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समझें लांग टर्म कैपिटल गेन को, जानें कैसे लगता है टैक्‍स

इस वर्ष के केंद्रीय बजट में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इक्विटी और इक्विटी फंड पर लांग टर्म कैपिटल गेन टैक्स को आयकर अधिनियम 1961, की धारा 112ए के तहत लागू कर दिया है. नये प्रावधानों के अनुसार इक्विटी शेयर या इससे जुड़े म्यूचुअल फंड की बिक्री से होने वाला लांग टर्म कैपिटल गेन एक […]

इस वर्ष के केंद्रीय बजट में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इक्विटी और इक्विटी फंड पर लांग टर्म कैपिटल गेन टैक्स को आयकर अधिनियम 1961, की धारा 112ए के तहत लागू कर दिया है. नये प्रावधानों के अनुसार इक्विटी शेयर या इससे जुड़े म्यूचुअल फंड की बिक्री से होने वाला लांग टर्म कैपिटल गेन एक वर्ष में अगर एक लाख से अधिक होगा, तो उसपर 10 प्रतिशत की दर से टैक्स लग जायेगा. इसमें इंडेक्सेशन का भी कोई लाभ नहीं दिया जायेगा. इसमें लंबी अवधि को पुन: परिभाषित नहीं किया गया है. अगर एक वित्तीय वर्ष में यह लाभ एक लाख से कम होता है, तो उसपर कोई कर नहीं होगा.
लांग टर्म कैपिटल गेन पर कैसे लगता है टैक्स
इस बजट के पहले इक्विटी शेयर व इससे जुड़े म्यूचुअल फंड एक साल तक रखने के बाद बेचने पर होने वाले लांग टर्म कैपिटल गेन पर कोई कर नहीं लगता था. 2004 में कैपिटल गेन टैक्स को हटा दिया गया था और उसके स्थान पर सिक्युरिटीज ट्रांजेक्शन टैक्स (एसटीटी) शुरू किया गया था. अब बजट के बाद के नये प्रावधानों के अनुसार पहली अप्रैल 2018 से एक लाख से अधिक होने वाले लाभ पर एसटीटी और कैपिटल गेन टैक्स दोनों ही देने होंगे.
कुछ राहत भी दी गयी है
लांग टर्म कैपिटल गेन टैक्स के प्रस्ताव में एक सुकून देनेवाली बात भी छिपी है. 31 जनवरी 2018 तक के मूल्य को फ्रीज कर दिया गया है. इस ग्रैंड फादरिंग प्रक्रिया के अनुसार 31 जनवरी 2018 को जो बाजार मूल्य था, उसी को बेस रेट माना गया है. इसके बाद होने वाले लाभ पर ही एक अप्रैल 2018 से लांग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगेगा. आइए इसे उदाहरण से समझते हैं :
1. मान लिया कि 01 मार्च 2017 को एक लाख रुपये में इक्विटी शेयर खरीदा जाता है और 31 जनवरी 2018 को उस शेयर का एफएमवी 1.20 लाख है, तब लांग टर्म कैपिटल गेन टैक्स के पुराने प्रावधानों के अनुसार होनेवाले 20 हजार के लाभ पर कोई टैक्स नहीं लगेगा. नये नियमों के अनुसार अगर शेयर को लांग टर्म की अवधि पूरा कर लेने के बाद बेचा जाता है तो उस परिस्थिति में लांग टर्म कैपिटल गेन की गणना इस प्रकार होगी.
विवरण बजट से पहले बजट के बाद
खरीदने की तिथि 01.03.2017 01.03.2017
बेचने की तिथि 31.03.2018 31.03.2018
31 जनवरी को मूल्य 120000 120000
यूनिट की संख्या 01 01
लांग टर्म कैपिटल गेन की गणना
बिक्री की राशि 140000 140000
कटौती : खरीद की राशि 100000 100000
कैपिटल गेन 40000 40000
छूट 40000 40000
चूंकि नये प्रावधान 01 अप्रैल से लागू होंगे, इसलिए पुराने प्रावधानों के अनुसार ही लाभ पर छूट प्राप्त होगी.
