पीरियड्स बताते हैं सेहत का हाल
मासिक धर्म प्राकृतिक एवं सामान्य प्रक्रिया है, जिसके साथ बहुत सारी भ्रांतियां जुड़ी हुई हैं, जो युवा महिलाओं एवं किशोरियों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालती हैं. इसी के प्रति महिलाओं में जागरूकता लाने के लिए 28 मई को वर्ल्ड मेंसट्रुअल हाइजीन डे दिवस मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य है मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन (एमएचएम) […]
मासिक धर्म प्राकृतिक एवं सामान्य प्रक्रिया है, जिसके साथ बहुत सारी भ्रांतियां जुड़ी हुई हैं, जो युवा महिलाओं एवं किशोरियों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालती हैं.
इसी के प्रति महिलाओं में जागरूकता लाने के लिए 28 मई को वर्ल्ड मेंसट्रुअल हाइजीन डे दिवस मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य है मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन (एमएचएम) के महत्व को उजागर करना. 2014 में जर्मनी स्थित एनजीओ वॉश यूनाइटेड ने इसकी शुरुआत की थी.
चूंकि मासिक धर्म चक्र की औसत लंबाई 28 दिनों की होती है, इसलिए 28 तारीख को इसे मनाने के लिए चुना गया. हालांकि पीरियड्स की डेट आते ही थोड़ी असहजता महसूस करना हर महिला के लिए स्वाभाविक है. मगर इस दौरान आप कैसा महसूस करती हैं, उससे अपनी सेहत के बारे में बहुत कुछ जाना जा सकता है.
समय पर होते हैं यानी दिक्कत नहीं :
अगर पीरियड्स हर माह नियत समय पर होते हैं, तीन या पांच दिन तक नॉर्मल ब्लीडिंग होती है, वे दर्दरहित होते हैं और रक्त के थक्के नहीं बनते. पूरे दिन में दो या तीन बार ही पैड बदलने पड़ते हैं, तो अर्थ है- आपके शरीर के महत्वपूर्ण फंक्शन ठीक से कार्य कर रहे हैं.
रेग्युलर पीरियड अच्छी सेहत की निशानी हैं. चिकित्सीय भाषा में कहें तो आपके पिट्युटिरी ग्लैंड आपके अंडाशयों (ओवरीज) तक रासायनिक संदेशवाहक भेज रहे हैं और ओवरीज नियत समय पर हार्मोंस उत्पन्न कर रही हैं. आपको डॉक्टर के पास जाने की कतई जरूरत नहीं है.
असहनीय दर्द होता है तब : अगर इस दौरान इतना दर्द होता है कि सहन नहीं कर पातीं या हॉट वाटर बोतल के बिना रह नहीं पातीं, तो संभवत: आप डिस्मेनोरिया से पीड़ित हैं. इस दौरान यह दर्द पीरियड्स से बिलकुल पहले या पीरियड्स शुरू होने पर होता है और एक दिन से तीन दिनों तक रहता है.
डॉ बीएलके मेमोरियल अस्पताल, नयी दिल्ली की गाइनी विभाग की हेड डॉ दिनेश कंसल के अनुसार, ऐसा दर्द युवा लड़कियों में ज्यादा होता है. अगर दर्द लगातार बढ़ता रहता है, तो मतलब है कि शरीर में कहीं कोई कमी है. ऐसा पीरिड्स के दौरान अत्यधिक इंफ्लेमेट्ररी केमिकल्स (प्रोस्टाग्लैंडिंस) के स्राव के कारण होता है. दर्द इन्फेक्शन की वजह से भी होता है, जिसे हम पेल्विक इंफ्लेमेट्ररी डिजीज (पीआइडी) कहते हैं. वजह ओवरी में सिस्ट बनना भी होता है.
इससे नलियां व यूट्रस की लाइनिंग भी खराब हो जाती हैं. ओवरी के पास के भाग व यूट्रस के बाहर का हिस्सा भी इससे प्रभावित होता है. ऐसा होने पर ओवरी में सिस्ट है कि नहीं, जानने के लिए अल्ट्रासाउंड कराएं. दर्द होने पर दिन में 3 बार मेफ्टाल-स्पास ली जा सकती है, साथ ही हीटिंग पैड का प्रयोग किया जा सकता है.
