मजदूर दिवस विशेष: हम गढ़ रहें हैं देश, हां हम मजदूर हैं
एक मई यानी मजदूर दिवस मजदूरों के हक और अधिकार के लिए क्रांति का दिन है. आज ही के दिन लंबे संघर्ष के बाद मजदूरों को उनका अधिकार मिला. श्रम कानून बना. संगठित और असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के कार्य कौशल और श्रम ने विकास की गाथा लिखी है़ राष्ट्र निर्माण में इन मजदूरों के […]
एक मई यानी मजदूर दिवस मजदूरों के हक और अधिकार के लिए क्रांति का दिन है. आज ही के दिन लंबे संघर्ष के बाद मजदूरों को उनका अधिकार मिला. श्रम कानून बना. संगठित और असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के कार्य कौशल और श्रम ने विकास की गाथा लिखी है़ राष्ट्र निर्माण में इन मजदूरों के जज्बे को सलाम. मई दिवस के अवसर पर प्रभात खबर ने विशेष आयोजन किया है. मजदूरों की समस्याओं से लेकर उनके अधिकार के विभिन्न आयामों को रेखांकित करता यह विशेष पेज.
काम ढूंढ़ने के लिए हर दिन भीगना व तपना पड़ता है मजदूरों को
रांची : ग्रामीण इलाकों से शहर में आकर मजदूरी करनेवाले मजदूरों व रेजा को केवल काम करने की परेशानी नहीं है, बल्कि उन्हें काम ढूंढ़ने के लिए भी काफी मशक्कत करनी पड़ रही है. बरसात के दिनों में भीग कर, तो गर्मी में तीखी धूप की जलन सह कर वे काम तो कर लेते हैं, लेकिन उनके सामने इससे बड़ी समस्या सालों भर काम ढूंढ़ने की है. इसके लिए भी उन्हें तपस्या करनी पड़ रही है. मजदूरों व रेजा की ऐसी दुर्दशा हर दिन शहर में स्थित मजदूरों की मंडियों में देखी जा सकती है. खास कर रातू रोड, मोरहाबादी, किशोरगंज, हरमू, डोरंडा, लालपुर सहित अन्य जगहों पर सड़क किनारे मजदूर व रेजा के हुजूम को काम का इंतजार करते हुए देखा जा सकता है. यहां इन मजदूरों व रेजा के लिए एक शेड तक नहीं है, जिसमें छिप कर वे बारिश व धूप से बच सकें. इनकी हर दिन की यही कहानी है.
शेड लग जाता, तो राहत मिलती
रांची के मंडी में नगड़ी, बेड़ो व मांडर से आनेवाले मजदूर क्रमश: दुखा, सोमर व जीतवाहन का कहना है कि वे सुबह 8.30 बजे तक यहां पहुंच जाते हैं. कभी-कभी 10 बजे तक भी काम नहीं मिलता है. किसी दिन तो बिना काम के ही लौट जाना पड़ता है. अगर यहां शेड लग जाये, तो हम सबको भीगना नहीं पड़ेगा. धूप से भी राहत मिलेगी.
कहां-कहां जमा होते हैं मजदूर-रेजा
हरमू पुल के आगे, मोरहाबादी मैदान में टीआरआइ के पास, रातू रोड में रिलायंस फ्रेश के पास, लालपुर चौक, कांटा टोली, डोरंडा, किशोरगंज चौक के पास, बिरसा चौक के पास, नामकुम सहित अन्य जगहों पर.
कहां से आते हैं मजदूर : मांडर, चान्हो, रातू, ठाकुरगांव, नगड़ी, बेड़ो, इटकी, हटिया, टुपुदाना, नामकुम, पिठोरिया, कांके, ओरमांझी, सुकरहुटू, मनातू, शतरंजी, दसमाइल, बालालोंग, टाटीसिलवे, अनगड़ा, सोनाहातू सहित अन्य जगहों से.राज्य गठन के बाद मजदूरों के लिए शेड लगाने की घोषणाएं कई बार सरकार के स्तर पर हुई, लेकिन इस पर आज तक काम नहीं हुआ.
