तीन नयी तकनीकों से बदलेगा जमाना, स्मार्टफोन के प्रचलन से बाहर होने का डर…जानें पूरी खबर
लैंड लाइन फोन और फैक्स मशीन जैसे संचार के माध्यमों का जब आविष्कार किया गया, तब ये क्रांतिकारी साबित हुए थे. लेकिन, अब ये सामान्य प्रचलन से बाहर हो चुके हैं. क्या स्मार्टफोन के साथ भी ऐसा ही होगा? विशेषज्ञों ने आशंका जतायी है कि एआर, वीआर और वॉयस टेक्नोलॉजी में तेजी से होने वाले […]
लैंड लाइन फोन और फैक्स मशीन जैसे संचार के माध्यमों का जब आविष्कार किया गया, तब ये क्रांतिकारी साबित हुए थे. लेकिन, अब ये सामान्य प्रचलन से बाहर हो चुके हैं. क्या स्मार्टफोन के साथ भी ऐसा ही होगा? विशेषज्ञों ने आशंका जतायी है कि एआर, वीआर और वॉयस टेक्नोलॉजी में तेजी से होने वाले इनोवेशंस के कारण स्मार्टफोन स्वत: खत्म हो जायेंगे. भविष्य में स्मार्टफोन के प्रचलन से बाहर होने का क्यों है डर या फिर पूरी तरह से कैसे बदल सकता है इसका स्वरूप, बता रहा है आज का इन्फो टेक पेज …
भारत समेत दुनियाभर में मोबाइल टेक्नोलॉजी के रूप में स्मार्टफोन का व्यापक इस्तेमाल होता है. ‘प्यू रिसर्च सेंटर’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2018 में 77 फीसदी युवाओं तक स्मार्टफोन की पहुंच कायम हो चुकी है. स्मार्टफोन ने लोगों को न केवल तेजी से संचार कायम करने की सुविधा मुहैया करायी है, बल्कि दोस्ताें, परिचितों और रिश्तेदारों से महज कुछ सेकेंड में संपर्क बनाने की क्षमता है इसमें. फिर भी, विशेषज्ञों का मानना है कि स्मार्टफोन के अप्रचलित होने की शुरुआत हो चुकी है.
दरअसल, हाल में हुए तीन नये तकनीकी इनोवेशंस ने मोबाइल के इस्तेमाल को बदल दिया है, जो इस प्रकार हैं : एआर यानी ऑगमेंटेड रियलिटी, वीआर यानी वर्चुअल रियलिटी और एआई यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस. ऑगमेंटेड रियलिटी की दुनिया, वीआर हेडसेट्स और वॉयस असिस्टेंट एप्स के द्वारा मौजूदा समय में स्मार्टफोन इन इनोवेशन के जरिये एक महत्वपूर्ण वाहक के रूप मेंसेवा दे रहा है. लेकिन, जैसे-जैसे इन इनोवेशंस के सॉफ्टवेयर और अधिक विकसित होंगे या इनमें व्यापक सुधार होगा, वैसे-वैसे जरूरत से ज्यादा स्मार्टफोन होने पर वे तकनीकी रूप से प्रासंगिक नहीं रह जायेंगे, लिहाजा वे स्वयं प्रचलन से बाहर हो जायेंगे. किस तरह से यह सब बदलाव होगा, जानते हैं विस्तार से :
ऑगमेंटेड रियलिटी
पिछले वर्ष जून में एप्पल ने अपना एआरकिट लॉन्च किया है, जो एक फ्रेमवर्क है, जिससे डेवलपर्स को नये आईओएस 11 प्लेटफॉर्म पर मोबाइल एआर एप्स सृजित करने में मदद मिलती है. सितंबर में इस ब्रांड ने अपने नये आईफोन 8 और आईफोन 8 प्लस की घोषणा की, जिसके जरिये एआर को बेहतर तरीके से डिजाइन किया जा सकता है. ‘फॉर्ब्स’ की एक रिपोर्ट में यह भी कयास लगाया गया है कि माइक्रोसॉफ्फ्ट भी कुछ इस तरह का डिवाइस लॉन्च करने की तैयारी में है, जिसमें एआर मुहैया कराया गया हो. दूसरी ओर, हुआवेई ने भी घोषणा की है कि वह एआर सॉफ्टवेयर आधारित स्मार्टफोन पर काम कर रहा है.