एक हफ्ते पहले या एक हफ्ते बाद : अगर पीरिड्स के बीच का अंतर 21 दिनों से कम या 35 दिनों से अधिक होता है, तो अर्थ है आपके उन हार्मोनों में असंतुलन है, जो माहवारी को नियमित रखते हैं.
ऐसा होने की मुख्य वजहों में मोटापा, पोलीसिस्टिक ओवेरियन डिजीज (पीसीओडी) व जीवनशैली में अव्यवस्थता व पोषण की कमी है. हार्मोनल सिस्टम बिगड़ जाने से इंसुलिन भी बढ़ जाता है और चेहरे पर दाने निकल आते हैं.
शारीरिक व मानसिक तनाव भी एक वजह है. किसी भी तरह की ओवरी संबंधी समस्या तो नहीं है, यह जानने के लिए पेल्विक सोनोग्राफी करानी चाहिए. ऐसी अवस्था में लाइफ स्टाइल मैनेजमेंट की सलाह दी जाती है. योग, ब्रीदिंग एक्सरसाइज उत्तम विकल्प हैं. आराम करने से राहत होती है. इलाज के अभाव में आगे गर्भधारण में दिक्कत भी आ सकती है.
हैवी ब्लीडिंग :अगर पीरियड्स रेग्यूलर हों, पर इतनी हैवी ब्लीडिंग होती हो कि एक साथ दो पैड इस्तेमाल कर की नौबत आये, तो इसे मेनोररेजिया कहा जाता है. इसमें रक्त अधिक मात्रा में निकलता है, थक्के भी निकलते हैं तथा बार-बार पैड बदलने के साथ कपड़ों पर धब्बे लगने का डर रहता है.
हैवी ब्लीडिंग संकेत है कि आपका हार्मोनल बैलेंस असंतुलित हो गया है. एस्ट्रोजन व प्रोजेस्टेरोन नामक हार्मोन मासिक चक्र को प्रभावित करते हैं, क्योंकि ओवेल्यूशन के दौरान वे उस प्रक्रिया को संतुलित रखते हैं. डॉ कंसल के अनुसार, अगर इन हार्मोस का बैलेंस बिगड़ जाता है, तो औरत में ठीक ढंग से ओवेल्यूशन नहीं होता. एक और वजह यूट्रस के अंदर फायब्रायड होना भी है. ऐसा होने पर यूट्रस या सर्विक्स का कैंसर होने का खतरा भी काफी बढ़ जाता है.
हैवी ब्लीडिंग होने पर बायोप्सी कराने की सलाह दी जाती है. इसे जीवनशैली व डायट में परिवर्तन कर ठीक किया जा सकता है.पीरिड्स मिस होना : रेग्यूल व दर्दरहित पीरिड्स के बाद अचानक पीरियड्स नहीं होते, तो इसे प्रेग्नेंसी का संकेत माना जाता है. मगर प्रेग्नेंसी रिपोर्ट नेगेटिव आती है, तो अर्थ है कि प्री-मेच्योर मेनोपॉज के अतिरिक्त पीरिड्स मिस होने की कई वजहें हो सकती हैं. जैसे – तनाव, बीमारी, हार्मोनल इम्बैलेंस, थायरायड या कार्यशैली में बदलाव या काम के घंटों में बढ़ोतरी.
प्रोलेक्टिव हार्मोन बढ़ने से भी पीरियड मिस होने की संभावना रहती है. इसे दवाई, जीवनशैली में बदलाव, तनाव कम करके ठीक किया जा सकता है. लेकिन अगर यह परेशानी लंबे समय तक कायम रहे तो डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें.
अगर आपके पीरियड्स से पहले व्हाइट डिस्चार्ज गाढ़ा या ज्यादा हो तो घबराएं नहीं, क्योंकि यह एक नॉर्मल बात है. अगर पीरियड्स किसी महीने एक दिन कम या ज्यादा दिन तक हों, तो भी तवान न लें. लेकिन अगर यह स्थिति एक या दो दिन से अधिक होती है, तो चेकअप अवश्य कराएं.
जिन महिलाओं के पीरियड्स हमेशा रेग्यूलर रहते हों, उन्हें अचानक इस दौरान बहुत तेज दर्द होने लगे या रक्त के थक्के निकलें, तो तुरंत अपने डॉक्टर से मिलें.
डॉ दिनेश कंसल, गाइनी हेड
बीएलके मेमोरियल हस्पताल, नयी दिल्ली