Loading election data...

जागरूकता की कमी से पैर पसार रहा सर्वाइकल कैंसर, लाइलाज नहीं हैं, जानें मुख्य लक्षण के बारे में

सर्वाइकल कैंसर दुनियाभर की महिलाओं में स्तन कैंसर के बाद होनेवाला दूसरा सबसे आम कैंसर है. औसतन विश्व में हर 10 में से एक महिला (35 से 55 आयुवर्ग) इसका शिकार होती है. यह मुख्यत: ह्यूमन पेपिलोमा वायरस या एचपीवी के कारण होता है. यह ऐसी स्थिति है, जो मुख्यत: गर्भाशय ग्रीवा यानी सर्विक्स की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 6, 2018 6:27 AM
सर्वाइकल कैंसर दुनियाभर की महिलाओं में स्तन कैंसर के बाद होनेवाला दूसरा सबसे आम कैंसर है. औसतन विश्व में हर 10 में से एक महिला (35 से 55 आयुवर्ग) इसका शिकार होती है.
यह मुख्यत: ह्यूमन पेपिलोमा वायरस या एचपीवी के कारण होता है. यह ऐसी स्थिति है, जो मुख्यत: गर्भाशय ग्रीवा यानी सर्विक्स की परत या गर्भाशय के निचले हिस्से को प्रभावित करती है. यह कैंसर धीरे-धीरे विकसित होता है और समय के साथ पूर्ण विकसित हो जाता है.
देश के ग्रामीण इलाकों में जानकारी के अभाव में अधिकतर महिलाओं की मौत इससे हो जाती है. लोक-लाजवश भी कई महिलाएं इस समस्या को दूसरे से कह नहीं पातीं. इसी का नतीजा है कि विश्व के बाकी देशों के मुकाबले भारत में सर्वाइकल कैंसर तेजी से अपने पैर पसार रहा है.
नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ कैंसर प्रिवेंशन एंड रिसर्च (एनआइसीपीआर) द्वारा पिछले साल किये गये अध्ययन में सामने आया कि हर आठ मिनट में भारत की एक महिला की मौत सर्वाइकल कैंसर से होती है.
लाइलाज नहीं
एचपीवी संक्रमण यौन संपर्क या त्वचा संपर्क के माध्यम से फैलता है. कुछ महिलाओं में गर्भाशय-ग्रीवा की कोशिकाओं में एचपीवी संक्रमण लगातार बना रहता है और इस रोग का कारण बनता है. अगर समय पर इसके बारे में पता चल जाये, तो इलाज आसानी से हो सकता है. इसके लिए सबसे जरूरी है समय पर स्क्रीनिंग.
मुख्य लक्षण
कैंसर के मुख्य लक्षणों में योनि से असामान्य रक्त स्राव, रजोनिवृत्ति या यौनसंपर्क के बाद योनि से रक्त स्राव, असामान्य योनि स्राव और यौनक्रिया के दौरान रक्त स्राव, दर्द प्रमुख हैं. कैंसर ट्यूमर पेल्विस वॉल, एबडोमिनल, बैक पर दबाव डालता है और इसके साथ पैरों में दर्द, सूजन भी हो सकती है.
गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर को रोकने के सुझाव
महिलाओं को संक्रमण से बचने के लिए जीवनशैली में परिवर्तन करने चाहिए. इसमें कई साथियों के साथ यौन संपर्क से बचाव, नियमित जांच, धूम्रपान का त्याग, फलों, सब्जियों व साबूत अनाज का सेवन और शरीर का वजन ठीक रखना प्रमुख कदम हैं. गार्डासिल इंजेक्शन वैक्सीन रूप में उपलब्ध है, जो वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी का निर्माण कर स्थिति में सुधार करता है.
प्रमुख जांच : पैप परीक्षण द्वारा रोग का पता लगाया जा सकता है. पैप परीक्षण के साथ, गर्भाशय ग्रीवा से कोशिकाओं का एक सतही नमूना नियमित पेल्विक टेस्ट के दौरान ब्रश से लिया जाता है और कोशिकाओं के विश्लेषण के लिए प्रयोगशाला में भेजा जाता है.
कराते रहना चाहिए पैप स्मीयर टेस्ट
डॉ रेखा गुप्ता
सीनियर गाइनोकॉलोजिस्ट, मैक्स अस्पताल, पटपड़ गंज, नयी दिल्ली
सर्वाइकल कैंसर का इलाज उस स्टेज पर निर्भर करता है, जिस स्थिति में कैंसर का पता चलता है. आमतौर पर शुरुआती अवस्था में सर्जरी द्वारा गर्भाशय को निकाल दिया जाता है, जिसे हिस्टेरेक्टॅमी कहा जाता है.
जिन महिलाओं का कैंसर शुरुआती अवस्था से आगे बढ़ चुका होता है, उनके लिए इलाज में कीमोथेरेपी, रेडिएशन थेरेपी का प्रयोग किया जाता है. लैप्रोस्कोपिक और रोबोटिक सर्जरी से भी सर्विक्स कैंसर का इलाज किया जाता है. लोगों में आम धारणा है कि अगर उनके परिवार में यह पहले किसी को नहीं हुआ, तो उन्हें भी नहीं होगा. लेकिन सच यह है कि इसके बावजूद इसके होने का खतरा होता है.
कोई लक्षण न होने के बाद भी एचपीवी संक्रमण हो सकता है. टीके लगने के बाद भी महिलाओं को नियमित रूप से पैप स्मीयर कराते रहना चाहिए. अगर पहले किसी के साथ यौन संबंध रहें हैं, तो बढ़ती उम्र के साथ सर्वाइकल कैंसर हो सकता है, इसलिए भी जांच बेहद जरूरी है.
बातचीत : मोनिका अग्रवाल

Next Article

Exit mobile version