कभी काम के लिए तो कभी सफर में, हर दिन लटकते हैं मजदूर
रांची : शहर में हर दिन मजदूरों के मामले में सुरक्षा मानकों का उल्लंघन किया जा रहा है. अक्सर इमारतों के निर्माण के क्रम में यह देखा जा रहा है. खास कर इमारतों की पेंटिंग के काम में मजदूरों को लटक कर काम करना पड़ता है. सुरक्षा बेल्ट के बिना ही मजदूर रस्सी के सहारे लटक कर काम करते दिखते हैं. उन्हें काम करानेवाले ठेकेदारों की अोर से सुरक्षा बेल्ट तक उपलब्ध नहीं कराया जाता है, जबकि सुरक्षा मानक में इसका उल्लेख है कि किसी भी हाल में बिना सुरक्षा बेल्ट के काम नहीं कराया जाये. यह स्थिति सरकारी कामों में भी देखने को मिल रहा है. इसका नतीजा है कि अक्सर दुर्घटनाएं होती है और मजदूरों को जान से हाथ धोना पड़ता है. बिजली मिस्त्री को भी अक्सर बिना सुरक्षा कवच के पोल पर चढ़ा दिया जाता है. दुर्घटना होने पर अक्सर बिजली मिस्त्री या तो घायल हो रहे हैं या उनकी जान जा रही है. यानी काम के लिए हर दिन मजदूर अपनी जान की रिस्क लेते हैं.
हर शाम लटक कर करते हैं यात्रा
शाम में काम समाप्त कर मजदूरों को अपने घर जल्द से जल्द पहुंचने की हड़बड़ी होती है. एेसे में वाहनों में अत्याधिक सवारी होने की वजह से मजदूरों को लटककर सफर करना पड़ता है. या फिर गाड़ी के ऊपर बैठ कर वे जाते हैं. हर दिन शाम ढलने के बाद शहर के सारे इलाकों के मिनीडोर में भी ऐसा दृश्य देखा जा सकता है. रेजा मिनीडोर में ठेलम-ठुस यात्रा करती हैं. कई तो लटकी हुई स्थिति में रहती हैं और बड़ा जोखिम लेकर यात्रा करती हैं. यानी हर दिन वे लटक कर ही यात्रा करते हैं.
इन योजनाओं का लाभ ले सकते हैं निर्माण श्रमिक
रांची : श्रम नियोजन व प्रशिक्षण विभाग के तहत झारखंड भवन व अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड 36 प्रकार के निर्माण कार्यों में लगे श्रमिकों व उनके परिवार के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं संचालित करता है. मजदूर भाई-बहन इसका लाभ उठा सकते हैं. यहां उन योजनाओं व उनके पात्रता की शर्तों सहित लाभ लेने की प्रक्रिया की जानकारी दी जा रही है.
श्रमिक औजार सहायता योजना
इसके तहत राज मिस्त्री, इलेक्ट्रिशियन, प्लंबर, कारपेंटर, कुली व पेंटर आदि को गुणवत्ता युक्त औजार किट के लिए 2500 रुपये उनके खाते में डीबीटी के माध्यम से दिये जाते हैं. लाभुक को तीन माह के भीतर उपकरणों की खरीद कर इसकी रसीद संबंधित श्रम कार्यालय में जमा करनी होगी. पात्रता : निबंधित श्रमिक जिनकी आयु 18 वर्ष या अधिक हो.
साइकिल सहायता योजना
सिलाई मशीन के लाभुक श्रमिकों (सिर्फ महिला) को छोड़ कर शेष महिला श्रमिकों को इस योजना के तहत साइकिल खरीदने के लिए अधिकतम 3500 रुपये उनके खाते में डीबीटी के माध्यम से दी जाती है. पात्रता : 18 से 45 वर्ष उम्र वाले निबंधित महिला व पुरुष श्रमिक.
झारखंड निर्माण कर्मकार मृत्यु/दुर्घटना सहायता योजना
दुर्घटना में मृत्यु पर निबंधित मजदूरों को सामाजिक सुरक्षा योजना के तहत पांच लाख रुपये का अनुदान परिजनों को मिलेगा. दुर्घटना में पूर्ण अपंगता की स्थिति में तीन लाख व आंशिक अपंगता में दो लाख रुपये का अनुदान दिया जायेगा. सामान्य मृत्यु की स्थिति में एक लाख रुपये का भुगतान किया जायेगा. लाभुक की दो मेधावी संतान को भी मेधावी पुत्र व पुत्री छात्रवृत्ति योजना का लाभ मिलेगा. पहली से पांचवीं कक्षा को छोड़ किसी भी परीक्षा में द्वितीय श्रेणी या 45 फीसदी अंक प्राप्त कर उत्तीर्ण होने पर या किसी प्रतियोगिता परीक्षा के आधार पर पाठ्यक्रम में प्रवेश करने पर इस योजना का लाभ मिलेगा. पहली से आठवीं कक्षा तक इस योजना के तहत पांच हजार तथा नौवीं से 12वीं कक्षा तक 10 हजार रुपये का लाभ मिलेगा. स्नातक, स्नातकोत्तर या समकक्ष अध्ययनरत विद्यार्थी को 20 हजार तथा इंजीनियरिंग या मेडिकल के कोर्स में प्रवेश करने पर 50 हजार रुपये का लाभ दिया जायेगा. पात्रता : 18 से 60 वर्षीय निबंधित लाभुक.
