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डॉ भीमराव आंबेडकर की 127 जयंती पर विशेष : एसटी से अधिक निरक्षर व गरीब हैं राज्य के एससी
II संजय II आज (14 अप्रैल) डॉ भीमराव आंबेडकर की जयंती है. बहुजन समाज के इस महान शख्स ने देश को संविधान दिया, जिसके बल पर राष्ट्र प्रगति के पथ पर अग्रसर है. ऐसे में उनकी जयंती पर बहुजन समाज की चिंता तथा उनके मुद्दों पर चिंतन जरूरी है. इसी संदर्भ में हम झारखंड में […]
II संजय II
आज (14 अप्रैल) डॉ भीमराव आंबेडकर की जयंती है. बहुजन समाज के इस महान शख्स ने देश को संविधान दिया, जिसके बल पर राष्ट्र प्रगति के पथ पर अग्रसर है. ऐसे में उनकी जयंती पर बहुजन समाज की चिंता तथा उनके मुद्दों पर चिंतन जरूरी है. इसी संदर्भ में हम झारखंड में अनुसूचित जाति (एससी) या बहुजन समाज के हित तथा उनके विकास कार्यों के लिए चल रही कुछ योजनाअों के साथ-साथ राज्य में उनकी आर्थिक-सामाजिक स्थिति का आकलन कर रहे हैं.
रांची : झारखंड में अनुसूचित जाति (एससी) से संबंधित करीब 6.53 लाख तथा अनुसूचित जनजाति (एसटी) से संबंधित लगभग 14.68 लाख परिवार रहते हैं. आर्थिक, सामाजिक, जातीय जनगणना-2011 के आंकड़ों के अनुसार एससी परिवारों की आर्थिक व शैक्षणिक हालत एसटी परिवारों से ज्यादा खराब है.
मजदूरी कर पेट पालने वाले भूमिहीन लोग एसटी समुदाय (13.23 फीसदी) से अधिक एससी समुदाय (29.7 फीसदी) से ताल्लुक रखते हैं. एक कमरे के कच्चे मकान में रहनेवाले परिवार भी एसटी समुदाय (15.79 फीसदी) से अधिक एससी समुदाय (19.62 फीसदी) के हैं. वहीं ऐसे परिवार जहां 25 वर्ष या अधिक उम्र वाला कोई वयस्क शिक्षित नहीं है, इनकी संख्या भी एसटी समुदाय (33.95 फीसदी) से अधिक एससी समुदाय (41.03 फीसदी ) में है. यानी अशिक्षा, गरीबी या मुफलिसी झारखंड के एससी समुदाय में अधिक है.
एक कमरे के कच्चे मकान में रहनेवाले तथा अशिक्षित वयस्क मामले में झारखंड के एससी की हालत राष्ट्रीय औसत (क्रमश: 17.24 व 31.15 फीसदी) से भी खराब है. फिर भी राज्य में रह रहे इस समुदाय के लोग एसटी समुदाय से अधिक सरकारी नौकरियों में हैं तथा उनसे अधिक लोग आयकर भी चुकाते हैं.
कुल 5.1 फीसदी एससी परिवार का कोई न कोई सदस्य सरकारी नौकरी में है. वहीं ऐसे एसटी परिवार 3.49 फीसदी ही हैं. प्राइवेट सेक्टर में भी नौकरी के मामले में एससी (1.6 फीसदी) एसटी (0.9 फीसदी) से आगे हैं. खान-खनिज वाले तथा औद्योगिक जिलों जैसे रामगढ़, हजारीबाग, धनबाद, पूर्वी सिंहभूम, पश्चिम सिंहभूम, बोकारो व गिरिडीह में सरकारी तथा निजी दोनों नौकरियां अधिक हैं.
एससी-एसटी को नौकरी देने वाले टॉप फाइव शहरों में रांची सिर्फ एसटी लोगों को प्राइवेट नौकरी देने के मामले में पांचवें स्थान पर है. नौकरियों में अधिक रहने की वजह से ही टैक्स देने वाले एसटी परिवार जहां 3.31 फीसदी है. वहीं एससी में ऐसे लोगों की संख्या 4.84 फीसदी है. सरकारी व निजी नौकरी में तथा टैक्स देनेवाले राज्य के एससी परिवारों का आंकड़ा राष्ट्रीय औसत (क्रमश: 3.95 तथा 3.49 फीसदी) से भी अधिक है.
मोटरगाड़ी में एसटी आगे
सरकारी व प्राइवेट नौकरियों में अधिक होने के बावजूद मोटरगाड़ी के मामले में एसटी परिवार एससी से अधिक समृद्ध है. यह गाड़ी दो पहिया, तीन पहिया या चार पहिया हो सकती है. राज्य के करीब 15 फीसदी एसटी परिवार के पास कोई न कोई मोटरगाड़ी है. वहीं मोटरगाड़ी वाले एससी परिवार इनसे कम, 12.7 फीसदी ही हैं. यदि देखा जाये तो नौकरी, बंगला(घर) व गाड़ी के मामले में राज्य के एससी व एसटी समुदाय के परिवार में बड़ी विभिन्नता है. नौकरियों में अधिक होने के विरोधाभास को छोड़ दें, तो उपरोक्त आंकड़ों से यह भी साबित होता है कि राज्य के अनुसूचित जाति के लोगों की माली हालत अच्छी नहीं है.
