मैट्रिक के बाद कैसे चुनें आगे की राह, कतई न करें पसंदीदा विषयों से समझौता
II आशीष आदर्श II कैरियर काउंसेलर मैट्रिक का रिजल्ट घोषित हो चुका है, आगे के कैरियर को लेकर छात्रों के मन में जिज्ञासा उठना स्वाभाविक ही है. लेकिन, इन सब के बीच सभी छात्रों और उनके अभिभावकों के मन में यह प्रश्न कौंध रहा है कि अब आगे कौन सा स्ट्रीम चुना जाये. कौन सा […]
II आशीष आदर्श II
कैरियर काउंसेलर
मैट्रिक का रिजल्ट घोषित हो चुका है, आगे के कैरियर को लेकर छात्रों के मन में जिज्ञासा उठना स्वाभाविक ही है. लेकिन, इन सब के बीच सभी छात्रों और उनके अभिभावकों के मन में यह प्रश्न कौंध रहा है कि अब आगे कौन सा स्ट्रीम चुना जाये. कौन सा विषय 10+2 में लिया जाये, जो कैरियर की दृष्टि से बेहतर हो और आगे की क्या रणनीति हो?
अभी ही है सही समय
मालूम हो कि मैट्रिक हमारे कैरियर का सबसे महत्वपूर्ण पड़ाव है. इसके बाद हम जो स्ट्रीम चुनते हैं, उसी के आधार पर हमारा पूरा कैरियर निर्भर करता है. यदि हमने बगैर सोचे-समझे किसी खास कॉलेज में एडमिशन के लालच में या किसी भी और वजह से कोई भी स्ट्रीम चुन लिया, तो आगे चल कर इसका बड़ा नुकसान हमें उठाना पड़ सकता है. अतः अभी ही वह सही समय है, जब आपको एक सही निर्णय लेने की नितांत आवश्यकता है.
स्ट्रीम चुनते समय किन बातोंका रखें ध्यान?
मैट्रिक तक पहुंचते-पहुंचते हमें इस बात का तो भान हो ही जाता है कि हमारा मजबूत विषय क्या है और किस विषय में हमारी समझ औसत से अधिक है. किसी को लैंग्वेज में सहूलियत होती है, तो कोई मैथ्स में अच्छा है. किसी का बायो मजबूत है, तो कोई सोशल साइंस को अपना कैरियर का आधार बनाना चाहता है.
तो, सबसे पहले एक सादा कागज लीजिये और प्राथमिकता के आधार पर उन विषयों को लिखिये, जो आपके लिए सहज हों. मसलन, यदि आपकी अंग्रेजी सबसे अच्छी है, तो पहले नंबर पर अंग्रेजी लिखिये, उसके बाद यदि आपका फिजिक्स बेहतर है, तो फिजिक्स लिखिये. इसके बाद आप अपने शिक्षक या किसी कैरियर काउंसेलर से यह समझिये कि आपके पसंदीदा विषयों से संबंधित पाठ्यक्रम और उसके आगे के स्कोप क्या हैं. सही कैरियर के चुनाव में आपके अभिभावक और शिक्षक आपकी विशेष मदद कर सकते हैं, क्योंकि वे इस बात को भलीभांति समझते हैं कि आपकी खूबियां क्या हैं और आपकी खामियां क्या हैं.
कतई न करें पसंदीदा विषयों से समझौता
कई बार ऐसा होता है कि आपके प्राप्तांक अपेक्षाकृत कम होते हैं और आपको अपने मनचाहे कॉलेज और मनचाहे विषय में दाखिला नहीं मिल पाता.
ऐसे में, कई बार छात्र अपने विषय से समझौता कर उसी कॉलेज में किसी अन्य पाठ्यक्रम में दाखिला ले लेते हैं. ऐसा कतई न करें, अन्यथा आपको आगे चलकर इसका बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है. यदि उस कॉलेज में उस विषय में आपको दाखिला नहीं मिल पा रहा है, तो कोई और कॉलेज चुन लें, लेकिन अपने विषय से किसी भी हाल में समझौता न करें. यह बात 10+2 के बाद मायने रखती है कि आपका रिजल्ट कैसा था, यह कम ही लोग पूछते हैं कि 10+2 कहां से की.
यदि किसी कारण आपके मन में कोई भ्रांति है, तो उसे निकाल फेंकिए. जानते हैं ऐसी 10 आम भ्रांतियां, जिन पर आपको मैट्रिक के बाद पाठ्यक्रम का चुनाव करते समय कतई अपने दिमाग में नहीं रखना चाहिए :
आर्ट्स के छात्र सबसे कमजोर होते हैं और साइंस केसबसे तेज.
अगर 10+2 में कोई ऐसा विषय ले लिया, जिसमें हम ठीक नहीं कर पा रहे और यदि इसके बाद स्ट्रीम बदलना पड़ा, तो इसमें बहुत परेशानी होगी.
साइंस में सबसे अधिक कैरियर ऑप्शंस हैं.
आर्ट्स में वही छात्र जाते हैं, जिनको साइंस या कॉमर्स में दाखिला नहीं मिलता.
अच्छे रिजल्ट के लिए टॉप क्लास का स्कूल या कॉलेज होना जरूरी है.
बड़े शहर में पढ़ाई की बहुत अच्छी सुविधाएं होती हैं और छोटे शहर में रहकर बेहतर नहीं किया जा सकता.
जहां जितनी अधिक फीस, वहां उतनी ही अच्छी पढ़ाई.
इंजीनियरिंग का कोर्स कैरियर के सफल होने की गारंटी है.
जहां ज्यादा छात्र जायें, उसी स्ट्रीम को चुनना चाहिए.
डिग्री मिल जाने से नौकरी तुरंत मिल जाती है.