लोन डिफॉल्ट कैसे बचाएं अपनी संपत्ति, पति के बिजनेस में जुड़ने से पहले इन बातों का जान लें
किसी बिजनेस परिवार में अपने व्यवसाय पर पूरी पकड़ बनाये रखने के लिए पति अक्सर अपनी पत्नी को अपनी कंपनी का निदेशक या हिस्सेदार (पार्टनर) बना देते हैं, जबकि पत्नी को उसके व्यावसायिक गतिविधियों और लेन-देन के संबंध में बहुत कम जानकारी होती है. वहीं, जब कंपनी अपने कर्ज को चुकाने में असमर्थ हो जाती […]
किसी बिजनेस परिवार में अपने व्यवसाय पर पूरी पकड़ बनाये रखने के लिए पति अक्सर अपनी पत्नी को अपनी कंपनी का निदेशक या हिस्सेदार (पार्टनर) बना देते हैं, जबकि पत्नी को उसके व्यावसायिक गतिविधियों और लेन-देन के संबंध में बहुत कम जानकारी होती है.
वहीं, जब कंपनी अपने कर्ज को चुकाने में असमर्थ हो जाती है, तब बिना जानकारी के दस्तावेज पर दस्तखत करने का दुष्परिणाम पत्नी को पता चलता है. कर्ज देनेवाला अपना पैसा वापस पाने के लिए पत्नी की संपत्ति को भी जब्त कर सकता है.
कर्ज के अलावा भी कई मुद्दे हैं जब ऐसी स्थिति बनती है. कंपनी के निदेशक या पार्टनर को कई अन्य मामलों में जिम्मेवार माना जाता है, जैसे माल व सेवा कर (जीएसटी), इनकम टैक्स, प्रोविडेंट फंड से जुड़े नियमों, कंपनी एक्ट आदि. कानून की नजर में यह माना जाता है कि आपने सभी चीजों को पढ़-समझ कर ही दस्तखत किये हैं.
कंपनी के स्तर पर जब ऐसी कोई गलती हो जाती है, तो उसके बाद ज्यादा करने को कुछ नहीं बचता. लेकिन जब किसी महिला को गारंटर या डायरेक्टर बनाया जाता है, तो वह अपनी संपत्ति या अपने व्यवसाय को बचाने के लिए कुछ उपाय जरूर कर सकती है.
संपत्ति को दें सुरक्षा कवच
बैंक जब भी किसी कंपनी को कर्ज देती है, वह कंपनी के सभी निदेशकों से उस कर्ज के लिए व्यक्तिगत गारंटी लेती है. ऐसा करते हुए बैंक यह सुनिश्चित कर लेता है कि कर्ज अदायगी में असमर्थ होने की स्थिति में वह इन निदेशकों की संपत्तियों को जब्त कर अपना कर्ज वसूली लेगा.
ऐसा माना जाता है कि काम नहीं करनेवाली महिला के नाम से भी संपत्ति होती है, क्योंकि अभिभावक अपनी संपत्ति में से कुछ हिस्से अपनी बेटी को भी देते हैं. ऐसे में अपनी संपत्ति बचाने के लिए सबसे बेहतर उपाय है कि एक ऐसी स्वनिर्णयगत ट्रस्ट की स्थापना की जाये, जिसमें महिला ही सर्वेसर्वा हो या लाभ पाने की स्थिति में हो. ऐसी स्थिति में किसी भी तरह से ट्रस्ट की संपत्ति को जब्त नहीं हो सकती.
स्वनिर्णयगत ट्रस्ट में पूरी संपत्ति लाभ पानेवाले की नहीं होती. सारे निर्णय ट्रस्ट के सदस्य करते हैं. जब गारंटर की संपत्ति की जानकारी मांगी जाती है, तो ट्रस्ट के हिस्से की संपत्ति को शामिल नहीं होती है.
निदेशक बनें, पर सीमित रखें जवाबदेही
एक बिजनेस विभिन्न तरह से संचालित होता है, जैसे पार्टनरशिप, लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप और प्राइवेट लिमिटेड. पार्टनरशिप फर्म में सभी पार्टनर की जवाबदेही असीमित होती है. लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप में जवाबदेही सीमित होती है.
