लुट गया बैंक : एक-तिहाई रकम का हुआ गबन

II संदीप बामजई II आर्थिक पत्रकार सीबीआई ने 31 जनवरी, 2017 को एक एफआईआर दर्ज करायी थी, जिसमें उसने बताया था कि 280 करोड़ रुपये का गबन हुआ है. उसके बाद पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) ने बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) को बताया कि हमारे यहां एक एलओयू (लेटर ऑफ अंडरटेकिंग) […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 17, 2018 8:39 AM

II संदीप बामजई II

आर्थिक पत्रकार

सीबीआई ने 31 जनवरी, 2017 को एक एफआईआर दर्ज करायी थी, जिसमें उसने बताया था कि 280 करोड़ रुपये का गबन हुआ है. उसके बाद पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) ने बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) को बताया कि हमारे यहां एक एलओयू (लेटर ऑफ अंडरटेकिंग) स्कैम हुआ है, जिसमें 11,560 करोड़ का गबन हुआ है. गबन हुआ है, इस बात पर कोई सवाल नहीं उठा सकता, क्योंकि यह फैक्ट है.

पीएनबी कहता है कि एक डिप्टी मैनेजर गोकुलनाथ शेट्टी बांबे की एक ब्रांच में और एक विंडो ऑपरेटर (क्लर्क) मनोज खरट, इन दोनों ने मिलकर यह गबन किया और यह खेल बीते सात साल से यानी 2011 से अब तक चलता रहा. जब गोकुलनाथ शेट्टी रिटायर हुआ, तो उसकी जगह एक नयी नियुक्ति हुई, जिसने 29 जनवरी, 2017 को बैंक सिक्योरिटीज ऑफ फ्रॉड सेल को एक चिट्ठी लिखी कि इतना गबन हुआ है. उसके बाद ही यह सारा मामला देश के सामने आया.

यह एक ऐसा गबन है, जिससे बैंक बर्बाद हो गया समझिये. पीएनबी का पूरा मार्केट ही 36 हजार करोड़ के लगभग है और उसमें से करीब साढ़े ग्यारह हजार करोड़ रुपये का गबन हो गया, यानी बैंक का एक-तिहाई पैसा तो गया. ऐसे में बैंक तो लुट ही गया. अगर आपका पैसा पीएनबी में है और बैंक का खजाना खाली हो गया, तो भी पीएनबी को ही आपका पैसा भरना है.

सरकारी बैंक का मतलब है कि बैंक के सारे नुकसान की भरपाई भारत सरकार को करना है. इसी फरवरी में बजट के बाद जब बैंकों का पुनर्पूंजीकरण हो रहा था, तब सरकार ने पीएनबी को 5,773 करोड़ रुपये दिये थे. और ठीक इसके सात दिन बाद पता चलता है कि इसकी दोगुनी रकम का पीएनबी में गबन हो गया.

आरोपी पर कार्रवाई मुश्किल

जहां तक बात नीरव मोदी के पकड़े जाने की है या इस फ्रॉड के लिए सजा की है, तो मुझे नहीं लगता कि वह पकड़ा जायेगा. ललित मोदी और विजय माल्या क्या आज तक पकड़े गये? दरअसल, ये सब देश छोड़कर विदेश भाग गये हैं और इस मामले में हमारा लॉ इतना कमजोर है कि उससे किसी को वापस लाना असंभव सा है.

यह मानने को मैं बिल्कुल तैयार नहीं हूं कि कोई गबन सात साल तक चलता रहा और किसी को कोई खबर न रही हो. यह तो हो ही नहीं सकता कि दो आदमी मिलकर इतना बड़ा कांड कर दें. इतना बड़ा गबन केवल एक डिप्टी मैनेजर और एक सिंगल विंडो ऑपरेटर नहीं कर सकते, इसमें दर्जनभर बड़ी मछलियां जरूर हैं, जिन्होंने मिलकर खाया है. दस लोगों को सस्पेंड किया गया है, लेकिन बहुत संभव है कि इनसे ऊपर के लोगों तक पहुंचना मुश्किल हो.

इस पूरे गबन की जिम्मेदारी सबसे पहले बैंक के पूरे प्रबंधन की बनती है, बैंक के कर्मचारियों की और वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी बनती है, और यहां तक कि भारत सरकार की भी है. पिछले साल 13-14 बैंक सीईओ- चेयरमैन को बदला गया था. प्राईवेट सेक्टर से इन लोगों को सीधे सरकारी बैंकों के सीईओ- चेयरमैन बना दिया गया था, जिसमें पीएनबी का सीईओ भी है. स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के बाद पीएनबी भारत का दूसरा सबसे बड़ा बैंक है. इसलिए यह सवाल तो बनता है कि ऐसा कैसे हो सकता है कि बड़े स्तर के अधिकारियों को इसकी कोई जानकारी न रही हो?

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