. ग्रामीण शब्द गरीब से ज्यादा पीछे नहीं रहा. 20 बार जिक्र के साथ यह तीसरे नंबर पर रहा. किसान जिस कार्य के लिए जाना जाता है वही शब्द सबसे पीछे रह गया. बजट में 16 बार खेती शब्द आया है.
बजट2018 में सिर्फ एक चीज अच्छी है स्वास्थ्य बीमा योजना, जिसमें 50 करोड़ लोगों को लाभ मिलेगा, हालांकि इसके लिए कोई कार्ययोजना नहीं है, फसल बीमा योजना इंसोरेंस कंपनी के लिए फायदेमंद और आम आदमी यह एक और जुमला है.
शशि थरूर, सांसद
मुख्य बातें
कृषि कर्ज एक लाख करोड़ बढ़ाकर 11 लाख करोड़
किसानों को लागत का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य
कृषि उपज के लिए जिला स्तर पर औद्योगिक कलस्टर जैसा सिस्टम बनेगा
फसल की मांग, दाम तय करने के लिए अलग सिस्टम
चिकित्सा संबंधी कृषि उत्पादन को बढ़ाने पर जोर
आलू और टमाटर के दामों में उतार-चढ़ाव के नुकसान को रोकने के लिए खास इंतजाम.
जैविक खेती को दिया जायेगा बढ़ावा
मत्स्यपालन को बढ़ावा देने के लिए विशेष कोष.
पशुपालकों और मछलीपालकों को भी किसान क्रेडिट कार्ड
सभी गांवों को शहर और तहसील से जोड़ा जायेगा.
किसानों को बिचौलिये के चंगुल से बचाया जायेगा.
काजू पर सीमा शुल्क पांच से घटकर अब 2.5 प्रतिशत
321 करोड़ श्रम दिवस सृजित करने का लक्ष्य
सरकार ने 2018-19 के आम बजट में ग्रामीण क्षेत्र में बुनियादी ढांचे और आजीविका साधनों के सृजन के लिए 14.34 लाख करोड़ रूपये व्यय करने का प्रस्ताव किया है. जेटली ने कहा कि इससे 321 करोड़ श्रम दिवस का रोजगार सृजित होगा. खेती से जुड़े कार्यकलापों और स्व-रोजगार के कारण रोजगार के अलावा, इस खर्च से 3.17 लाख किलोमीटर ग्रामीण सड़कों, 51 लाख नये ग्रामीण मकानों, 1.88 करोड़ शौचालयों का
निर्माण होगा.
बजट : 2017-18 उम्मीदें… जो पूरी न हो सकीं
1 मई, 2018 तक सौ फीसदी गांवों में बिजली पहुंचाने का लक्ष्य निर्धािरत िकया गया था
मिट्टी के स्वास्थ्य की जांच को प्रस्तावित 648 कृषि विज्ञान केंद्रों में मिनी लघु प्रयोगशालाओं की स्थापना की जानी थी
नक्सल प्रभावित इलाकों में 100 से अधिक लोगों वाली बस्तियों में सड़कों का निर्माण कराया जाना था
बेघर और कच्चे मकानों में रहने वाले एक करोड़ लोगों को घर देने का लक्ष्य था
कमेंट
मोदी सरकार का आखिरी पूर्ण बजट हकीकत से बहुत दूर है. इसमें किसान व गरीब लोगों के लिए ठोस कुछ भी नहीं है.
सीताराम येचूरी, सीपीएम नेता
मुझे अफसोस है कि वित्तमंत्री देश के इतने बड़े पद पर बैठ कर देश के किसानों के साथ हाथ की सफाई काम कर गये. यह बजट किसानों के साथ धोखा है.
योगेंद्र यादव, स्वराज इंडिया
यह शानदार बजट है, गरीब, किसानों और आदिवासियों के लिए इसमें कई घोषणाएं हैं. यह भारत को वैश्विक आर्थिक शक्ति के रूप में भी स्थापित करेगा.
राजनाथ सिंह, गृह मंत्री
वित्त मंत्री ने किसानों के लिए सुधार करने की कोशिश की है, लेकिन किसानों और ग्रामीण लोगों की समस्याएं बहुत बड़ी हैं, ये उपाय पर्याप्त नहीं होंगे.
एचडी देवगौड़ा, पूर्व प्रधानमंत्री
फ्लैश बैक
10 लाख करोड़ रुपये था किसान कर्ज फंड
60 दिनों के ब्याज के भुगतान से मिली थी छूट
50 हजार गांवों में अंत्योदय मिशन की हुई थी शुरूआत
09 हजार करोड़ फसल बीमा के लिए आवंटित

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