2024 तक होगी 50 फीसदी हिस्सेदारी
फिलहाल, एआर को कामयाब बनाने में स्मार्टफोन और टैबलेट को सटीक हार्डवेयर प्लेटफॉर्म के रूप में समझा जा रहा है. कैमरा, एप्प इंस्टॉलेशन और कनेक्टिविटी जैसी एआर संचालन गतिविधियों के लिए ये जरूरी कंपोनेंट्स हैं. कम-से-कम अभी हमारी दुनिया को नौवहन संकेतों या वास्तविक समय के आधार पर मौसम पूर्वानुमान को समझने का कोई बेहतर तरीका नहीं है.
लेकिन, एआर सॉफ्टवेयर के विकसित होने की दशा में वियरेबल्स और ग्लासेज के जरिये इनकी क्षमता को बढ़ाया जायेगा और भरोसेमंद बनाया जा सकेगा. सैमसंग, फेसबुक और अमेजन समेत असंख्य तकनीकी कंपनियाें ने कहा है कि वे एआर तकनीक को अधिक व्यापक बनाने के लिए शोध में निवेश कर रही हैं, और अनुमान है कि वर्ष 2024 तक एआर इंडस्ट्री में 50 फीसदी से अधिक हिस्सेदारी इससे संबंधित डिस्प्ले डिवाइस की होगी.
वर्चुअल रियलिटी
एआई वॉयस असिस्टेंट्स
वॉयस रिकॉग्निशन टेक्नोलॉजी और एआई यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस वॉयस असिस्टेंट फिलहाल आरंभिक दौर में है, लेकिन स्मार्टफोन से इतर इनका इस्तेमाल अब किया जा सकता है. कंप्यूटर वैज्ञानिक एंड्रयू एनजी का अनुमान है कि वर्ष 2020 तक सभी प्रकार के किये जाने वाले सर्च में कम-से-कम 50 फीसदी तो निश्चित रूप से वॉयस या इमेज के जरिये ही किये जायेंगे. भविष्य में, गूगल में आपके सवाल के लिए एआई वॉयस कंट्रोल की प्रमुख भूमिका होगी. ‘गार्टनर’ के शोधकर्ताओं का अनुमान है कि अगले साल तक स्मार्टफोन के बजाय करीब 20 फीसदी यूजर इंटरेक्शन वर्चुअल पर्सनल असिस्टेंट के जरिये होगा. वर्चुअल डिजिटल असिस्टेंट के जरिये नेक्स्ट जेनरेशन के इंटरनेट ऑफ थिंग्स को लॉन्च किया जायेगा, जो आपस में अनेक चीजों को जोड़ेगा. इसमें किसी चीज को खोजने के लिए कुछ लिखने के लिए समय जाया नहीं करना होगा.
क्या हो सकता है भविष्य में
वैसे स्मार्टफोन अभी उभरती तकनीक का सबसे प्राथमिक प्लेटफार्म है, लेकिन अब यह सोचना गलत होगा कि इस लिहाज से यही एकमात्र प्लेटफार्म है. नियमित रूप से हो रहे इनोवेशंस के जरिये स्मार्टफोन की तकनीक में व्यापक बदलाव आ रहा है और अनेक नयी तकनीकों से इसके रिप्लेस होने का जोखिम बढ़ रहा है. हालांकि, स्मार्टफोन अप्रचलित हो सकते हैं, इस बारे में विशेषज्ञों की अलग-अलग राय है. यह मुख्य रूप से इस बात पर निर्भर होगा कि कितनी तेजी से तकनीकी एडवांसमेंट को अंजाम दिया जायेगा. ‘गार्टनर’ की रिपोर्ट में संभावना जतायी गयी है कि आगामी तीन वर्षों में अधिकतर डिवाइस को नये सिरे से डिजाइन किया जायेगा.