एससी गांवों के विकास में डीसी-डीडीसी सुस्त
प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना के तहत छह जिलों के 75 फीसदी या अधिक आबादी वाले अनुसूचित जाति (एससी) बाहुल्य कुल सौ गांवों का चयन किया गया है. इनमें पलामू, देवघर, गिरिडीह, चतरा, हजारीबाग व बोकारो जिले शामिल हैं. लेकिन स्थिति यह है कि चतरा, बोकारो, हजारीबाग व गिरिडीह के उपायुक्त इस योजना के प्रति सुस्त रहे हैं.
ग्रामीण विकास विभाग संबंधित जिलों के उपायुक्तों तथा उप विकास आयुक्तों से सितंबर 2016 से काम में तेजी लाने तथा विशेष ग्राम सभा का आयोजन कर योजनाएं चिह्नित कर भेजने के लिए कहता रहा. इसके बाद कई रिमाइंडर देने पर संबंधित जिले के उपायुक्तों ने योजनाओं की सूची उपलब्ध करायी. इधर, योजनाअों की सूची उपलब्ध कराने के बाद अभी तीन जिलों पलामू, हजारीबाग व गिरिडीह जिले ने ही योजनाअों का डीपीआर तैयार करवा कर ग्रामीण विकास विभाग को उपलब्ध कराया है.
देवघर, चतरा व बोकारो का डीपीआर अभी आना बाकी है. इस तरह प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना के तहत गत करीब डेढ़ वर्ष की उपलब्धि यही है. गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना के लिए प्रति गांव 41 लाख रुपये उपलब्ध कराये हैं. यानी कुल सौ गांव के लिए झारखंड को 41 करोड़ रुपये मिले हैं.
इस पैसे का इस्तेमाल संबंधित गांवों में विकास संबंधी किसी खास काम के लिए कंटीजेंसी फंड (आकस्मिकता निधि) की तरह होना है. मूलभूत जरूरतें तथा बुनियादी सुविधाएं बहाल करने की जिम्मेवारी राज्य सरकार की है. विभिन्न विभागों से जुड़ी विकास योजनाओं का क्रियान्वयन इन गांवों में मिशन मोड में कराना है. वहीं किसी विशेष काम के लिए केंद्रीय निधि का इस्तेमाल किया जा सकता है. पर पहले योजनाअों का चयन तथा अब डीपीआर उपलब्ध कराने में हुए विलंब के कारण एससी गांवों का विकास रुका है.
योजना बनाने के नौ साल बाद आयी इसकी याद
अनुसूचित जाति उन्नत ग्राम योजना
कल्याण विभाग ने एक योजना बनायी थी. अनुसूचित जाति (एससी) उन्नत ग्राम योजना. इस योजना के तहत राज्य के अनुसूचित (एससी) बाहुल्य गांवों का विकास करने के साथ-साथ वहां मूलभूत सुविधाओं की उपलब्धता तथा जीविकोपार्जन सुनिश्चित कराना था.
वित्तीय वर्ष 2007-08 में इससे संबंधित पत्र तत्कालीन कल्याण सचिव ने कल्याण विभाग से संबद्ध अनुसूचित जाति सहकारिता विकास निगम को लिखा था, लेकिन हैरत की बात यह है कि पिछले नौ वर्षों के दौरान इस योजना पर कभी कोई पहल ही नहीं की गयी. विभाग के साथ-साथ निगम के अधिकारी हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे.
इधर, विभाग के नये अधिकारियों ने पहले चरण में अनुसूचित जाति (एससी) बहुल कुल 27 गांवों का चयन कर इसका सर्वेक्षण प्रतिवेदन तो तैयार किया, पर अनुसूचित जाति बाहुल्य इन गांवों में अनुसूचित जाति उन्नत ग्राम योजना के तहत कोई ठोस पहल नहीं हो रही है. इस कारण लोगों को इस योजना का लाभ नहीं मिला रहा है.
एससी बहुलता वाले चयनित गांव
गांव प्रखंड जिला
लोगाय पत्थरगामागोड्डा
मुरगाडांगा हिरणपुरपाकुड़
बानाबुड़ा बहरागोड़ापू. सिंहभूम
मेढ़ना खुर्द गढ़वा सदरगढ़वा
ब्रह्मणा चतरा सदरचतरा
मनीछापर अनगड़ारांची
कुमार दागा चासबोकारो
गोंडामारासरायकेला-
समुरसाई खरसावांखरसावां
मनिहारी नालाजामताड़ा
चेलाबेड़ा चक्रधरपुरप. सिंहभूम
सारुबेड़ा अनगड़ारांची
पथरा करौंदेवघर
बड़ा सगरा मधुपुरदेवघर
पतरोडीह बेंगाबादगिरिडीह
छाताबाद बेंगाबाद गिरिडीह
चुटिया बरहेट साहेबगंज
उरबा दुलमी रामगढ़
बाजे विष्णुगढ़हजारीबाग
अलकिलवा विष्णुगढ़हजारीबाग
मेघातरी कोडरमा कोडरमा
लोटवा लेस्लीगंजपलामू
जैतुखाड लेस्लीगंज पलामू
दुमदुमी सारठदेवघर
भदियारा सारवां देवघर
डहुआ सारवां देवघर
गम्हरिया जरमुंडी दुमका
मदनपुर जरमुंडी दुमका
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