2. उपरोक्त उदाहरण में अगर मान लिया जाये कि बिक्री की तिथि 01 अप्रैल 2018 हो, तो
लांग टर्म कैपिटलगेन की गणना
विवरण बजट से पहले बजट के बाद
बिक्री की राशि 140000 140000
कटौती : खरीद की राशि 100000 120000
कैपिटल गेन 40000 20000
छूट 40000 –
नेट कैपिटल गेन – 20000
नोट : चूंकि लांग टर्म कैपिटल गेन की राशि एक लाख से कम है इसलिए नये प्रावधानों के अनुसार 10 प्रतिशत का लगनेवाला टैक्स, इस
राशि पर नहींलगेगा.
3. उपरोक्त उदाहरण में अगर 31 जनवरी 2018 को बाजार मूल्य 80000 हो जाता है और उसे 01 अप्रैल 2018 को 140000 में बेच दिया जाता है, तो
लांग टर्म कैपिटल गेन की गणना
विवरण बजट से पहले बजट के बाद
बिक्री की राशि 140000 140000
कटौती : खरीद की राशि 100000 100000
कैपिटल गेन 400000 40000
छूट 40000 –
नेट कैपिटल गेन 40000 40000
इस उदाहरण में एफएमवी को कॉस्ट ऑफ एक्विजिशन नहीं माना जायेगा. चूंकि शेयर लेने में अधिकतम मूल्य एक लाख था, वहीं मान्य होगा.
अगर 31 जनवरी 2018 को एफएमवी दो लाख हो और 01 अप्रैल 2018 को उसे 50 हजार में बेच दिया जाता है, तो ऐसी स्थिति में जब विक्रय मूल्य खरीद मूल्य से भी कम हो, तो कॉस्ट ऑफ एक्विजिशन शेयर का वास्तविक खरीद मूल्य माना जायेगा. यानी लांग टर्म कैपिटल लॉस 50 हजार होगा (100000 – 50000 = 50000). दूसरी स्थिति में अगर शेयर को 1.50 लाख में बेचा जाता है, यानी विक्रय मूल्य एफएमवी से कम होता है तो ऐसी स्थिति में शेयर का कॉस्ट ऑफ एक्विजिशन 1.50 लाख ही माना जायेगा और लांग टर्म कैपिटल गेन शून्य होगा.
4. मान लिया कि खरीद मूल्य 10 लाख है और 01 अप्रैल 2018 को बिक्री मूल्य 14 लाख है. 31 जनवरी 2018 को उस शेयर का एफएमवी 12 लाख था.
लांग टर्म कैपिटल गेन की गणना
विवरण बजट से पहले बजट के बाद
बिक्री की राशि 1400000 1400000
कटौती : खरीद की राशि
1000000 1200000
कैपिटल गेन 400000 200000
छूट 400000 –
नेट कैपिटल गेन 400000 200000
टैक्स (10%) – 10,000
नये प्रावधानों के अनुसार एक वित्तीय वर्ष में एक लाख से अधिक होने वाले लांग टर्म कैपिटल गेन पर 10 प्रतिशत का टैक्स लगेगा. इसलिए कुल कैपिटल गेन दो लाख में से एक लाख की कटौती के बाद प्राप्त राशि एक लाख पर टैक्स लगेगा. यानी एक लाख का 10 प्रतिशत (10 हजार) टैक्स देना होगा.
