वैशाख पूर्णिमा पर व्रत एवं पूजन का क्यों है विशेष महत्व, जानें
वैशाख मास की एकादशी हो या अमावस्या, सभी तिथियां पावन हैं. इनमें वैशाख पूर्णिमा विशेष महत्व रखता है. इस बार (30 अप्रैल) पूर्णिमा पर सिद्धि योग बन रहा है. यह योग कैरियर और कारोबार में सफलता के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है. इस दिन सत्य विनायक व्रत रखने का विशेष विधान है. मान्यता है कि […]
वैशाख मास की एकादशी हो या अमावस्या, सभी तिथियां पावन हैं. इनमें वैशाख पूर्णिमा विशेष महत्व रखता है. इस बार (30 अप्रैल) पूर्णिमा पर सिद्धि योग बन रहा है. यह योग कैरियर और कारोबार में सफलता के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है. इस दिन सत्य विनायक व्रत रखने का विशेष विधान है. मान्यता है कि इस दिन यह व्रत रखने से व्रती की दरिद्रता दूर होती है और उसके बिगड़े काम बनते हैं.
कथा के अनुसार अपने पास मदद के लिए आये भगवान श्री कृष्ण ने मित्र सुदामा को भी इसी व्रत का विधान बताया था, जिसके पश्चात उनकी गरीबी दूर हुई. मान्यता यह भी है कि धर्मराज सत्य विनायक व्रत से प्रसन्न होते हैं.
अत: इस व्रत को विधिपूर्वक करने से व्रती को अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता. इस दिनगंगा स्नान का भी विशेष महत्व है. इस दिन स्नान करने से व्यक्ति के पिछले कई जन्मों के पापों से मुक्ति मिल जाती है. यह स्नान लाभ की दृष्टि से अंतिम पर्व माना जाता है. पूर्णिमा विशेष तौर पर धन की देवी माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा का दिन माना जाता है.
इस दिन विशेष तौर से सूर्योदय से पूर्व उठकर घर में साफ-सफाई जरूर करें. पूजा के दौरान गाय के घी का दीपक जलाएं. धूप करें और कपूर जलाएं. परिवार सहित देवी लक्ष्मी-विष्णु देव और भगवान बुद्ध की पूजा करें. मां लक्ष्मी को मखाने की खीर, साबू दाने की खीर या किसी सफेद मिठाई का भोग लगाएं. पूजा के बाद सभी में प्रसाद बाटें. ध्यान रखें कि इस दिन घर में कलह का माहौल बिल्कुल न हो.