महिलाओं की जवाबदेही को सीमित रखने का यह एक बेहतर विकल्प है, जिसे एक परिवार अपना सकता है. जबकि प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में निदेशकों को ऋण चुकाने की जवाबदेही नहीं होती है. ऐसे में बैंक लोन तभी देते हैं, जब निदेशक उन्हें व्यक्तिगत गारंटी देते हैं. कर्ज नहीं चुका पाने (लोन डिफॉल्ट) की स्थिति में अधिकांश समय में महिलाएं शामिल हो जाती हैं. कंपनियों में महिला निदेशकों की अनिवार्य नियुक्ति के संबंध में जब से कंपनी एक्ट में बदलाव हुआ है, तब से बिजनेस परिवार में महिलाओं को निदेशक बनाने का प्रचलन बढ़ गया है. ऐसे में यह जरूरी हो गया है कि कंपनी में उनके प्रतिदिन के कार्य व जवाबदेही को सीमित रखा जाये.
निदेशक की भूमिका में रहते हुए महिलाओं के लिए संपत्ति बचाने का सबसे बेहतर विकल्प है कि पति के लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप फर्म बनवा कर ही जुड़ें.
सलाह लेकर अपनी कंपनी को करें ट्रांसफर
अगर महिला का अपना खुद का बिजनेस है और वह, पति या उनके बिजनेस लोन में एक गारंटर की भूमिका में है, तो उनकी अपनी कंपनी भी कानून के दायरे में आ सकती है.
टैक्स विशेषज्ञों के अनुसार ऐसी स्थिति में उसे बचाने के लिए उन्हें अपने बिजनेस को अपने परिवार के किसी विश्वासी सदस्य जैसे भाई, पिता आदि के नाम पर उचित बाजार मूल्य पर स्थानांतरित कर देना चाहिए और ऋण भुगतान में जुट जाना चाहिए. इस तरह अगर कोई चूक हो भी जाती है, तो महिला का अपना व्यवसाय कभी प्रभावित नहीं होगा. ऐसे में सबसे महत्वपूर्ण है कि वह कंपनी स्थानांतरण के प्रावधानों को समझने व उचित निर्णय के लिए चार्टर्ड एकाउंटेंट से सलाह जरूर लें.
बैंक महिलाओं को कब जवाबदेह नहीं मानता
जब महिला की अपने पति के व्यवसाय में कोई भूमिका नहीं होती है, तब लोन देनेवाले उसकी संपत्ति को जब्त नहीं कर सकते. उन्हें मैरीड वीमेंस प्रोपर्टी एक्ट में यह सुरक्षा प्राप्त है. अगर कोई संपत्ति संयुक्त रूप से ली गयी है, तो बैंक उस संपत्ति को बेच कर पत्नी को उसका हिस्सा लौटा देगी.
महिला निदेशक होते हुए भी लोन में गारंटर नहीं बनती, तो लोन डिफॉल्ट होने पर पत्नी जवाबदेह नहीं मानी जाती. अगर महिला को पिता की संपत्ति में हिस्सेदारी है, तो जब तक संपत्ति का बंटवारा नहीं हो जाता, बैंक पत्नी के हिस्से पर क्लेम नहीं कर सकता.
महिलाएं तभी दोषी होंगी जब…
वे बिजनेस लोन में गारंटर होती हैं और लोन डिफॉल्ट हो ता है.
वे निदेशक होती हैं और धोखाधड़ी हो जाती है.
वे पार्टनरशिप फर्म में एक पार्टनर की भूमिका में होती हैं.
वे पोस्ट डेटेड चेक जारी कर देती हैं और वह चेक बाउंस हो जाता है.
सावधानी के साथ बढ़ाएं कदम
निदेशक, पार्टनर और गारंटर बनने से पहले उसके परिणामों को अच्छे से जान लें.
गारंटर तभी बनें जब आपकी संपत्ति ट्रस्ट में हो.
कंपनी के सभी मामले में पूरी तरह शामिल रहें.
अगर निदेशक हैं, तो बकाया कर और प्रोविडेंट फंड के भुगतान को अपडेट सुनिश्चित करें.