विभिन्न निवेशों पर लगनेवाले शॉर्ट टर्म एवं लांग टर्म कैपिटल गेन टैक्स
शार्ट टर्म
अवधि टैक्स
जमीन जायदाद 2 वर्ष से कम प्रावधानों के अनुसार
सोना 3 वर्ष से कम प्रावधानों के अनुसार
सॉवरेन गोल्ड बांड 3 वर्ष से कम प्रावधानों के अनुसार
शेयर 1 वर्ष से कम 15%
इक्विटी म्यूचुअल फंड 1 वर्ष से कम 15%
डेब्ट म्यूचुअल फंड 3 वर्ष से कम प्रावधानों के अनुसार
कॉरपोरेट लिस्टेड बांड 1 वर्ष से कम प्रावधानों के अनुसार
लांग टर्म
अवधि टैक्स
जमीन जायदाद 2 वर्ष से अधिक 20%(इंडेक्सेशन
लाभ के साथ)
सोना 3 वर्ष से अधिक 20% (इंडेक्सेशन लाभ के साथ)
सॉवरेन गोल्ड बांड 3 वर्ष से अधिक 20% (इंडेक्सेशन लाभ के साथ)
शेयर 1 वर्ष से अधिक 10% एक लाख से अधिक पर (इंडेक्सेशन लाभ के बिना)
इक्विटी म्यूचुअल फंड 1 वर्ष से अधिक 10% एक लाख से अधिक पर (इंडेक्सेशन लाभ के बिना)
डेब्ट म्यूचुअल फंड 3 वर्ष से अधिक 20% (इंडेक्सेशन लाभ के साथ)
कॉरपोरेट 1 वर्ष से अधिक 10% (इंडेक्सेशन
लिस्टेड बांड लाभ के बिना
निवेशकों को सलाह
लांग टर्म कैपिटल गेन टैक्स
हाय-तौबा छोड़कर, इक्विटी फंड में निवेश जारी रखें
प्रवीण मुरारका
निदेशक
पूनम सिक्युरिटीज
एक फरवरी को प्रस्तुत बजट में लांग टर्म कैपिटल गेन टैक्स को फिर से लागू किया गया. यह बहुत दिनों से अपेक्षित था. विश्व के अधिकांश देशों में यह टैक्स विद्यमान है. इसलिए भारत में भी इसे लागू किया गया तो नयी बात नहीं हुई है. अंतर सिर्फ इतना है कि अन्य देशों में सिक्यूरिटीज ट्रैंजेक्शन टैक्स (सटीटी) नहीं लगता है, जबकि इस बजट में घोषित प्रावधान के बाद भारत में लांग टर्म कैपिटल गेन टैक्स व एसटीटी दोनों की प्रभावी हो गया है.
दूसरी बात यह है कि फिक्सड डिपॉजिट से 6.5 प्रतिशत की दर से होने वाली आय पर हम लोग 10-30 प्रतिशत तक का टैक्स दे ही रहे हैं, तो फिर इक्विटी से प्राप्त होने वाले औसतन 15-25 प्रतिशत के रिटर्न पर 10 प्रतिशत का टैक्स देना ही पड़े, तो इसके लिए इतनी बेचैनी नहीं होनी चाहिए. कुछ लोगों का मत है कि इस बजट के बाद जो लांग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगा है, उसके बाद पीपीएफ की लोकप्रियता निवेशकों में बढ़ जायेगी, लेकिन यह लोकप्रियता केवल उन लोगों को ही दिखायी देगी है जिनका गणित ठीक नहीं और अभी भी नहीं मानते हैं कि टैक्स लग जाने के बाद भी इक्विटी फंड से प्राप्त होने वाला 15 प्रतिशत का लाभ 8 प्रतिशत के लाभ से अधिक होता है.
अगर पिछले 20 वर्षों के आंकड़ों का विश्लेषण करें, तो यह स्पष्ट नजर आता है कि अगर 20 लाख का निवेश पीपीएफ में पिछले 20 वर्षों में हुआ है, तो वह लगभग 58 लाख की प्राप्ति हुई है. लेकिन वही 20 लाख को इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (इएलएसएस) में पिछले 20 वर्षों में किया गया है, तो वह 2.80 करोड़ से अधिक का रिटर्न प्राप्त हुआ है. अगर 10 प्रतिशत का लांग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगा भी दिया जाये, तो रिटर्न की राशि 2.52 करोड़ होती है. चूंकि पहले से एसटीटी लागू था ही, ऐसे में दोनों टैक्स देने के बाद भी दो करोड़ से अधिक का लाभ होता है.
अब निवेशकों को ही तय करना है कि उनके लिए कौन सा निवेश विकल्प बेहतर रिटर्न देनेवाला होगा. इसलिए मेरा मानना है कि आज भी इक्विटी शेयर और इक्विटी फंड में निवेश जारी रखना चाहिए क्योंकि टैक्स लगने के बाद भी, पिछले रिकार्ड को देखते हुए, यह आपको बेहतर रिटर्न देगा.

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