मेधावी पुत्र/पुत्री छात्रवृत्ति योजना
पहली कक्षा से स्नातकोत्तर व तकनीकी शिक्षा के लिए मेधावी बच्चों को पांच सौ से 15 हजार रुपये तक की सालाना छात्रवृत्ति. पात्रता : निबंधित लाभुक के दो मेधावी संतान को.
चिकित्सा प्रतिपूर्ति/सहायता योजना
स्वास्थ्य बीमा योजना से अलग इस योजना में गंभीर बीमारी जैसे एड्स, हृदय रोग, कैंसर, गुर्दा की बीमारी आदि से पीड़ित लाभुकों या उनके परिवार के सदस्यों को पूर्ण चिकित्सीय खर्च मिलता है. चिकित्सा सहायता योजना के तहत निबंधित श्रमिकों को पांच या उससे अधिक कार्य दिवस तक अस्पताल में भर्ती होने की स्थिति में अधिकतम 40 कार्य दिवस के समतुल्य राशि का भुगतान किया जाता है. निबंधित महिला मजदूर को मातृत्व प्रसुविधा योजना के तहत 15 हजार रुपये का लाभ दिया जाता है. इसका लाभ प्रथम दो प्रसूति में ही मिलेगा. पात्रता : निबंधित लाभुक या उसका परिवार.
अंत्येष्टि सहायता योजना
इस योजना के तहत निबंधित लाभुकों की मृत्यु होने पर उनके परिजनों को अंतिम संस्कार के लिए 10 हजार रुपये का भुगतान किया जाता है. पात्रता : निबंधित लाभुक.
विवाह सहायता योजना
अधिकतम दो बेटियों की शादी के लिए 30 हजार रुपये की सहायता. पात्रता : पांच वर्ष तक लगातार अंशदान करने वाले निबंधित लाभुक.
राष्ट्रीय पेंशन योजना
प्रति वर्ष प्रति लाभुक इस योजना में एक हजार का निवेश बोर्ड द्वारा. पात्रता : निबंधित लाभुक.
नि:शक्तता पेंशन योजना
एक हजार प्रति माह नि:शक्तता पेंशन देय है. पात्रता : निबंधित लाभुक. वहीं, 10 हजार रुपये की एकमुश्त अनुग्रह राशि का भुगतान भी. पात्रता : वैसे लाभुक, जो पक्षाघात, कुष्ठ, यक्ष्मा या दुर्घटना के कारण स्थायी रूप से अशक्त हों.
पारिवारिक पेंशन योजना
इस योजना के तहत पेंशन भोगी की मृत्यु की अवस्था में परिवार के सदस्यों को पेंशन का 50 फीसदी या 500 रुपये अधिकतम का भुगतान किया जायेगा. पात्रता : पेंशनभोगी लाभुक श्रमिक की मौत पर.
योजना के लाभ की प्रक्रिया
निबंधित श्रमिकों को अपना हस्ताक्षरित आवेदन संबंधित क्षेत्र के श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी/श्रम अधीक्षक को देना होगा, जिसमें श्रमिक का पंजीयन क्रमांक भी हो. आवेदन के जांच के बाद इसे 15 दिनों के अंदर उप श्रमायुक्त को अग्रसारित कर दिया जायेगा. उप श्रमायुक्त एक सप्ताह के अंदर प्रक्रिया पूरी कर लाभुक को योजना का लाभ दिलायेंगे.
कहां होगा निबंधन
जो श्रमिक निबंधित नहीं हैं वह अपना निबंधन संबंधित प्रखंड के श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी के यहां करवा सकते हैं. सदर क्षेत्र के श्रमिकों का निबंधन उप श्रमायुक्त कार्यालय में होगा. रांची में उप श्रमायुक्त का कार्यालय डोरंडा स्थित होटल अशोक के पीछे है.
( नोट : श्रम, नियोजन व प्रशिक्षण विभाग की अोर से समय-समय पर पंचायत स्तर पर भी निबंधन कैंप का आयोजन किया जाता है. यहां मजदूर हित में संचालित विभाग की विभिन्न योजनाअों की जानकारी भी दी जाती है. मजदूरों को वहां अपना निबंधन जरूर कराना चाहिए.)